भारत सहित पूरी दुनिया में सिकुड़ रहे मेघवन अच्छे संकेत नहीं

भारत समेत 69 देशों में जैव विविधता से भरे और बहुमूल्य पारिस्थितिकी सेवा प्रदान करने वाले मेघवन हैं। पिछले 20 वर्षोंं में इन मेघवनों को काफी नुकसान पहुंचा है

By Bhagirath
Published: Thursday 06 April 2023

बादलों से ढंके रहने वाले मेघवन (क्लाउड फॉरेस्ट) भी जलवायु परिवर्तन की मार से नहीं बचे हैं। ये मेघवन धरती की एक प्रतिशत से भी कम भूमि पर हैं लेकिन ये जैव विविधता के सबसे बड़े हॉटस्पॉट हैं।

लंदन स्थित गैर लाभकारी संगठन अर्थ सिक्योरिटी द्वारा 2022 में जारी रिपोर्ट “क्लाउड फॉरेस्ट एसेट्स : फाइनैंसिंग अ वैल्यूएबल नेचर बेस्ट सॉल्यूशन” के अनुसार, समुद्र तल से 1,500-3,000 की मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले मेघवन दुनियाभर के 69 देशों के 29.29 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं।

अमेरिकी महाद्वीपों में ये सर्वाधिक 11.11 लाख, अफ्रीका में 9.89 लाख, एशिया में 6.89 लाख और ओशनिया में 1.40 लाख वर्ग किलोमीटर में इनका फैलाव है।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि दुनियाभर में करीब 21 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले मेघवन संरक्षित नहीं है। भारत के हिस्से में 10,420 वर्ग किलोमीटर का मेघवन है, जिसमें से केवल 2,406 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा ही संरक्षित है। मुख्यत: भारत के पश्चिमी घाट में मेघवन मौजूद हैं।

दुनियाभर में पिछले 20 वर्षों के दौरान लगभग 1.70 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले मेघवन खत्म हो गए हैं। अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे अधिक 76,049 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के यह खत्म हुए हैं। इसी तरह अमेरिकी महाद्वीपों में 46,820 वर्ग किलोमीटर, एशिया में 44,251 वर्ग किलोमीटर और ओशनिया में कुल 2,840 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले मेघवन पिछले 20 वर्षों के दौरान नष्ट हुए हैं।

भारत के 691 वर्ग किलोमीटर में फैले मेघवन इस अवधि में खत्म हुए हैं। अर्थ सिक्योरिटी ने सर्वाधिक मेघवन की हिस्सेदारी वाले 25 देशों में फैले मेघवनों को संरक्षित करने की जरूरत पर जोर दिया है।

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