मध्य प्रदेश में हीरा खनन के लिए दो लाख पेड़ काटने का विरोध शुरू

छतरपुर जिले के बक्सवाहा क्षेत्र में बीस साल पहले हुए सर्वेक्षण के बाद 3.42 करोड़ कैरेट हीरा मिलने का अनुमान जताया गया है

By Rakesh Kumar Malviya
Published: Wednesday 19 May 2021
वन विभाग के मुताबिक इतने क्षेत्र में 2,15,875 पेड़ लगे हैं। चालीस हजार पेड़ कीमती सागौन के हैं। फोटो: राकेश कुमार मालवीय

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में हीरा खनन के लिए 2 लाख 15 हजार पेड़ काटने का विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय युवकों ने विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों पर इसके लिए मुहिम छेड़कर इस प्रोजेक्ट को रोकने की मांग की है। वह इसके लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ई मेल कर रहे हैं। वहीं इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में भी एक पीआईएल दाखिल की गई है।  

छतरपुर जिले के बक्सवाहा क्षेत्र में बीस साल पहले हुए सर्वेक्षण के बाद 3.42 करोड़ कैरेट हीरा मिलने का अनुमान जताया गया है। हाल ही में इसे आदित्य बिरला समूह को इसके लिए 382 हेक्टेयर क्षेत्र पचास साल की लीज पर दिया गया है। इसमें 62.64 हेक्टेयर में खनन किया जाना है। बाकी तकरीबन 200 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन के दौरान उपयोग किया जाएगा। इस पर तकरीबन 2500 करोड़ रुपए कंपनी खर्च करेगी। वन विभाग के मुताबिक इतने क्षेत्र में 2,15,875 पेड़ लगे हैं। चालीस हजार पेड़ कीमती सागौन के हैं। इन सभी पेड़ों को काटा जाना है। 

बड़ा मलेहरा क्षेत्र के तकरीबन पचास—साठ युवा सक्रिय रूप से इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं। स्थानीय युवा संकल्प जैन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के बाद यह पूरा क्षेत्र में पर्यावरण का भारी विनाश होगा। उन्होंने बताया सैकड़ों साल उम्र वाले पेड़ों को काटा नहीं जाना चाहिए। इसके लिए सोशल मीडिया पर हम अभियान चला रहे हैं, इससे पूरे देश से तकरीबन एक हजार लोग जुड़ चुके हैं। 13 मई को तकरीबन बीस हजार टिवट किए गए हैं, बीस मई को एक बार फिर कैम्पेन चलाया जाएगा। हमारी बातें नहीं मानी गई तो यहां भी चिपको आंदोलन शुरू किया जाएगा। 

वन विभाग के सीसीएफ छतरपुर पीपी कटारे का कहना है कि हीरा खदान में जंगल काटने के बदले 382 हेक्टेयर राजस्व भूमि को वन भूमि में परिवर्तित किया जा रहा है, इस भूमि पर ही जंगल विकसित किया जाएगा, इसका पूरा खर्च खनन करने वाली कंपनी ही उठाएगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 

स्थानीय विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में एक पेड़ काटने के बदले 15 पेड़ लगाए जाएंगे, सरकार को रायल्टी मिले इसके लिए यह जरूरी हैं 

विरोध करने वाले युवा इसे नाकाफी बता रहे हैं, उनका कहना है कि हाल ही में रायसेन जिले में दो पेड़ काटने के बदले एक युवक पर एक करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया है। जब वन विभाग इन पेड़ों को इतना मूल्यवान मान रहा है तो यहां लाखों पेड़ काटने की अनुमति कैसे दे सकते हैं। 

स्थानीय वकील रमन जैन का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से पर्यावरण का भारी नुकसान होगा, इसके लिए एनजीटी का निर्णय और गाइडलाइन महत्वपूर्ण होगा, जरूरत इस बात की होगी कि उन शर्तों को जमीनी रूप से पूरा पूरा पालन करवाया जाए। करने से इंकार कर दिया था।

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