जलवायु परिवर्तन की वजह से कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़
केरल संकट-एक : पिछले नौ माह के दौरान केरल ने कई आपदाओं का सामना किया है। डाउन टू अर्थ ने इसकी पड़ताल की है।
विस्थापितों के प्रति संवेदनहीन राजनीतिक दल: मेधा पाटकर
मेधा पाटकर कहती हैं कि जब तक विस्थापित वोट की राजनीति के लिए मजबूत नहीं होंगे तब तक वे राजनीतिक दलों के हाशिए पर ...
अमेरिका की सबसे बड़ी पर्यावरणीय एजेंसी 4 साल बाद पटरी पर लौटेगी
बाइडन ने माइकल रेगन को पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है, ट्रंप शासन काल में इस एजेंसी को ...
कर्नाटक में 450 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि 39 परियोजनाओं को आबंटित
इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए कर्नाटक में वन भूमि को बढ़ाए जाने की जरूरत है, लेकिन राज्य सरकार कम ...
जंगल के घरों की दीवारों से निकल कर शहरी कद्रदानों की बैठकी तक पहुंच गई है भील चित्रकारी
आदिवासी समुदाय के कुछ चित्रकार इस शैली को खत्म होने से बचाने के लिए पूरी दुनिया में इस कला को लोगों के बीच बांट ...
मध्य प्रदेश में बिजली की प्रति यूनिट 3.80 रुपए कम करना संभव
मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दायर याचिका में कहा गया है कि बिजली कंपनियों को राज्य सरकार बिना एक यूनिट खरीदे ही 2020-21 ...
चुटका परियोजना-3: औचित्य पर उठते सवाल
जिस समय इस परियोजना को मंजूरी मिली तब सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करना महंगा था, अब स्थिति बदल गई है
चुटका परियोजना-2: ग्राम सभा की इजाजत तक नहीं ली गई
चुटका परमाणु परियोजना के लिए नियम-कायदों का भी ध्यान नहीं रखा गया, जिस कारण ग्रामीणों में भय व आक्रोश अधिक है
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: कृषि व उद्योग क्षेत्र को तैयार किए बिना नहीं मिलेगी सफलता
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर तब तक बात करनी बेमानी है, जब तक सरकार देश के कृषि व उद्योग क्षेत्र ...
आरसीईपी: क्यों सरकार को झुकना पड़ा?
आरसीईपी में शामिल होने से इनकार करने के बाद भारत लगातार फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स की समीक्षा करने की बात कर रहा है। आइए, समझते ...
अकेले ही तालाब को किया कचरा मुक्त, अब गांव वाले देते हैं साथ
बिना सरकारी मदद के बाड़मेर के भंवर लाल ने अपने गांव के तालाब की सफाई शुरू की और अब पूरा गांव उनके साथ खड़ा ...
रीढ़विहीन कृषि शिक्षा -4: वैज्ञानिकों पर पैसा जुटाने का दबाव
डाउन टू अर्थ ने देश की कृषि शिक्षा की अब तक की सबसे बड़ी पड़ताल की है। इसे चार भाग में पढ़ सकते हैं। ...
भारत की 30 फीसदी जमीन का मरुस्थलीकरण
भारत सहित दुनियाभर में तेजी से मरुस्थलीकरण बढ़ रहा है। इस पर नियंत्रण के उपायों पर विचार करने के लिए आगामी दो सितंबर, 2019 ...
“हर घर-जल” अब लेगा “स्वच्छ भारत” का स्थान!
वित्तमंत्री ने जिस तरह से रूक रूक कर हर घर-जल स्लोगन कहा है तो क्या इसका अर्थ यह निकाला जाए कि यह योजना भी ...
क्या वन विकास निगम की उपयोगिता नहीं रही
क्या वास्तव में वन विकास निगम की उपयोगिता कम हो रही है? ये ऐसे यक्ष सवाल हैं जिससे निगम अपने गठन के बाद से ही जूझ रहा ...
क्या खेल का मैदान बदलना वायु प्रदूषण की समस्या का हल है
वायु प्रदूषण बनाम क्रिकेट: प्रदूषित वातावरण खिलाड़ी और उसके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है
जलवायु परिवर्तन से मैदान ही नहीं, पहाड़ भी झुलसे
धरती के जन्नत का दर्जा पाए जम्मू और कश्मीर से लेकर देवभूमि उत्तराखंड भी लू (हीटवेव) से प्रभावित हो रहे हैं
जाति-मजहब से परे हट आमजन के हक में वोट करने के अभियान का नाम है लोकमंच
जन आंदोलन की समन्वयक और मेधा पाटकर के साथियों ने लोक मंच का गठन किया है, जिसमें चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को आमंत्रित कर ...
बहुमंजिला इमारत की छांव में लू लगने का डर सबसे ज्यादा
हमारे शहर तेजी से गर्मद्वीप बन रहे हैं। वहीं, बहुमंजिला इमारतों के आस-पास ही लू लगने की संभावना सबसे ज्यादा है।
वजूद पर सवाल
निगम की कार्यप्रणाली ने जंगल और वनवासियों के बीच दीवार खड़ी कर दी है। इससे दोनों के बीच लगातार संघर्ष तेज होते जा रहे ...
जलवायु परिवर्तन से अमेरिकी समाज भयभीत
अमेरिकी समाज के भय से निपटने के लिए वाइडन प्रशासन ने जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए 23 संघीय एजेंसियों को ...
पैरालंपिक खेलों में आधुनिक प्रौद्योगिकी ने दिखाया अपना दम
टोक्यो में पैरालंपिक खेलों ने आधा सफर तय कर लिया है। व्यक्ति और मशीन के बीच बने संबंधों की मजबूती पूरी दुनिया पिछले एक हफ्ते से अपनी आंखों से ...
स्कूली बच्चों को कोरोनावायरस से बचाने के लिए अनिवार्य हो मास्क
कोरोना वायरस से बचने के लिए बच्चों के लिए मास्क ही सबसे आसान और कारगर तरीका सिद्ध हुआ
देश में मवेशी अस्पतालों की संख्या 66 हजार, जरूरत है 5 लाख की
देशभर में 2018-19 में 39,384 मवेशी अस्पताल थे जो कि अब घटकर वर्तमान में 37,726 ही रह गए हैं
मिलिए, मोबाइल ऐप के जरिए पानी बचाने वाली सरपंच से
ग्रामीणों को अपने-अपने मोबाइल से पता चल जाता है कि पानी की मोटर को कितनी देर चलाना है