एनजीटी ने रीयल एस्टेट फर्म से 707.17 लाख रुपए की पर्यारवणीय क्षति वसूलने का दिया आदेश
पर्यावरण मंजूरी तो 2018 में मिली लेकिन 12 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में व्यावसायिक टावर बनाने का काम मई, 2016 में ही शुरू कर दिया गया था।
By Vivek Mishra
Published: Friday 09 April 2021
पर्यावरण को ताख पर रखकर न सिर्फ व्यावसायिक उपक्रम जारी हैं बल्कि पर्यावरणीय क्षति के साथ काम-काज जारी रहता है । हरियाणा के गुरुग्राम में पर्यावरणीय मानकों के विरुद्ध व्यावसायिक टॉवर बनाने वाले मैसर्स जीपी रीयलटर्स प्राइवेट लिमिटेड पर पर्यावरणीय क्षति के लिए कुल 707.17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
मैसर्स जीपी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से गुरुग्राम के बहरामपुर, बंधवारी और बलोला गांव में 12 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में व्यावसायिक टॉवर बनाए जा रहे हैं। आरोप था कि यह व्यावसायिक टावर का काम मई, 2016 में शुरू हुआ था लेकिन पर्यावरण मंजूरी 2018 में ली गई।
इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में उठाया गया। इसके बाद हरियाणा के राज्य पर्यावरण आकलन समिति (एसईआईएए) ने 17 मार्च, 2021 को साइट का दौरा करके 21 मार्च, 2021 को पर्यावरणीय क्षति आकलन रिपोर्ट दाखिल किया। परियोजना प्रस्तावक को न सिर्फ कारण बताओ नोटिस दिया गया बल्कि परियोजना से 707.17 लाख रुपये के पर्यावरण क्षति का आकलन किया गया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले पर जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने समिति की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद 07 अप्रैल, 2021 को अपने आदेश में कहा है कि परियोजना प्रस्तावक को कारण बताओ नोटस दिया जा चुका है लेकिन अब भी अंतिम कार्रवाई बाकी है।
पीठ ने कहा कि दो महीनों के भीतर परियोजना प्रस्तावक से पर्यावरणीय क्षति की राशि वसूली जाए। पीठ ने स्पष्ट किया है कि एसईआईएए इस मामले में यानी राशि की वसूली के लिए किसी भी थर्ड पार्टी को शामिल नहीं करेगी।
याची गुरुविंदर सिंह की ओर से एनजीटी में यह आरोप लगाया गया था। यह व्यावसायिक उपक्रमों की वजह से हरित क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। वहीं समिति ने अपने आकलन में वायु प्रदूषण के लिए 191.68 लाख, पानी और दूषित पानी के लिए 96.250 लाख रुपये, मिट्टी खराब करन के लिए 98.70 लाख रुपए, पेड़ लगाने के लिए 24.61 लाख रुपए, संरक्षण योजना के लिए 295.94 लाख रुपए यानी कुल 707.17 लाख रुपए पर्यावरणीय क्षति वसूलने को कहा है।