वैश्विक प्लास्टिक संधि: क्या प्लास्टिक प्रदूषण के संकट से भावी पीढ़ियों को बचाएगी संधि?

दुनिया भर में प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता जा रहा है और यदि इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ तो अनुमान है कि 2050 तक यह दोगुना या तिगुना हो जाएगा।

By Dayanidhi
Published: Wednesday 24 April 2024
हर दिन दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 ट्रकों के बराबर प्लास्टिक का कचरा फेंका जाता है। फोटो साभार: आईस्टॉक

इस सप्ताह 23 से 29 अप्रैल 2024 तक लगभग 170 देश कनाडा के शहर ओटावा में प्लास्टिक प्रदूषण की तेजी से बढ़ती समस्या को रोकने के लिए बातचीत जारी रखेंगे। विशेषज्ञों को इस बात की आशंका है कि क्या यह अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन प्लास्टिक प्रदूषण के संकट से भावी पीढ़ियों को बचाएगा या यह झूठे समाधानों को और बढ़ावा देगा? 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, हर दिन दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 ट्रकों के बराबर प्लास्टिक का कचरा फेंका जाता है। लोग तेजी से छोटे प्लास्टिक कणों को सांस के जरिए अंदर ले रहे हैं, खा रहे हैं और पी रहे हैं।

क्या इस संधि में लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गौर किया जाएगा, प्लास्टिक के वास्तविक उत्पादन को सीमित किया जाएगा, प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायनों को प्रतिबंधित किया जाएगा। ये ऐसी चीजें हैं जिन्हें देशों का एक स्व-नाम "उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन" देखना चाहता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि वार्ताकारों को मौजूदा संधि के मसौदे को सुव्यवस्थित करना चाहिए और उपरोक्त मुद्दों को तय करना चाहिए।

विशेषज्ञों द्वारा इस बात की आशंका जताई जा रही है कि समझौते का दायरा सीमित हो सकता है और इसमें प्लास्टिक अपशिष्ट तथा अधिक रीसाइक्लिंग या पुनर्चक्रण पर गौर किया जा सकता है, जैसा कि कुछ प्लास्टिक उत्पादक तथा तेल एवं गैस निर्यातक चाहते हैं।

मार्च 2022 में, 175 देशों ने 2024 के अंत तक महासागरों सहित प्लास्टिक प्रदूषण पर पहली कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि करने पर सहमति व्यक्त की। यह वार्ता के लिए एक बहुत ही छोटी समय सीमा है, जिसका उद्देश्य समस्या निपटना है। यह प्लास्टिक के लिए संयुक्त राष्ट्र की अंतर-सरकारी वार्ता समिति की पांच बैठकों में से चौथी बैठक है।

यूएनईपी की वेबसाइट के हवाले से यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा कि यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है, जब हम किसी ऐसी चीज को ठीक कर सकते हैं, जिसके बारे में सभी जानते हैं कि उसे ठीक करने की जरूरत है, क्योंकि पर्यावरण में प्लास्टिक प्राकृतिक नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, दुनिया भर में लोग जो कुछ भी देखते हैं, उससे घृणा करते हैं। कछुए की नाक में तिनका, मछली पकड़ने के उपकरणों से भरी व्हेल। मेरा मतलब है, यह वह दुनिया नहीं है, जिसमें हम रहना चाहते हैं।

एंडरसन ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि यह एक "प्लास्टिक विरोधी" प्रक्रिया है क्योंकि प्लास्टिक के कई उपयोग हैं जो दुनिया की मदद करते हैं। लेकिन, उन्होंने कहा कि संधि को अनावश्यक एक बार-उपयोग होने वाले और अल्पकालिक प्लास्टिक उत्पादों को खत्म करना चाहिए जिन्हें अक्सर दफनाया जाता है, जला दिया जाता है या फेंक दिया जाता है।

दुनिया भर में प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता जा रहा है और यदि इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ तो अनुमान है कि 2050 तक यह दोगुना या तिगुना हो जाएगा।

लॉरेंस बर्कले राष्ट्रीय प्रयोगशाला के शोधकर्ताओं ने पिछले सप्ताह जलवायु प्रभाव की जांच करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की, रिपोर्ट में कहा गया कि यदि उत्पादन इसी तरह बढ़ता रहा, तो इस प्रक्रिया से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन दोगुना से अधिक हो जाएगा। यह शेष वैश्विक कार्बन बजट का 21 से 26 फीसदी उपयोग कर सकता है, जो कि 1850 के दशक से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक वार्मिंग को सीमित करने के अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य पर या उससे नीचे रहते हुए अभी से 2050 के बीच कितना कार्बन उत्सर्जन हो सकता है।

ज्यादातर प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनता है। कॉप 28 के नाम से जानी जाने वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में वार्ताकारों ने पिछले दिसंबर में सहमति जताई थी कि दुनिया को गर्म करने वाले जीवाश्म ईंधन से दूर जाना चाहिए और अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को तीन गुना बढ़ाना चाहिए।

लेकिन जैसे-जैसे जीवाश्म ईंधन को कम करने का दबाव बढ़ता गया, तेल और गैस कंपनियां अपने कारोबार के प्लास्टिक पक्ष को जीवन रक्षक के रूप में देख रही हैं, एक ऐसा बाजार जो बढ़ सकता है।

विशेषज्ञों ने वार्ता के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में तेल और गैस उत्पादक देशों को बताया है जो ऐसी संधि नहीं चाहते हैं जो प्लास्टिक बनाने के लिए जीवाश्म ईंधन निकालने और निर्यात करने की उनकी क्षमता को सीमित करती हो। विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें एक ऐसी संधि चाहिए जो प्लास्टिक में खतरनाक रसायनों पर वैश्विक नियंत्रण रखे और प्लास्टिक उत्पादन की तीव्र वृद्धि को रोके।

Subscribe to Weekly Newsletter :