परागणकों में आ रही है गिरावट, खतरे में है 90 फीसदी जंगली पौधों का अस्तित्व
शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया भर में करीब 200 करोड़ छोटे किसानों की पैदावार के लिए इन छोटे जीवों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाएं ...
पिछले 6 दशकों के दौरान भूमि उपयोग में आए बदलावों से 32 फीसदी जमीन हुई है प्रभावित
1960 से 2019 के बीच 4.3 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के भूमि उपयोग में बदलाव किया गया है| इसी का परिणाम है कि वन ...
वन्य प्राणियों के लिए मौत का फंदा बनती जा रही हैं बिजली की तारें
वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में करीब 200 से अधिक जंगली जानवर की मौत करंट लगने के ...
भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा हर मेंढ़क की पहचान करने का नया तरीका
वैज्ञानिकों ने मेंढ़क को बिना नुकसान पहुंचाए उनकी पहचान की है। इसके लिए उन्होंने जीवों को पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर हॉटमोट्टर का उपयोग किया
क्यों कम हो रही हैं उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं?
पिछले वर्ष 3 मई तक 99 हेक्टेअर जंगल आग की भेंट चढ़ चुके थे, लेकिन इस साल 11 हेक्टेअर में ही आग लगी है
विलुप्ति से बचाएगा शेरों का नया आनुवंशिक अध्ययन
शोधकर्ताओं ने शेरों को विलुप्ति से बचाने के लिए उनके जीनोम का एक व्यापक परीक्षण किया है। एक जीव का जीनोम उसके वंशानुगत जानकारी ...
कोरोना के साथ वन्यजीवों को शिकार से बचाने की भी चुनौती बढ़ी
देहरादून और नैनीताल के चिड़ियाघरों में खासतौर पर बिल्ली के प्रजातियों वाले बाघ-गुलदार जैसे जानवरों की विशेष निगरानी की जा रही है
2030 तक नष्ट हो जाएंगे 112,000 वर्ग मील के दायरे में फैले प्राकृतिक आवास
एक अध्ययन से पता चला है कि शहरीकरण का सबसे अधिक असर उष्णकटिबंधीय वनो पर पड़ रहा है। जहां शहरी क्षेत्रों का तेजी से ...
एक पेड़ से सीजन में होती है 1.5 लाख तक आमदनी, फलियों से बनते हैं व्यंजन
मणिपुर में अमीर परिवार बेटियों की शादी में इस पेड़ का पौधा उपहार स्वरूप देते हैं, इसकी फलियों से स्वादिष्ट व पौष्टिक व्यंजन बनाए ...
“विनाश को विकास मान हम खुशफहमियों के भ्रमजाल में हैं”
उत्तराखंड में चिपको आंदोलन की अलख जगाने वाले 86 वर्षीय चंडीप्रसाद भट्ट को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डाउन टू ...
तो क्या उत्तराखंड में सामान्य से ज्यादा हो गई गुलदारों की संख्या?
उत्तराखंड में गुलदार और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसको लेकर कोई योजना इसलिए नहीं बन पा रही है, क्योंकि ...
वन्यजीवों के व्यवहार को जानना जरूरी, तब बच सकती है इंसानों की जान
उत्तराखंड में गुलदार का शिकार करने वाले लखपत रावत कहते हैं कि इंसान व जानवर दोनों को बचाना जरूरी है, लेकिन इसके लिए इंसानों ...
एवियन बोट्यूलिज्म से ही हुई है सांभर झील में 18 हजार पक्षियों की मौतः रिपोर्ट
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली की गुरूवार को आई रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि सांभर झील में 18,496 पक्षियों की ...
एनजीटी की रोक के बाद भी अरावली में हो रहा है निर्माण
अरावली में 260 एकड़ जमीन सीआईएसएफ को बेची गई है, इसके बारे में पता चलते ही एनजीटी पर किसी भी तरह के निर्माण पर ...
आखिर क्यों पक्षियों की कब्रगाह बनती जा रही है सांभर झील
राजस्थान के सांभर जिले में प्रवासी पक्षियों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला है कि ...
कच्छ में भी प्रवासी पक्षियों की मौत, सांभर में एसडीआरएफ ने संभाली कमान
राजस्थान के सांभर झील के आसपास प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला थमा नहीं है। अब गुजरात के कच्छ इलाके में भी पक्षियों की ...
पौधों की 59 फीसदी बीमारियों को रोक सकती हैं चींटियां, शोध में खुलासा
चींटियों की वजह से सेब के दो रोगों पर काबू किया गया, अब नए अध्ययन पता चला है कि चींटियां 14 तरह के पौधों ...
आसान नहीं है मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकना
उत्तराखंड में जगह-जगह जंगली जानवरों के हमले बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड वन विभाग कुछ नहीं कर पा रहा है
किसानों ने पेश की मिसाल, पक्षियों के लिए दी अपनी जमीन
इस पक्षी अभयारण्य 140.29 एकड़ जमीन में फैले इस पक्षी अभयारण्य की देख रेख का जिम्मा भी समुदाय के हाथ में ही होगा
जंगलों में अतिक्रमण का सर्वे करने में एफएसआई को लग सकते हैं 16 साल
एफएसआई ने कहा है कि उसके पास 20 आदमियों का स्टाफ है और इसी क्षमता के साथ उसे देश के सभी जंगलों में अतिक्रमण ...
जिंदगी खतरे में डाल मछलियां पकड़ने को मजबूर हैं सुंदरवन के मछुआरे
जानकारों का कहना है कि सुंदरवन में जमीन घट रही है। 1969 से लेकर अब तक सुंदरवन की 250 वर्ग किलोमीटर जमीन पानी में ...
उत्तराखंड के 180 वर्ग किमी क्षेत्र में उगा जंगल, नहीं मिलेगी खेती की इजाजत
यूसैक की रिपोर्ट के मुताबिक, हर जिले में 10 से 15 वर्ग किमी कृषि भूमि पर जंगल उग चुका है, जिसे डीम्ड फॉरेस्ट कहा ...
जानें क्यों जंगलों में बीज बम फेंक रहे हैं ये युवा
उत्तराखंड में 40 युवाओं का एक दल जंगलों में जगह-जगह बीज बम फेंक रहा है। इनका मकसद वन्य जीवों के साथ-साथ खेती-किसानी बचाना है।
लक्षित आबादी तक पहुंच नहीं पाया वन विकास निगम
एफडीसी के कई उद्देश्यों में से एक प्रमुख उद्देश्य था, पिछड़े क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को पर्याप्त सहयोग व वानिकी गतिविधियों के विकास पर निर्भर आदिवासी ...
क्या बारिश से ही बुझ सकती है जंगल की आग
उत्तराखंड के जंगलों में आग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ता ने कहा, हर साल लगने वाली आग वन्य जीवों के लिए खतरा बन ...