बैगा आदिवासियों के दिल्ली वाले बाबा नहीं रहे !
प्रभुदत्त खेड़ा बैगा आदिवासियों के बीच शिक्षा बांटते रहे हालांकि वे हमेशा यही कहते थे कि बैगाओं को पर्यावरण और वनस्पतियों का ज्ञान किसी ...
सीएसई ने जारी की भारत के उर्वरक उद्योग की पर्यावरणीय रेटिंग
सीएसई और ग्रीन रेटिंग प्रोजेक्ट की ग्रेडिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि उर्वरक उद्योग ऊर्जा इस्तेमाल और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के मामले ...
ग्रीन बोनस की खैरात नहीं, राॅयल्टी का हक चाहिए: जगत सिंह जंगली
हिमालयन कॉन्कलेव में ग्रीन बोनस की बात आने के बाद पर्यावरण सेवाओं के बदले आर्थिक लाभ के मांग सबसे पहले उठाने वाले जगत सिंह ...
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप पर लगाम जरूरी
उत्तराखंड के औली पर्यटन स्थल में एक शादी का भव्य आयोजन होने जा रहा है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिमालयी क्षेत्र ...
जलवायु परिवर्तन नहीं, जलवायु प्रलय कहिए
जलवायु आपातकाल वास्तविक है हमें इसके प्रलय से बचने के लिए वास्तविक कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाना होगा
जीडीपी नहीं अब जीईपी
उत्तराखंड भारत का पहला राज्य होगा जो अर्थव्यवस्था को सकल घरेलू उत्पा द की बजाय सकल पर्यावरण उत्पा द के आधार पर गणना करेगा।
मौसम बदलने वाले बादल
प्रदूषकों से भरे बादल मौसम में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। मौसम को प्रभावित करता करने वाला कारक एरोसॉल है।
विज्ञान का कपट
इस बात के प्रमाण हैं कि यह रसायन जहरीला है फिर भी सरकारें इस पर प्रतिबंध लगाने से क्यों हिचक रही हैं? आखिर हम ...
समतल बीहड़, खतरा या अवसर
प्राकृतिक स्थिति से छेड़छाड़ की वजह से चंबल नदी में गाद और बाढ़ का खतरा बढ़ने की आशंका है।
सालाना 1,800 मेगाग्राम पारा उत्सर्जित कर रही दुनिया, जानिए कैसे हो रहा देशों के बीच प्रवाह
पारे के वैश्विक प्रवाह के विश्लेषण से पता चला है कि इसके उत्सर्जन से जुड़ा करीब आधा जोखिम इसके वैश्विक व्यापार से जुड़ा है।
विश्व बैंक ने फंड देने से किया इनकार तो अधर में लटका भारत का तटीय मिशन!
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बजट पर विभागीय संसदीय समिति ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं
अडानी पावर लिमिटेड को मिली संशोधित पर्यावरण मंजूरी पर एनजीटी में उठा सवाल
28 मई को एनजीटी के समक्ष एक नया मामला सामने आया है| जिसमें गोड्डा, झारखंड में अदानी पावर को दी गई संशोधित पर्यावरण मंजूरी ...
स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2021: जहरीली हवा ने ली 16.7 लाख लोगों की जान
वायु प्रदूषण पूरी दुनिया में अकाल मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण रहा
एसओई इन फिगर्स 2023: हर रोज 30 किसान व खेतिहर मजदूर कर रहे आत्महत्या
किसानों की आय को दोगुना करने के केंद्र के वादे के बावजूद आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या पांच वर्षों में सबसे अधिक है
पर्यावरण के लिए बलिदान: अमृता विश्नोई के नेतृत्व में 363 लोगों ने दे दी थी जान
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिस विश्नोई समाज के लोग समर्पित हैं, उसी तरह अन्य समाज को भी आना होगा
आदिवासियों से पूछिए क्या है जीवनशाला की सच्चाई
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आदिवासी तीन दशक से स्वयं के प्रयास से 7 जीवनशाला स्कूल चला रहे हैं
एसओई एन फिगर्स 2022: अमृत महोत्सव के लक्ष्य क्या हो पाएंगे पूरे?
साल 2022 भारत की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष है और देश इसे आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। भारत सरकार ...
वन अधिकार कानून – जनजाति कार्य मंत्रालय का आधिकारिक अधिग्रहण, वन विभाग हुआ शक्ति सम्पन्न
यह अनुष्ठान वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दोनों मंत्रियों प्रकाश जावडेकर और बाबुल सुप्रियो के लिए बा हैसियत अंतिम अनुष्ठान साबित हुआ
एसओई 2021: हम और हमारा पर्यावरण दोनों खतरे में है
महामारी के घाव कई दशकों तक रहेंगे, जिसके निशान हमारे जीवन के हर एक भाग पर पड़े हैं। स्टेट ऑफ इंडियाज एनवॉयरमेंट की ताजा ...
विकास परियोजनाओं पर होने वाली जनसुनवाई अब खत्म होगी?
केंद्र सरकार पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्रकिया में बदलाव कर इस प्रक्रिया को खत्म करने की तैयारी में है
गांवों से भी गुम हो रही है सुगंध
आज से 10-15 साल पहले तक जिन गांवों में हर घर में गाय, भैंस और बैल होते थे, किसी घर में मुश्किल से ही ...
क्या पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं उत्तराखंड के होम स्टे, एनजीटी ने मांगा जवाब
एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया है कि बड़े होटल संचालक होम स्टे स्कीम का कॉमर्शियल फायदा उठा रहे हैं, जिससे पर्यावरण को ...
जानिए, कहां हुई थी आर्सेनिक की वजह से पहली मौत
चिली के अरीका शहर में 7,000 साल पहले चिंचोरो समुदाय को आर्सेनिक की मार झेलनी पड़ी थी, वहां सबसे पहले एक बच्चे की मौत ...
2017 में देश भर में हुए 42143 पर्यावरणीय अपराध, तमिलनाडु शीर्ष पर
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2016 के मुकाबले 2017 में नौ गुणा ज्यादा पर्यावरणीय आपराधिक मामले दर्ज किए गए
न समस्या मानेंगे, न हल निकलेगा
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा आयोजित अनिल अग्रवाल डायलॉग में पर्यावरण विषय पर न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर के व्याख्यान के अंश -