पीडीएस से बाहर गरीब बच्चों में है कुपोषण का सबसे ज्यादा खतरा
हाल ही में छपे एक नए शोध से पता चला है कि देश में जो गरीब तबका पीडीएस से बाहर है उस वर्ग के ...
आईआईटी खड़गपुर ने खेतों की उर्वरक क्षमता में सुधार के लिए बनाई नई तकनीक
यह तकनीक मैनुअल तरीकों से इस्तेमाल किए जाने वाले उर्वरकों में से 30 फीसदी तक कम करने में सफल होगी
बढ़ते शहरीकरण के कारण शहरों में जंगली मधुमक्खियां और तितलियां खतरे की कगार पर : शोध
मधुमक्खियों और तितलियों के पहले व्यापक विश्लेषण में 133 अध्ययनों के आंकड़ों को शामिल किया गया हैं, इसके निष्कर्ष शहरी क्षेत्रों में प्रकृति संरक्षण ...
भारत सहित एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहने वाले 180 करोड़ लोगों की पहुंच से बाहर है पोषक आहार
कोविड-19 के बाद से इस क्षेत्र में भुखमरी का शिकार लोगों की संख्या में 5.4 करोड़ का इजाफा हुआ है, जिससे इस समस्या से ...
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस: हजार गुना अधिक हो चुकी है प्रजातियों की विलुप्त होने की दर
विकासशील देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 80 प्रतिशत लोग बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल के लिए पारंपरिक पौधों पर आधारित दवाओं पर निर्भर हैं
महामारी ने भारत के लोगों को ‘जैविक खाद्य’ को अपनाने के लिए प्रेरित किया: सर्वेक्षण
भारत और नेपाल में 600 लोगों का सर्वेक्षण किया गया ताकि यह पता लगाया जा सके कि हाल ही में खाने की आदतें और ...
हर साल 10,556 मीट्रिक टन फास्फोरस हो रहा है बर्बाद, पानी के प्रदूषित होने के भी आसार
दुनिया भर में लगभग तीन-चौथाई खेती की मिट्टी में फास्फोरस की कमी है, भारत जैसे एशियाई देशों में फास्फोरस की कमी सबसे गंभीर है।
कॉटन कैंडी में मिला हानिकारक रोडोमाइन-बी केमिकल, हिमाचल में बिक्री पर रोक
हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर में 20 फरवरी को कॉटन कैंडी के सैंपल भरे गए थे, जो फेल रहे
बढ़ते शहरीकरण के कारण परागण करने वाले जीवों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है: शोध
शोध के मुताबिक, परागणकों और पौधों के बीच होने वाली क्रिया के असर की पहचान करने के लिए, एक साल तक हर महीने बेंगलुरु ...
दुनिया भर में 80 फीसदी से अधिक खेती की जमीन को होगी पानी की कमी
पानी की आपूर्ति में कमी के कारण लगभग 60 फीसदी कृषि भूमि में नहीं हो पाएगी खेती
खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन का समाधान हैं मोटे अनाज
ग्लूटेन मुक्त होने के अलावा, मिलेट्स आयरन, कैल्शियम और जिंक से भरपूर होते हैं
कोविड-19: आसान नहीं है महामारी से उबरने की डगर, अमीर-गरीब के बीच की खाई है बड़ी समस्या
एक तरफ उच्च आय वाले देश हैं जहां की 67 फीसदी से ज्यादा आबादी का टीकाकरण पूरा हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ पिछड़े ...
भारत में आधे से अधिक फसलों की किस्मों पर मंडराया विलुप्त होने का खतरा: अध्ययन
अध्ययन में पता चला है कि भारत के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली किस्मों में एक महत्वपूर्ण विविधता पाई जाती है, ...
बढ़ती इंसानी महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ी 3 करोड़ वर्ग किलोमीटर भूमि, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
यूएनसीसीडी ने 27 अप्रैल 2022 को ‘ग्लोबल लैंड आउटलुक: लैंड रेस्टोरेशन फॉर रिकवरी एंड रेसिलिएंस’ रिपोर्ट जारी की
साल के अंत तक 145 रुपए प्रति दिन से कम में गुजारा करने को मजबूर होंगें 86 करोड़ लोग
अनुमान है कि अकेले वैश्विक खाद्य कीमतों में होती बढ़ोतरी करीब 6.5 करोड़ लोगों को गरीबी के दलदल में धकेल देगी
अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस 21 मार्च 2022: वन, सतत उत्पादन और खपत
वन क्षेत्र कम से कम 3.3 करोड़ लोगों के लिए रोजगार पैदा करता है और वनों के उत्पादों का उपयोग अरबों लोग करते हैं।
सतत विकास लक्ष्य: साढ़े तीन दशक पीछे चल रहा है एशिया-प्रशांत, जलवायु परिवर्तन के मामले में 6 अंक पिछड़ा भारत
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के मामले में भारत की स्थिति पहले से बदतर हो गई है
मधुमक्खियों को आकर्षित करने और सूखे से निपटने में मदद करते हैं सूरजमुखी के अदृश्य रंग
शोध के मुताबिक सूखे मौसम में उगने वाले सूरजमुखी में बड़े पराबैंगनी रंग वाले फूल पाए गए जो पानी को अधिक कुशलता से बनाए ...
फसलों पर जलवायु परिवर्तन के असर को कम क्यों आंक रही हैं एजेंसियां?
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2021 में 82.8 करोड़ से अधिक लोगों को भूख का सामना करना पड़ा और जलवायु परिवर्तन के कारण सदी के ...
21वीं सदी के अंत तक भूमि के 20 फीसदी हिस्से में हर साल पड़ेगा सूखा, लू का प्रकोप बढ़ेगा
मध्य एशिया, पूर्वी उत्तरी अमेरिका, मध्य यूरोप, पूर्वी अफ्रीका जैसे सबसे कमजोर भौगोलिक क्षेत्रों में 21वीं सदी के अंत तक सूखा पड़ने और लू ...
फसल उत्पादन के बदले किसान को मिलता है केवल एक चौथाई हिस्सा: रिसर्च
दुनिया भर की खाद्य अर्थव्यवस्था में अधिकतर देखा गया है कि कृषि को उतना महत्व नहीं मिलता है, जितना प्रसंस्करण, वितरण और इससे जुड़ी ...
मृदा प्रदूषण की वजह से खतरे में हैं स्वास्थ्य, खाद्यान्न उत्पादन और पर्यावरण: रिपोर्ट
मिट्टी पर बढ़ते दबाव के लिए लिए अनियंत्रित तरीके से बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियां, कृषि, खनन और शहरी प्रदूषण मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं
पहले के मुकाबले 10 गुना ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर, भारत में गहरा सकता है जल संकट
जलवायु परिवर्तन के चलते जिस असाधारण तेजी से हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं उसके चलते भारत सहित एशिया के कई देशों में जल ...
फसल उत्पादन बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढलने के लिए मिट्टी की गुणवत्ता अहम: अध्ययन
मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार से फसल उत्पादन में जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाली कमी को 20 फीसदी तक कम किया जा सकता ...
अत्याधिक बारिश से धान के खेतों को खतरा, खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा असर
धान की उपज में पहले से ही लगभग आठ फीसदी की कमी देखी गई है, सदी के अंत तक इसमें लगभग 8.1 फीसदी की ...