94 फीसदी तक वायरसों का सफाया करते है समुद्री जीव : अध्ययन
एक अध्ययन में पता चला है कि विभिन्न प्रकार के समुद्री जानवर ऑक्सीजन और भोजन के लिए समुद्री जल को छानते हुए वायरस के ...
गांजे में पाए गए एंटीबायोटिक गुण, अमेरिका में हुआ अध्ययन
गांजे में मौजूद रासायनिक यौगिक 'कैनबिनोइड' जिसे कैनबाइगरोल (सीबीजी) भी कहा जाता है, जो स्टैफिलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए)' के खिलाफ एक कारगर इलाज है
“एआई युक्त मशीनें बदल देंगी ब्रह्मांड में मानव जीवन”
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान विभाग के प्रमुख व भौतिकी वैज्ञानिक अब्राहम लोएब ने डाउन टू अर्थ से नई भौतिकी को लेकर बात की
दुर्घटना संभावित चौराहों की पहचान के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई नई तकनीक
शोधकर्ताओं ने पीईटी के आधार पर भी वाहनों के टकराने की घटनाओं का अध्ययन किया है। सड़क पर दुर्घटना की आशंका वाले बिंदु से ...
वैज्ञानिकों ने बनाई नई प्रणाली, आधे घंटे पहले बता देगी कब और कहां गिरेगी बिजली
वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित एक सरल और सस्ती प्रणाली विकसित करने में सफलता हासिल की है, जो 30 किलोमीटर के दायरे में कहीं ...
खगोल विज्ञान: ब्रह्माण्ड के तेजी से फैलने की गुत्थी सुलझाएगा यह माप
जर्नल साइंस में प्रकाशित एक नये अध्ययन में ब्रह्माण्ड के विस्तार को मापने की एक नयी विधि प्रस्तुत की गयी है, जो शायद इस ...
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने वाली ऊष्मा को बिजली में बदलेगी आईआईटी-मंडी
दुनिया में 70 फीसदी ऊर्जा ऊष्माके रूप में बर्बाद हो जाती है और यह ऊष्मा वातावरण में चली जाती है, ऊष्मा ग्लोबल वार्मिग का ...
क्यों शुरू हुई थी डाउन टू अर्थ मैगजीन
मई 1992 में डाउन टू अर्थ के संस्थापक संपादक अनिल अग्रवाल द्वारा मैगजीन के पहले अंक के लिए लिखा गया संपादकीय
पेपर सेंसर से मिलेगी दूध की शुद्धता की जानकारी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने एक नई किट विकसित की है, जो दूध की ताजगी की पहचान को अधिक आसान है
रक्त कैंसर की दवा बनाने में मददगार हो सकते हैं अंटार्कटिका में मिले कवक
भारतीय वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में ऐसी कवक प्रजातियों की खोज की है, जिनसे रक्त कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाले एंजाइम का उत्पादन ...
कमल की पत्तियों से बनाया ईको- फ्रेंडली मैटेरियल
सुपरहाइड्रोफोबिक या जल विकर्षक मैटेरियल आमतौर पर विषैले तत्वों से बनते हैं, जो जैविक रूप से अपघटित नहीं हो पाते और पर्यावरण को नुकसान ...
लवणीय भूमि में भी हो सकेगी कद्दू की अच्छी पैदावार
भारतीय कृषि वैज्ञानिकों को कद्दू की अधिक उपज देने वाले संकर पौधे विकसित करने में सफलता मिली है
प्रवाल-भित्तियों को नष्ट कर रहे हैं समुद्री स्पंज
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार विरंजन, रोगों, अंधाधुंध मछली पकड़ने और प्रदूषण के कारण मन्नार की खाड़ी के प्रवाल भित्तियों को पहले ही काफी नुकसान झेलना ...
पिशरोथ रामा पिशरोटी : भारत में सुदूर संवेदन के जनक
1960 के दशक के अंत में उन्होंने नारियल विल्ट रोग का पता लगाने के लिए अपने सुदूर संवेदन संबंधी अग्रणी प्रयोग किए जो सफल ...
हैदराबाद में उद्योगों के लिए खुला 3डी प्रिंटिंग केंद्र
यह केंद्र भारतीय उद्योगों को एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग के करीब लाने और उत्पादन की इस नई तकनीक को बढ़ावा देने में मददगार हो सकता है। ...
नेपाल के लोगों से मिलती-जुलती है भारत के हिमालयी राज्यों में रहने वाले लोगों की वंशावली
वंशक्रम में से कुछ शुरुआती मिश्रण के ऐसे प्रमाण मिलते हैं जो उत्तराखंड, भारत की कुछ हिमालयी क्षेत्रीय जनसंख्या सहित विभिन्न नेपाली आबादी में ...
वैज्ञानिकों ने बनाई कम कार्बन वाली ईंटें, निर्माण और तोड़-फोड़ वाले कचरे से मिलेगी निजात
कम मात्रा में कार्बन अवशोषित करने वाली इन ईंटों में चिनाई की थर्मल विशेषता से लेकर संरचनात्मक और मजबूती से संबंधित कई खूबियां शामिल ...
उम्र बढ़ने से क्यों कम हो जाती है याददाश्त, वैज्ञानिकों ने लगाया पता
उम्र बढ़ने से शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा कम हो जाती है, इससे नाइट्रोसिलेशन कम हो जाता है जिससे याददाश्त और सीखने की ...
डाउन टू अर्थ विशेष: धरती के गर्भ का रहस्य जानने की कवायद में जुटी दुनिया
दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर छेद (ड्रिलिंग) करके पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से का विश्लेषण किया जा रहा है
भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया यूरिक एसिड का पता लगाने वाला सेंसर
शरीर में यूरिक एसिड सबसे महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट में से एक है जो रक्तचाप की स्थिरता को बनाए रखता है और जीवित प्राणियों में ऑक्सीडेटिव ...
टाइमलाइन: यह है धरती का 450 करोड़ साल का सफर
450 करोड़ साल पहले धरती बनी थी, तब से लेकर अब तक क्या हुआ, यहां समझिए-
कोचिंग अर्थव्यवस्था के लिए कितनी मुफीद है ऑनलाइन शिक्षा
ऑनलाइन शिक्षा के कारण कोचिंग सेंटर्स और उसके आसपास के इलाके सूने पड़ गए हैं
वैज्ञानिकों ने खोजी फर्न की नई प्रजाति
धरती पर फर्न की प्रजातियां शुरुआती क्रेटेशियस अवधि में 14.5 करोड़ साल पहले दिखाई दिए थे
आविष्कार: भारतीय लाल बिच्छू के डंक के इलाज में मदद करेगा यह फॉर्मूला
अपने जानलेवा डंक के कारण भारतीय लाल बिच्छू (मेसोबुथुस टैमुलस), दुनिया के सबसे खतरनाक बिच्छुओं में से एक माना जाता है
प्लूटो की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 80 हजार गुना कम: अध्ययन
खगोल विज्ञान में ऐसे प्रच्छादन तब होते हैं, जब कोई खगोलीय वस्तु उनके बीच से गुजरने वाली किसी अन्य खगोलीय वस्तु के कारण पर्यवेक्षक ...