वनों की बहाली में नजरअंदाज नहीं की जा सकती छोटे-बड़े पक्षियों और जानवरों की भूमिका
बीजों को बिखेर कर पक्षी और जानवर उजड़े हुए जंगलों में पेड़-पौधों की विविधता को फिर से कायम करने में मदद करते हैं
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस: इतिहास, महत्व और क्यों मनाया जाता है यह दिन?
भारत में बाघों की आबादी की गणना के मुताबिक इनकी कुल संख्या 2014 में 2,226 से 2018 में बढ़कर 2,967 हुई
नए युग में धरती: कुछ दशकों में खत्म हो जाएंगे अफ्रीकी हाथी
नया अध्ययन बताता है कि अवैध शिकारियों ने 2010 से 2012 के बीच पूरे अफ्रीका में अनुमानतः एक लाख हाथी (लोक्सोडोंटा अफ्रीकाना) मार दिए
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: मणिपुर में प्रस्तावित की गई हैं 2,282 जैव विविधता प्रबंधन समितियां: रिपोर्ट
पर्यावरण से संबंधित मामलों में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-
भारत में इंसानी लालच की भेंट चढ़ते वन्यजीव, तीन दशकों में अवैध व्यापार का शिकार हुए 8,603 पैंगोलिन
यह शर्मीले जीव पिछले करीब छह करोड़ वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद है। भारत में इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं और दोनों ही ...
कुछ जानवर समय के साथ आकार में बड़े तथा कुछ छोटे होते गए, आखिर क्यों?
अलास्का के घोड़े, क्रिप्टोडिरन कछुए और आइलैंड की छिपकलियां समय के साथ क्यों सिकुड़ गईं, इसका रहस्य एक नए अध्ययन में सुलझाया गया है।
अनोखी विशेषता वाले कछुओं और मगरमच्छों के विलुप्त होने की आशंका सबसे ज्यादा: अध्ययन
कुछ प्रजातियां बीज फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं, कुछ बिल बनाकर अन्य प्रजातियों के लिए आवास बनाते हैं और अन्य शिकारी होते हैं ...
खाने के मामले में भी मौजी होती हैं हाथी, खास पौधे को ही बनाते हैं निशाना
अध्ययन में पाया गया कि हाथी अपने आहार के साथ चयनात्मक होते हैं, उत्तर पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई पौधों की 286 प्रजातियों ...
सफेद गैंडों के विलुप्त होने से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा अनोखा तरीका
शोधकर्ताओं ने भ्रूणीय स्टेम सेल (ईएससी) से प्रारंभिक जर्म या बीज कोशिकाओं (पीजीसी) और प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल (आईपीइससी) से गैंडे के अंडे और शुक्राणु ...
विशालकाय जीवों के क्रोमोसोम-स्केल जीनोम से खतरे में पड़ी आबादी को बचाया जा सकता है
अल्दाब्रा विशाल कछुआ 300 किलोग्राम तक के वजन तक पहुंच सकता है और आम तौर पर 100 से अधिक वर्षों तक जीवित रहता है
दार्जिलिंग में 170 साल बाद फिर से खोजा गया सींग वाला लाल तीतर
सत्यर ट्रैगोपान या सींग वाले तीतर को पहली बार 1842 में दार्जिलिंग जिले के वर्तमान कुर्सेओंग और सोनदा क्षेत्र के बीच देखा गया था।
संसद में आज: जंगली जानवरों के हमले की घटनाओं के सरकार के पास नहीं है आंकड़े
प्रतिपूरक वनरोपण प्रबंधन अधिनियम (कैम्पा) के तहत 33 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को 48,636.64 करोड़ की राशि का वितरण किया गया है।
बिजली की लाइनों से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को बचाने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्देश
समिति को अपना कार्य पूरा करने और 31 जुलाई, 2024 या उससे पहले केंद्र सरकार के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपने ...
जग बीती: कौन करेगा विलुप्ति की फिक्र
भीमबेटका में मिले करोड़ों साल पुराने डिकिंसोनिया जीवाश्म
यहाँ लगातार हो रहे शोधों के बावजूद इस दुर्लभ जीवाश्म से अब तक परदा नहीं उठ सका था
जारी है जैव विविधता में गिरावट
जैव विविधता में हो रहा क्षय मानव गतिविधियों का मिला-जुला परिणाम है
“द चंपा मैन”: केबीसी विजेता सुशील कुमार की नई पहचान
केबीसी में 5 करोड़ जीतने वाले सुशील कुमार अब तक 80 हजार चंपा के पौधे लगा चुके हैं
आस्ट्रेलिया में हो रही हैं आग लगने की सबसे अधिक घटनाएं
2015 के बाद 2019 में हुई आग लगने की सबसे अधिक घटनाएं, अफ्रीका भी है आग की चपेट में
अमेजन के जंगल की अंधाधुंध कटाई: 10 साल में कटा 84 लाख फुटबॉल मैदान जितना जंगल
कई शोध बताते हैं कि एक मिनट में अमेजन से 3 फुटबॉल मैदान जितना जंगल खत्म हो रहा है
ईरान में खोजी गई रेसरनर छिपकलियों की दो नई प्रजातियां, जानिए क्यों हैं खास
रेसरनर छिपकलियां अपनी रफ्तार के लिए जानी जाती हैं। कुछ प्रजातियां को तो 28 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से दौड़ते देखा गया ...
इंसानों और पक्षियों की दोस्ती की मिसाल बना यह गांव
राजस्थान के जोधपुर जिले में फलौदी के पास बसे छोटे-से गांव खीचन में बने चुग्गा घर में देशी ही विदेशी पक्षी भी दाना चुगने ...
मुदुमलाई टाइगर रिजर्व से आक्रामक प्रजाति के वृक्षों को हटाने की तैयारी
तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में स्थित टाइगर रिजर्व के कोर और बफर जोन में पिछले पांच सालों में आक्रामक प्रजाति के वृक्ष 800 से ...
डाउन टू अर्थ खास: खानपान में बदलाव से कम हो रही है आदिवासियों की उम्र!
खानपान में परिवर्तन और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण आदिवासी आबादी की जीवन प्रत्याशा में कमी आ रही है
यात्रा वृतांत: उत्तराखंड का यह गांव, जहां से युवा नहीं करते पलायन
उत्तराखंड के गांव के गांव खाली हो रहे हैं। सबसे पहले युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, लेकिन इन गांवों में ऐसा ...
उत्तराखंड की 1 लाख इको-उद्यमी बनाने की योजना से जुड़ी उम्मीदें और सवाल
अक्टूबर 2021 में इकोप्रेन्योरशिप कार्यक्रम की घोषणा की गई थी, लेकिन क्या यह योजना हकीकत बन पाएगी