मानसून के बारे में क्या जानते हैं आप?

सामान्य से कम, सामान्य और सामान्य से अधिक वर्षा क्या है?

By Dayanidhi
Published: Tuesday 01 June 2021
Photo : Wikimedia Commons

मौसम विभाग ने बताया है कि मानसून केरल पहुंचने वाला है, क्या आप जानते है कि मानसून या मौसमी बारिश और सामान्य वर्षा क्या होती है।

पूरे भारत में मासिक और मौसमी वर्षा क्या है?

अखिल भारतीय मासिक वर्षा एक विशेष महीने में भारत में होने वाली कुल वर्षा की मात्रा है। उदाहरण के लिए, जून 2018 में पूरे भारत में महीने भर में हुई वर्षा 155.7 मिमी थी। इसी प्रकार मौसमी वर्षा एक विशेष मौसम के दौरान भारत में होने वाली कुल बारिश की मात्रा है। 2018 के दक्षिण-पश्चिम मानसून (जेजेएएस) को ले तो भारतीय मौसमी वर्षा 804.1 मिमी थी। ये मात्राएं कभी भी स्थिर नहीं होती हैं अर्थात यह साल-दर-साल इसकी मात्रा अलग-अलग होती है। 

वर्षा का लंबी अवधि का औसत (लॉन्ग पीरियड एवरेज, एलपीए) से क्या तात्पर्य है?

वर्षा का एलपीए एक विशेष क्षेत्र में एक निश्चित अंतराल (जैसे महीने या मौसम) के लिए औसत लंबी अवधि जैसे 30 साल, 50 साल आदि के लिए दर्ज की गई वर्षा की मात्रा है। यह किसी विशिष्ट महीने या मौसम के लिए उस क्षेत्र में होने वाली वर्षा की मात्रा का पूर्वानुमान लगाते समय एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है। उदाहरण के लिए, जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीनों में केरल में दक्षिण पश्चिम मानसून की वर्षा का एलपीए क्रमशः 556 मिमी, 659 मिमी, 427 मिमी और 252 मिमी है। 1961-2010 की अवधि में औसत वर्षा के आधार पर अखिल भारतीय दक्षिण पश्चिम मानसून वर्षा का वर्तमान एलपीए 880.6 मिमी है।

अधिक वर्षा, बहुत अधिक वर्षा, सामान्य वर्षा, वर्षा में कमी, वर्षा में बहुत कमी होना क्या है?

ये वर्षा की अलग-अलग श्रेणियां हैं जिनका उपयोग विभिन्न अस्थायी पैमानों जैसे दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि, स्थानीय आधार पर जैसे जिलों, राज्यों के लिए औसत वर्षा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। तदनुसार, जब वास्तविक वर्षा 60 फीसदी, 20 फीसदी से 59 फीसदी, -19 फीसदी से +19 फीसदी, -59 फीसदी से -20 फीसदी, -99 फीसदी से -60 फीसदी लंबी अवधि के औसत (एलपीए) होती है, तो वर्षा में क्रमशः बहुत अधिक वर्षा का होना, अधिक , सामान्य वर्षा का होना, वर्षा में कमी, वर्षा में बहुत अधिक कमी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

पूरे देश में सामान्य से कम, सामान्य और सामान्य से अधिक वर्षा क्या है?

सामान्य से कम बारिश का मतलब है कि 90 से 96 फीसद वर्षा को लेकर 25 फीसद तक का पूर्वानुमान। वहीं सामान्य वर्षा अर्थात 96 से 104 फीसद बारिश की संभावना 40 फीसदी का अनुमान लगाया गया है। सामान्य से अधिक वर्षा यानी कि 104 से 110 फीसदी बारिश की संभावना 16 फीसदी तक का अनुमान लगाया गया है। अत्यधिक बारिश के बारे में बात करें तो 110 से अधिक महज 5 फीसदी का पूर्वानुमान लगाया गया है।

पूरे भारत में मानसून के मौसम (जून से सितंबर) की वर्षा के मामले में, लंबी अवधि का औसत (एलपीए) 88 सेमी है और मानक विचलन 9 सेमी (औसत मूल्य का लगभग 10फीसदी) है। इसलिए, जब देश में वर्षा औसत के रूप में होती है पूरे लंबी अवधि के औसत (एलपीए) से ± 10 फीसदी या एलपीए के 90 फीसदी से 110 फीसदी के भीतर है, इस वर्षा को "सामान्य" कहा जाता है और जब वर्षा एलपीए का 90 फीसदी से कम और 110 फीसदी से अधिक होती है, तो वर्षा के सामान्य से ऊपर होना कहा जाता है।

मानसून ट्रफ की क्या भूमिका है?

एक ट्रफ कम दबाव का एक क्षेत्र है जो बड़े इलाके तक फैली हुई होती है। जैसे मानसून ट्रफ एक कम दबाव वाला क्षेत्र है जो पाकिस्तान के ऊपर कम गर्मी से लेकर बंगाल की खाड़ी के मुख्य भाग तक फैला हुआ है। यह मानसून परिसंचरण के आधी स्थायी विशेषता में से एक है। आमतौर पर मानसून ट्रफ का पूर्वी भाग कभी दक्षिण की ओर और कभी उत्तर की बढ़ता है।

दक्षिण की ओर जाने के परिणामस्वरूप भारत के प्रमुख भाग में सक्रिय या जोरदार मानसून होता है। इसके विपरीत, इस ट्रफ के उत्तर की ओर पलायन से भारत के बड़े हिस्से में मानसून की स्थिति कमजोर पड़ जाता है और हिमालय की तलहटी में भारी बारिश होती है और कभी-कभी ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ जाती है।

अगले अंक में पढ़ना न भूलें कि मानसून में कमी आना क्या है, यह मानसून को कैसे प्रभावित करता है?

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