मानसून का छोटे से मध्यम श्रेणी का पूर्वानुमान क्या होता है?

समय सीमा के आधार पर मानसून का पूर्वानुमान लगाना सबसे कठिन होता है

By Dayanidhi
Published: Friday 11 June 2021
Photo : Wikimedia Commons

पिछले भाग में हमने मैडेन जूलियन ऑसीलेशन और अन्य मौसम संबंधी तथ्यों के बारे में जानकारी ली थी कि यह वर्षा को कैसे प्रभावित करते हैं? अब इस भाग में हम मौसम के पूर्वानुमान लगाने संबंधी विभिन्न तरीकों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे

मानसून की बढ़ी हुई सीमा का पूर्वानुमान क्या होता है?
बढ़ी हुई सीमा का पूर्वानुमान लगभग 10 दिनों से लेकर 30 दिन पहले तक की अवधि के लिए होता है। बढ़ी हुई समय सीमा के संबंध में यह मध्यम श्रेणी (उष्णकटिबंधीय में लगभग एक सप्ताह) और मौसमी पैमाने के बीच के समय की माप है और यह एक महीने की अवधि तक बढ़ा हुआ होता है। मानसून की बढ़ी हुई समय सीमा जिसे मौसम के साथ जुड़ी हुई समय सीमा या मानसून का सक्रिय चक्र भी कहा जाता है।

संयुक्त सीमा प्रणाली और मैडेन जूलियन ऑसिलेशन (एमजेओ) जैसे अन्य दोलन समय के आधार पर मानसून को प्रभावित करते हैं।

समय सीमा के आधार पर मानसून का पूर्वानुमान लगाना सबसे कठिन होता है, क्योंकि न तो यह शुरू का पूरा समय होता है (जैसे कम से मध्यम श्रेणी की भविष्यवाणी) और न ही इसकी समय सीमा पूरी होती है (मौसमी पूर्वानुमान की तरह) लेकिन यह सभी समय के आधार पर आर्थिक और कृषि क्षेत्र के हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण है।

इस तरह एक निशिचत समय के आधार पर पूर्वानुमान लगाना कठिन हो जाता है क्योंकि समय की अवधि लंबी होती है जिससे कि वायुमंडल की शुरुआती स्थितियों को याद रखना बड़ा कठिन होता है।

ईआरएफ की पूर्वानुमान सटीकता क्या है?
समय सीमा के आधार पर मानसून के पूर्वानुमान लगाने के संबंध में आईएमडी युग्मित मॉडल से इसका पता लगाता है। यह मानसून की शुरुआत, मानसून वापसी, मानसून के सक्रिय होने, रुकने के चरणों और सक्रियता पर रोक लगने के बारे में बहुत उपयोगी मार्गदर्शन देता है।

मानसून का छोटे से मध्यम श्रेणी का पूर्वानुमान क्या होता है?
मानसून की छोटी अवधि का पूर्वानुमान 3 दिनों तक के लिए लगाया जाता है और मध्यम श्रेणी का पूर्वानुमान 3 से 10 दिनों तक के लिए लगाया जाता है। यह पूर्वानुमान कृषि गतिविधियों की योजना बनाने, आपदा प्रबंधन, नगर नियोजन आदि के लिए उपयोगी है।

भारी वर्षा के संबंध में  छोटी से मध्यम श्रेणी के पूर्वानुमान की सटीकता क्या है?
वर्षा वितरण, भारी वर्षा की घटनाओं को कैप्चर करने और 3 से 4 दिन पहले तक संयुक्त प्रणाली के गठन को कैप्चर में छोटी से मध्यम श्रेणी के पूर्वानुमान की सटीकता काफी अच्छी होती है। शुरुआती दौर में त्रुटि के कारण पूर्वानुमान की सटीकता 5 दिनों से अधिक घट सकती है।

एसईएफएस क्या है?
एसईएफएस स्टैंडर्ड्स फॉर स्टैटिस्टिकल एन्सेम्बल फोरकास्टिंग सिस्टम है। यह पूरे देश में दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम की वर्षा की लंबी दूरी का पूर्वानुमान लगाने के लिए आईएमडी द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक सांख्यिकीय मॉडल है। यह 8 पूर्वानुमान का समूह है। जो भारतीय दक्षिण पश्चिम मानसून वर्षा के साथ स्थिर और मजबूत भौतिक प्राकृतिक संबंध रखता है।

अगला अंक "क्या जलवायु परिवर्तन का मानसून पर प्रभाव पड़ता है?" 

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