'कोविड-19 से उबरने के बाद छह माह से गंध व स्वाद मुक्त जीवन जी रहा हूं मैं'
दुनिया में मेरे जैसे 10 करोड़ लोग कोविड-19 के बाद के दुष्प्रभाव झेलने को मजबूर हैं
People who grow their own food, eat and remain healthy; But erratic weather may change this adage
Without normal weather, self-sufficient households may have to depend more on markets, thus spending more on food than before
Prime Minister Narendra Modi offers advice on freebies
The prime minister’s call to the youth to be careful about political parties bribing them with freebies for votes is also a recognition of …
भारत की गरीबी: सुरजीत भल्ला की कल्पनाओं का कोई अंत नहीं
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक भल्ला ने ऐलान किया है कि मोदी सरकार द्वारा मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के चलते, भारत 2020 में ...
क्यों हो रहा है भारत में भूख का विस्तार?
दो दशक से गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या में अस्पष्टता के बावजूद उनके लिए शुरू की गई राशन योजना का दायरा ...
विश्लेषण : ग्लास्गो समझौते से दुनिया को क्या मिला
निर्धारित समय से अधिक दिन तक चले कॉप-26 से वे उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं, जिसकी आस में विश्व इसकी ओर ताक रहा था। ...
कॉप-26 रिपोर्ट कार्ड: ग्लासगो में भूमिगत ही रहा कृषि मुद्दा
कृषि, वानिकी एवं जमीन का इस्तेमाल विश्व के एक चौथाई ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं
कॉप-26 का रिपोर्ट कार्ड: ग्लोबल वार्मिंग में मीथेन की भूमिका को पहली बार मिला महत्व
105 देशों ने इसका उत्सर्जन कम करने के संकल्प-.पत्र पर हस्ताक्षर किए, हालांकि तीन बड़े उत्सर्जकों ने नहीं किए हस्ताक्षर
जलवायु संकट-1: मनुष्य ने खुद लिखी अपने विनाश की पटकथा
आईपीसीसी के ताजा वैज्ञानिक अनुमान साफ बताते हैं कि धरती की जलवायु एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है जहां से इसे बदलना दूर ...
कोविड-19: व्यवस्था में चली परिवर्तन की बयार
एक तरफ इस महामारी ने जहां कहीं अधिक राजनैतिक हिंसा को हवा दी है, लोगों में विरोध बढ़ा है, साथ ही इसके चलते सरकारों को भी ...
Fifteenth Finance Commission: Over Rs. 4.36 lakh crore for local governments
Local governments will get special health grants
African swine fever: Forgotten contagion
Viruses, it seems, are at war with life forms. While the world is struggling with the novel coronavirus, another one has been killing pigs, …
Environment-related offences recorded 78% increase in 2020
Tamil Nadu has the country’s highest number of environment-related crimes
The ABCDs of extreme profits by agri-corporations
UN Trade and Development Report reveals volatility in food commodities prices in last few years have coincided with global food traders …
आबादी का बढ़ना नहीं, कम होना ले जाएगा विनाश की ओर!
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, तमाम वैश्विक चुनौतियों के लिए बड़ी आबादी नहीं, दूसरी चीजें जिम्मेदार हैं
भारत की आधी आबादी के पास कामचलाऊ पूंजी भी नहीं
असमानता, लोकतंत्र पर आघात करती है। यही वजह है कि सरकारों को हस्तक्षेप कर इस पर अंकुश लगाने और इस ट्रेंड को बदलने की ...
क्या हैं अमीर व गरीब देशों के लिए प्राकृतिक संपदा के मायने?
दुनियाभर में संपत्ति बढ़ रही है, लेकिन यह उन देशों में टिकाऊ नहीं होगी जहां प्रकृति अथवा पूंजी को बर्बाद कर दिया गया है
Natural wealth of the nations
Wealth is increasing in the world but will not be sustainable in countries that have degraded their natural environment or capital: World …
आर्थिक सर्वेक्षण: सार्वजनिक खर्च से उबरेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
आर्थिक सर्वेक्षण में संकेत दिए गए हैं कि आगामी बजट में सरकारी खर्च की हिस्सेदारी अधिक होगी
The orphans of the Fourth Revolution
With an estimated 85 million jobs to be lost to automation by 2025, the development divide is set to deepen
पॉलीक्राइसिस के नए साल किस करवट बैठेंगे मतदाता?
2024 में जब दुनिया का हर दूसरा शख्स मतदान करेगा तो क्या असल संकट के मुद्दे उसके जेहन में होंगे?
खेती-बाड़ी को किस दिशा ले जाएगी घटते खेतों की प्रवृत्ति?
खेती-किसानी की दुनिया ऐतिहासिक बदलाव से गुजर रही है। खेतों की संख्या तेजी से कम हो रही है जबकि उसका आकार बढ़ रहा है। ...
बजट 2022-23: आजादी के 75 साल पूरे होने में केवल 70 सप्ताह बाकी, क्या ‘नया भारत’ बना पाएंगे मोदी
चार ट्रिलियन इकॉनोमी के वादे से लेकर महिलाओं को रोजगार और गरीबी कम करने, 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने जैसे लक्ष्यों को ...
देशी प्रजातियों पर विदेशी हमला, भाग-एक: वैश्विक पारिस्थितिकी को खतरा, विलुप्त हुई दो तिहाई प्रजातियां
विदेशी आक्रामक प्रजातियों ने दो-तिहाई प्रजातियों को विलुप्त कर दिया है और वैश्विक पारिस्थितिकी को खतरे में डाल दिया है
अंतत: खेती से मुनाफाखोरी का ककहरा
खाद्य व्यापार से मुनाफा किसान नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियां पीट रही हैं