विश्लेषण : ग्लास्गो समझौते से दुनिया को क्या मिला
निर्धारित समय से अधिक दिन तक चले कॉप-26 से वे उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं, जिसकी आस में विश्व इसकी ओर ताक रहा था। ...
कॉप-26: सौ महीने से कम समय बाकी, इन वजहों से हो सकती है नतीजे मिलने में दिक्कत
भारत ने कोयले और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी के मसौदे को ‘फेज आउट’ की बजाय हल्के और अपरिभाषित ‘फेज डाउन’ में डालने का दबाव डाला
कॉप-26 का हासिल: चूक गए एक बड़ा अवसर
ग्लासगो में संपंन कॉप-26 क्या वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद करेगा?
कॉप-26 रिपोर्ट कार्ड: ग्लासगो में भूमिगत ही रहा कृषि मुद्दा
कृषि, वानिकी एवं जमीन का इस्तेमाल विश्व के एक चौथाई ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं
कॉप-26: गंभीर रूप से पानी की कमी से जूझ रहा है हर तीसरा बच्चा
संयुक्त राष्ट्र संघों ने जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रेड कोड किया, जो समग्र विकास की अवधारणा पर सवाल खड़े करता ...
कॉप-26: मवेशियों से मीथेन उत्सर्जन में कमी ला सकता है समुद्री शैवाल
मवेशियों को चारे के रूप में जो घास भूसा खिलाया जाता है, उससे मीथेन गैस बनती है, जो डकार के जरिए वायुमंडल में फैल ...
कोविड-19 महामारी: जलवायु परिवर्तन से प्रभावित नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा नहीं कर पा रहे कई देश
कई देशों के पास स्वास्थ्य तथा जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय योजनाएं होने के बावजूद उनका कार्यान्वयन कई वजहों से बाधित है
कॉप-26: कोविड-19 के दौरान विकासशील देशों में जलवायु वित्त में गिरावट आई
महामारी से संबंधित व्यय और आय में कमी होने से देशों को जलवायु-संबंधित कई क्षेत्रों के लिए धन में कटौती करनी पड़ी
कॉप-26: ग्लासगो की सड़कों पर उतर कर युवाओं ने की जलवायु कार्रवाई की मांग
ग्लासगो में चल रहे कॉप-26 के पांचवे दिन युवाओं ने सड़कों पर उतर कर जलवायु न्याय की मांग की
कॉप-26: वनों से भरपूर भारत ग्लासगो घोषणा-पत्र से पीछे क्यों हटा?
ग्लासगो घोषणा-पत्र के निर्णायक मसौदे में आधारभूत संरचनात्मक विकास संबंधी गतिविधियों को वन-संरक्षण से जोड़े जाने से भारत खुश नहीं है
कॉप-26 का रिपोर्ट कार्ड: ग्लोबल वार्मिंग में मीथेन की भूमिका को पहली बार मिला महत्व
105 देशों ने इसका उत्सर्जन कम करने के संकल्प-.पत्र पर हस्ताक्षर किए, हालांकि तीन बड़े उत्सर्जकों ने नहीं किए हस्ताक्षर
कॉप-26: जलवायु प्रदर्शन रैंकिंग में भारत दसवें नंबर पर बरकरार
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत तय लक्ष्यों को हासिल करने के रास्ते पर है, लेकिन सही नीतियां जरूरी हैं
भारत के नए जलवायु लक्ष्य: साहसिक, महत्वाकांक्षी और दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण
पहले से ही कम उत्सर्जक होने के बावजूद भारत ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने की जो प्रतिबद्धता जताई है, उसने बड़े उत्सर्जकों खासकर चीन ...
कॉप-26: प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ओर से किए पांच वादे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (कॉप 26) को संबोधित किया
कॉप-26: पृथ्वी को बचा लो, ग्रेटा और उसकी साथियों ने की विश्व नेताओं से अपील
ग्रेटा थनबर्ग ने तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य हासिल, जीवाश्म ईंधन पर निवेश रोकने और विकासशील देशों को 100 अरब डाॅलर देने की ...
कॉप-26: एशिया के पहाड़ों पर निर्भर लाखों लोगों के भोजन और ऊर्जा पर पड़ रहा है असर
अध्ययन के मुताबिक एशिया में ऊंचे पहाड़ों की नदी घाटियों के बहाव में लगभग 5 फीसदी प्रति दशक की वृद्धि हुई, जबकि गाद या ...
कॉप-26: कार्बन बजट और उत्सर्जन के इन सवालों पर हो बात
धरती की कार्बन उत्सर्जन झेलने की क्षमता अब लगभग खत्म हो चली है। फिर भी हमें अपने अस्तित्व और विकास के लिए उत्सर्जन करना ...
पर्यावरण के क्षेत्र में बड़ी ताकत बन कर उभर रहा है चीन
नया ध्रुवीकरण साफ तौर पर पर्यावरण को अपनी सुविधानुसार इस्तेमाल करने की गलत नीतियों का परिणाम है
कार्बन बजट: पहले से ही गलत बंटवारे के रास्ते पर चल रही है दुनिया
1989 तक सात बड़े कार्बन उत्सर्जक देश दुनिया के कुल कार्बन स्पेस का 77 फीसदी हिस्सा घेरते थे। 1990 से 2019 के बीच चीन ...
क्या हैं अमीर व गरीब देशों के लिए प्राकृतिक संपदा के मायने?
दुनियाभर में संपत्ति बढ़ रही है, लेकिन यह उन देशों में टिकाऊ नहीं होगी जहां प्रकृति अथवा पूंजी को बर्बाद कर दिया गया है
बेतहाशा बढ़ती खेती 90 प्रतिशत से अधिक जंगलों के काटे जाने के लिए जिम्मेवार है: अध्ययन
अध्ययन में खुलासा किया है कि उष्णकटिबंधीय इलाकों में 90 से 99 प्रतिशत जंगलों के काटे जाने के पीछे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ...
जानवरों के व्यवहार को बदल रहा है जलवायु परिवर्तन
अध्ययन में शामिल सभी जीवों के व्यवहार के लक्षण - आक्रामकता, गतिविधि, साहस, सामाजिकता, इंसानों द्वारा लाए गए पर्यावरणीय बदलाव के कारण बदल गए ...
2030 से समय पर मिल जाया करेगी बाढ़ और सूखे की चेतावनी: डब्लूएमओ
वर्तमान में वैश्विक स्तर पर केवल 40 फीसदी देशों में ही बाढ़ और सूखा की समय पूर्व चेतावनी प्रणाली चालू अवस्था में है
कॉप-26: संयुक्त राष्ट्र ने कहा, कार्बन कटौती का दावा खोखला है
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि जब जीवाश्म ईंधन उद्योग अभी भी खरबों की सब्सिडी प्राप्त कर रहे हैं, अभी भी कोयला संयंत्रों का ...
कॉप-26: बर्फ और ध्रुवीय भालू को कैसे प्रभावित कर रहा है आर्कटिक का बढ़ता तापमान
विशेषज्ञों ने कहा यह एक मौका है अगर कॉप 26 वार्ताकार सफल होते हैं तो दुनिया एक बार फिर इस सदी के अंत में ...