एक और बरस बीत जाने का अर्थ
आजादी के अमृत महोत्सव में भारत के 56 प्रतिशत भूमिहीनों को अपनी जमीन और अपनी जमीर का सरकारी अवदान नहीं बल्कि स्वाभिमानपूर्वक अधिकार चाहिए
2015 से भू-क्षरण की भेंट चढ़ चुकी है मध्य एशिया के बराबर उपजाऊ जमीन
नुकसान की मौजूदा दर के लिहाज से देखें तो दुनिया को भू-क्षरण से मुक्त कराने के लिए 2030 तक 150 करोड़ हेक्टेयर जमीन को ...
दुनिया की 5.6 करोड़ हेक्टेयर खाली पड़ी कृषि भूमि पर लगाए जा सकते हैं सोलर प्लांट
दुनिया भर में 8.3 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि खाली पड़ी है इस जमीन के करीब 68 फीसदी हिस्से पर सोलर प्लांट लगाए ...
सामुदायिक जमीन को लेकर चल रहे हैं भारत के तीन-चौथाई भूमि संबंधी विवाद
41 फीसदी मामलों में, समुदायों का आरोप है कि अधिकारियों या परियोजना प्रस्तावकों ने भूमि अधिग्रहण के लिए उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।
डाउन टू अर्थ खास: शामलात के जरिए वजूद और अस्मिता की लड़ाई लड़ते पंजाब के दलित
पंजाब की कुल आबादी में 31.94 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले दलितों के पास केवल 3.5 प्रतिशत ही भूमि है
पिछले 6 दशकों के दौरान भूमि उपयोग में आए बदलावों से 32 फीसदी जमीन हुई है प्रभावित
1960 से 2019 के बीच 4.3 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के भूमि उपयोग में बदलाव किया गया है| इसी का परिणाम है कि वन ...
15 साल में धरती का 35,204 वर्ग किमी वन क्षेत्र कम हुआ
रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती आबादी के दबाव और गरीबी के कारण भूमि क्षेत्र में बदलाव देखने को मिल रहे हैं
हर साल सूखा, मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण की भेंट चढ़ जाती है 1.2 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा भूमि
जलवायु परिवर्तन, कृषि, शहरों और बुनियादी ढांचे के लिए भूमि में बड़े पैमाने पर किया जा रहा बदलाव अब तक करीब 20 फीसदी भूमि ...
कुछ विशिष्ट वन समुदायों तक ही सीमित नहीं वन अधिकारी द्वारा वनवासियों के दावों को सुनने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
अदालत का कहना है कि ऐसे दावों पर सुनवाई का अधिकार केवल कुछ समुदायों तक ही कैसे सीमित किया जा सकता है जब जमीन ...
लगान मुक्ति कानून की मांग पर अपमान झेल रहे कोसी के मजबूर किसान
कोसी के दो तटबंधों के बीच मौजूद 380 गांव के लाखों किसानों को कोसी के कहर के साथ अब सरकार के अपमान का भी ...
उत्तर प्रदेश: सोलर प्लांट के लिए जमीन देने वाले किसान क्यों हैं नाराज?
उत्तर प्रदेश में जब सौर ऊर्जा प्लांटों के लिए जमीनें अधिग्रहित की गई तो स्थानीय लोगों और किसानों में नई-नई उम्मीदें थीं, लेकिन हकीकत ...
विकास की कीमत: पांच साल में 72,685 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग बदला
डाउन टू अर्थ की स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2020 इन फिगर्स रिपोर्ट में विकास की वजह से जंगलों को हुए नुकसान का विश्लेषण किया ...
दक्षिण भारत में तेजी से बंजर हो रही है उपजाऊ भूमि
2011 से 2013 के बीच आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में इन राज्यों के कुल भौगोलिक क्षेत्र का क्रमशः 14.35, 36.24 और 31.40 प्रतिशत ...
दो दशकों में 9 फीसदी बढ़ी कृषि भूमि, लेकिन प्राकृतिक वनस्पति और जंगलों को चुकानी पड़ी कीमत
आंकड़ों के मुताबिक जहां 2003 में प्रति व्यक्ति 0.18 हेक्टेयर कृषि भूमि थी, वो 2019 में घटकर 0.16 हेक्टेयर पर पहुंच गई थी
मध्यप्रदेश में अपनी अधिग्रहित जमीन क्यों वापस मांग रहे आदिवासी और किसान
मध्य प्रदेश में पांच साल बाद भी परियोजनाएं शुरू न होने पर आदिवासियों ने अपनी जमीन लौटाने की मांग की है। इस लड़ाई में ...
भूमि अधिग्रहण कानून पर ग्रहण
सरकारें भूमि अधिग्रहण कानून को कमजोर कर जमीन हथिया रही हैं और लोगों को अधिकारों से वंचित किया जा रहा है
क्या दिल्ली-राजस्थान में धूल भरी आंधियों के लिए अरावली में होता अवैध खनन और अतिक्रमण है जिम्मेवार
अनुमान है कि जिस तरह से इस क्षेत्र में विनाश हो रहा है उसके चलते 2059 तक वन भूमि के करीब 16,360.8 वर्ग किलोमीटर ...
कृषि भूमि अधिग्रहण के कारण ग्लोबल साउथ में जैव विविधता को भारी खतरा: अध्ययन
अध्ययन में भूमि अधिग्रहण से संबंधित निवेश पर चार अलग-अलग क्षेत्रों को देखा गया, उप-सहारा अफ्रीका और एशिया में इस प्रकार के निवेश तेजी से ...
कोविड-19: क्या पहाड़ लौट रहे लोगों को रोक पाएगी चकबंदी?
21 मई को उत्तराखंड पर्वतीय जोत चकबंदी एवं भूमि व्यवस्था नियमावली 2020 को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है
खेती, शिकार, जलवायु परिवर्तन, वनविनाश के कारण खतरे में पड़ी सरीसृपों की 21 फीसदी प्रजातियां
रिसर्च के मुताबिक भारत, उपसहारा अफ्रीका और चीन के कुछ हिस्सों में सरीसृपों का होता शिकार उनके लिए सबसे बड़ा खतरा है
गांधी के ग्राम स्वराज्य की मिसाल है विनोबा भावे का ग्रामदानी गांव सीड़
महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए विनोबा भावे ने ग्रामदान आंदोलन चलाया और हजारों गांव को ग्रामदानी बनाया, ...
मालवा की मानव निर्मित मौत
मालवा के जल संसाधनों पर ग्रहण उस समय लगा जब बांधों की श्रृंखला में गांधीसागर बांध शामिल हुआ। यहां के भूजल भंडारों का स्तर ...
एकता के सूत्र में पिरोता सूखा
मानसून के दौरान बारिश की हर बूंद को सहेजने के लिए महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित 1300 गांवों में लोगों ने खुद बनाई वाटरशेड संरचनाएं
डाउन टू अर्थ खास: सहूलियत के नाम पर आदिवासियों से छीना जा रहा है वनाधिकार
मध्य प्रदेश में खारिज किए जा चुके वन अधिकारों के दावों की समीक्षा के लिए वेब पोर्टल लॉन्च किया गया। लेकिन, इससे दावेदारों को ...
जैव विविधता को बचाने के लिए धरती के 44 फीसदी हिस्से को करना होगा संरक्षित
जैवविविधता को बचाने के लिए धरती पर 6.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को संरक्षित करना होगा, लेकिन साथ ही यह भी ध्यान में रखना ...