2015 से भू-क्षरण की भेंट चढ़ चुकी है मध्य एशिया के बराबर उपजाऊ जमीन

नुकसान की मौजूदा दर के लिहाज से देखें तो दुनिया को भू-क्षरण से मुक्त कराने के लिए 2030 तक 150 करोड़ हेक्टेयर जमीन को बहाल करने की आवश्यकता होगी

By Shagun, Lalit Maurya

On: Friday 15 September 2023
 

मध्य एशिया के आकार की जितनी जमीन जो कभी स्वास्थ्य और उत्पादक थी, वो 2015 के बाद से अपनी गुणवत्ता खो चुकी है। इसकी वजह से दुनिया भर में भोजन-पानी की समस्या पैदा हो गई है, जो सीधे तौर पर 130 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है।

यह जानकारी भूमि संरक्षण के लिए प्रयास कर रहे संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े संगठन यूएन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों में सामने आई है।

यूएनसीसीडी की मानें तो 2015 से 2019 के बीच हर साल कम से कम 10 करोड़ हेक्टेयर स्वास्थ्य और उत्पादक जमीन खराब हो रही थी। कुल मिलकर देखें तो अब तक 42 करोड़ हेक्टयर जमीन बर्बाद हो चुकी है, जो क्षेत्रफल में पांच मध्य एशियाई देशों कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के कुल आकार से थोड़ा अधिक है।

यूएनसीसीडी ने अपने बयान में कहा है कि, "यदि भूमि की गुणवत्ता में आती गिरावट का यह रुझान जारी रहता है तो इससे निपटने के लिए 2030 तक 150 करोड़ हेक्टेयर भूमि को बहाल करने की आवश्यकता होगी।" इसका वैकल्पिक उपाय यह है कि और अधिक भूमि को खराब होने से रोका जाए, साथ ही 100 करोड़ हेक्टेयर जमीन को बहाल करने का जो संकल्प लिया गया है उसपर तेजी से काम किया जाए। इसकी मदद से नुकसान को रोकने का जो लक्ष्य रखा गया है उससे ज्यादा हासिल किया जा सकता है।

2017 में, हुए कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-13) के 13वें सत्र में यूएनसीसीडी ने भूमि संरक्षण के लिए 2018-2030 के रणनीतिक ढांचे को अपनाया था। साथ ही इस दौरान यूएनसीसीडी ने देशों को मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे से जुड़ी अपनी राष्ट्रीय नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं और प्रक्रियाओं में इस फ्रेमवर्क का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया था। 

गौरतलब है कि इस साल के अंत में पार्टियां यह आंकलन करेंगी कि फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को कितनी अच्छी तरह क्रियान्वित किया गया है। इसके लिए सभी पक्ष 13 से 17 नवंबर, 2023 के बीच उज्बेकिस्तान के समरकंद में कन्वेंशन के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए बनाई समिति (सीआरआईसी 21) के 21वें सत्र में एकजुट होंगी। 

इस बारे में सीआरआईसी 21, जोकि यूएनसीसीडी की एक आधिकारिक बैठक है, वो यह जांच करेगी कि इन मुद्दों पर कितनी बेहतर तरीके से काम किया जा रहा है:

  • शाश्वत भूमि प्रबंधन को प्रोत्साहित करना।
  • सूखे से बेहतर तरीके से निपटना।
  • शाश्वत कृषि में महिलाओं के नेतृत्व का समर्थन करना
  • जलवायु परिवर्तन और भूमि की गुणवत्ता में आती गिरावट के चलते घर छोड़ने वालों की समस्याओं को हल करना।

यह बैठक भूमि की गुणवत्ता में आती गिरावट के साथ-साथ सूखे से जुड़े नवीनतम वैश्विक रुझानों को भी उजागर करेगी। साथ ही इसकी भी समीक्षा करेगी कि देश भूमि की बहाली के मुद्दे पर कैसे प्रगति कर रहे हैं। यह पहला मौका है जब यूएनसीसीडी की बैठक मध्य एशिया में होगी।

भूमि की गुणवत्ता में आती गिरावट एक तरफ जहां जलवायु में आते बदलावों और मौसमी घटनाओं में योगदान दे रहीं है वहीं दूसरी और इससे प्रभावित भी हो रही है। यह बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया पहले से कहीं ज्यादा चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर रही है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पड़ती भीषण गर्मी और जंगल में लगी आग, हॉर्न ऑफ अफ्रीका में बार-बार फेल होता मानसून, एशिया में आती विनाशकारी बाढ़, बारिश और चक्रवात कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं जिनमें लगातार वृद्धि हो रही है।

इस फ्रेमवर्क में पांच महत्वपूर्ण लक्ष्य शामिल हैं, जो 2018 से 2030 के बीच यूएनसीसीडी से जुड़े सभी लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए हैं।

  • प्रभावित पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना, मरुस्थलीकरण/भूमि क्षरण से निपटना, स्थाई भूमि प्रबंधन को बढ़ावा देना। भूमि क्षरण को रोकने में मदद करना।
  • प्रभावित लोगों के जीवन को बेहतर बनाना।
  • कमजोर आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक लचीला बनाने में मदद करने के लिए सूखे के प्रभावों से निपटना और प्रबंधित करना।
  • यूएनसीसीडी के प्रभावी कार्यान्वयन से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को लाभ पहुंचाना।
  • वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत साझेदारियां बनाना, जिससे कन्वेंशन के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए पर्याप्त फण्ड और संसाधन इकट्ठा करना।

ऐसे में यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव का कहना है कि, “हमें तत्काल और अधिक भूमि को बर्बाद होने से रोकना होगा। 2030 तक भूमि के लिए तय वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कम से कम 100 करोड़ हेक्टेयर भूमि की बहाली के लिए शीघ्रता से प्रयास करने की आवश्यकता है।"

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