साहित्य में पर्यावरण: प्रकृति से माया टूटी नहीं कि साहित्य ‘कंक्रीट का जंगल’ हो गया
सभ्यता और संस्कृति के आरंभिक दिनों में मानव प्रकृति की गोद में बसता था। धीरे-धीरे वह इससे विलग होता गया। संस्कृति, प्रकृति के स्मृति ...
इस बार क्यों नहीं खिला मध्यप्रदेश का राज्य पुष्प पलाश?
होली बीत गई, लेकिन मध्यप्रदेश में पलाश के पेड़ सूने रह गए, जो सामान्यतः मार्च के महीने में होली से कुछ दिन पहले ही ...
विलुप्त गैलापागोस कछुओं के रिश्तेदारों की खोज में जुटे वैज्ञानिक
गैलापागोस नेशनल पार्क के अधिकारियों ने बताया कि 2008 में इसी तरह के अभियान में 1,726 कछुओं से रक्त के नमूने लिए गए, जिनमें ...
जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी पर्यावरण के लिए उपयोगी होते हैं जानवर
अन्य स्थानों की तुलना में मृत जीवों के करीब, पौधों में पांच गुना अधिक वृद्धि दर्ज की गयी, साथ ही शाकाहारी कीड़ों और उनके ...
कोरोना काल और बालकनी में सिमटी प्रकृति
यह भी सच है कि घरों में भी वही बैठ सकते हैं जो कि एक अलग किस्म के 'पूंजीवाद' में शामिल हैं
लुप्त होती प्रजातियों को सहेजने में जुटा उत्तराखंड वन विभाग
हल्द्वानी, लालकुआं, पिथौरागढ़, रानीखेत, नैनीताल, गोपेश्वर, देहरादून और उत्तरकाशी के रिसर्च रेंज में वनस्पतियों की 1145 प्रजातियां सहेजी हैं
केवल संरक्षित क्षेत्र घोषित करने से ही नहीं बचेगी जैवविविधता, प्रजातियों पर भी देना होगा ध्यान
शोध के अनुसार संरक्षण के लिए केवल संरक्षित क्षेत्र घोषित करना ही काफी नहीं है। इसके लिए प्रजातियों और उनके आवास को ध्यान में ...
मकड़ियों के अदभुत संसार में जुड़ा एक और सदस्य, 50,000 पर पहुंची ज्ञात प्रजातियों की संख्या
ब्राजील में मकड़ियों की एक नई प्रजाति ‘गुर्यूरियस मिनुआनो’ खोजी गई है, जोकि धरती पर ज्ञात मकड़ियों की 50,000वीं प्रजाति है। वैज्ञानिकों का मानना ...
वैज्ञानिकों ने इक्वाडोर में खोजी आर्किड की संकटग्रस्त प्रजाति
आर्किड में जीवाणुरोधी पदार्थ और फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो विभिन्न बीमारियों के इलाज में मदद करते हैं
दुनिया भर में जारी है जैव विविधता की छठी सबसे बड़ी विलुप्ति
लगभग 1500 ईसवी के बाद से पृथ्वी से 20 लाख ज्ञात प्रजातियों में से लगभग 7.5 से 13 फीसदी के बीच का नुकसान हो ...
भोजन की बढ़ती मांग के चलते संरक्षित क्षेत्रों पर पड़ रहा दबाव
शोधकर्ताओं द्वारा पहली बार दुनिया भर के संरक्षित क्षेत्रों में खेती के प्रभावों के बारे में पता लगाया है, 22 प्रतिशत खेती उन क्षेत्रों ...
पौधों में अधिक विविधता होने से कीटनाशकों का उपयोग हो जाता है कम : शोध
शोध में पता चला है कि बढ़ती जैव विविधता से कृषि प्रणाली में कीटनाशकों के उपयोग को कम करने में मदद मिल सकती है।
हिंद महासागर से गायब हो चुकी हैं 90 फीसदी डॉल्फिन, यह है वजह
1950 से 2018 के बीच हिंद महासागर में लगाए गए गिलनेट के चलते करीब 41 लाख जीव मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी मात्रा ...
मिजोरम में मिली उड़ने वाली छिपकली की नई प्रजाति 'गेको मिजोरमेंसिस', जानिए कैसे है दूसरों से अलग
आज गेको छिपकलियों की 1,200 से ज्यादा प्रजातियां हैं, जो छिपकलियों की सभी ज्ञात प्रजातियों का करीब पांचवां हिस्सा हैं
पराग्वे में खोजी गई सांप की नई खूबसूरत विषरहित प्रजाति
विज्ञान के लिए बिलकुल नई यह प्रजाति 'फलोट्रिस शॉनेला' जहरीली नहीं होती। जो अपने चटकीले रंगों और आकर्षक पैटर्न की वजह से काफी खूबसूरत ...
दुनिया भर में घट रहे हैं कीट, 1990 के बाद से आयी है 25% की कमी
कीट केवल नुकसान ही नहीं करते, वे पर्यावरण के लिए अत्यंत जरुरी भी होते हैं। लेकिन आज दुनिया भर में कई कीटों की आबादी ...
दशकों बाद रेडटेल गार्रा नामक वंश की नई मछली प्रजातियों की हुई खोज: शोध
रेडटेल गार्रा जीनस की लगभग 200 अतिरिक्त प्रजातियों में अपना स्थान रखती हैं, जो पृथ्वी पर कहीं भी सबसे विविध और व्यापक रूप से ...
विलुप्त मानी जा रही 32 मेंढक प्रजातियों का चला पता: शोध
शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि 32 हार्लेक्विन मेंढक की प्रजातियां, जिन्हें कभी विलुप्त माना जाता था, अभी भी जंगल में जीवित हैं।
पूर्वोत्तर भारत की सुदूर सियांग घाटी में मिली अनोखे नीले रंग की चींटियां
अरुणाचल प्रदेश की सियांग घाटी अनोखी विविधता पाई जाती है, जिसमें से बहुत कुछ अभी भी खोजा जाना बाकी है, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकी दोनों ...
प्रकृति को बचाने के अपने ही तय लक्ष्यों को पूरा नहीं कर रहे हैं कई देश
1970 के बाद से 70 प्रतिशत के करीब जंगली जानवर, पक्षी और मछलियां गायब हो गई हैं
विश्व गौरैया दिवस: बचाने के हर संभव प्रयास जरूरी
हमारी आधुनिक जीवन शैली गौरैया के रहने के लिए बाधा बन गई है
24 घंटे में 19 सेकेंड के बराबर है धरती पर मनुष्य की मौजूदगी
पृथ्वी के इतिहास में पहली बार केवल एक प्रजाति पूरे ग्रह को रूपांतरित कर रही है
जैव-विविधता की अनूठी मिसाल है छोटी-काशी की प्राकृतिक धरोहर
साल भर जल उपलब्धता की वजह से पशु-पक्षियों के आश्रय-स्थल बने बूंदी के जंगल
जीवों के देखने की क्षमता को विचित्र तरह से प्रभावित कर रहा है प्रकाश प्रदूषण
समय के साथ कृत्रिम प्रकाश के रंगों और तीव्रता में भी परिवर्तन आया है, जिसका जीवों की दृष्टि पर जटिल और अप्रत्याशित प्रभाव पड़ ...
पर्यावरण की दशा-दिशा 2020: इन 483 पौधों पर मंडरा रहा है विलुप्ति का खतरा
डाउन टू अर्थ की स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2020 इन फिगर्स रिपोर्ट में जैव विविधता का लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया है