पौधों में अधिक विविधता होने से कीटनाशकों का उपयोग हो जाता है कम : शोध

शोध में पता चला है कि बढ़ती जैव विविधता से कृषि प्रणाली में कीटनाशकों के उपयोग को कम करने में मदद मिल सकती है।

By Dayanidhi

On: Tuesday 10 November 2020
 

पौधों की बढ़ती विविधता घास के मैदानों में कीटों को प्राकृतिक तौर से नियंत्रण को बढ़ाती है। यह जर्मन सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोडायवर्सिटी रिसर्च के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने पता लगाया है। उन्होंने दो प्रयोग कर इस बात को सिद्ध किया है। शोध बताता हैं कि बढ़ती जैव विविधता से कृषि प्रणाली में कीटनाशकों के उपयोग को कम करने में मदद मिल सकती है।

पृथ्वी पर सभी प्रजातियों की जैविक विविधता, परस्पर प्रभाव और प्राकृतिक घास के मैदानों के पारिस्थितिकी तंत्र, उसके कार्यों और सेवाओं को प्रदान करने और बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। कृषि को बढ़ाकर दुनिया की बढ़ती आबादी के लिए भोजन की मांग को पूरा करने के साथ, इन घास के मैदानों पर भी दबाव पड़ रहा है। दुनिया भर में शाकाहारी कीटों से फसल उत्पादन को अनुमानित 18-26 फीसदी का नुकसान हो रहा है, जिसने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले महंगे कीटनाशकों के उपयोग में वृद्धि करने को मजबूर किया है। यह शोध साइंस एडवांस में प्रकाशित किया गया है।

पौधों की बढ़ती विविधता से उन पर शाकाहारी कीटों के प्रभाव को स्वाभाविक रूप से कम किया जा सकता है या नहीं, इसकी जांच के लिए जर्मन सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोडायवर्सिटी रिसर्च, लीपज़िग यूनिवर्सिटी और फ्रेडरिक शिलर यूनिवर्सिटी जेना के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने शोध किया। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में दो लंबे समय तक चलने वाले चारागाहों में जैव विविधता प्रयोगों का उपयोग तथा जर्मनी में जेना प्रयोग और मिनेसोटा (अमेरिका) में देवदार क्रीक जैव विविधता प्रयोग किया गया।

दो वर्षों के दौरान वैज्ञानिकों ने इन दो  प्रयोगों से आंकड़े एकत्र किए, जो मोनोकल्चर (एक ही फसल की खेती) और अलग-अलग प्रजातियों के घास के मैदानों की खाद्य संरचना में गहरी जानकारी प्रदान करते हैं। यूएल में प्रोफेसर निको ईसेनहौअर ने कहा इन दो दीर्घकालीन प्रयोगों से जानकारी प्राप्त हुई है, जो जैव विविधता के महत्व पर प्रकाश डालता है।

विभिन्न प्रजाति के पौधे शाकाहारी कीटों के लिए कम आकर्षक होते हैं

शोधकर्ताओं ने पाया कि पौधों में अधिक विविधता होने से शाकाहारी कीट उन्हें काफी कम नुकसान पहुंचाते हैं। अधिक विविधता वाले मिश्रणों में, शाकाहारी कीटों के पौधों को प्रति ग्राम खाने की दर मोनोकल्चर (एक ही फसल की खेती) की तुलना में 44 फीसदी कम थी। एंड्रयू बार्न्स ने कहा इसका मतलब है कि जहां कई प्रजातियों को एक साथ लगाया जाता है, इससे प्रति वर्ग मीटर में अधिक पौधे विकसित होंगे, और विविध मिश्रणों में प्रत्येक पौधे को शाकाहारी कीटों से कम नुकसान होगा।

पौधों की अधिक विविधता के कारण शाकाहारी कीटों के पास अपने पसंदीदा पौधों की प्रजातियों तक पहुंच की संभावना कम होती है। जिससे उनके यहां बने रहने की संभावना भी कम हो जाती है। इसके अलावा पौधों की अधिक विविधता में ऊतक प्रोटीन (नाइट्रोजन) के निम्न स्तर को दिखाया, जिससे ये पौधे शाकाहारी कीटों के लिए कम पौष्टिक होते हैं।

पौधों की विविधता में वृद्धि  के कई सकारात्मक प्रभाव हैं: मोनोकल्चर की तुलना में, अधिक-विविधता वाले पौधे अधिक घास या फसल का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा पौधों की विविधता शाकाहारी कीटों के लिए एक दोहरी समस्या पैदा करते हैं जैसे- कीटों की ओर अधिक शिकारियों का आकर्षित होना और कीटों का कम पसंदीदा भोजन - जो प्राकृतिक रूप से शाकाहारी कीटों के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।

पौधों की जैव विविधता शाकाहारी कीटों के प्रकोप को सीमित कर सकती है

शाकाहारी कीटों के हानिकारक प्रभाव तथा कीटों पर नियंत्रण करने के लिए कीटनाशकों पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता है। कीटनाशक हानीकारक कीटों को मारने के साथ लाभ पहुंचाने वाले कीटों को भी खत्म कर सकता है। कीटनाशकों के अधिक उपयोग से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। एंड्रयू बार्न्स ने कहा हमारे प्रयोगों से पता चलता है कि पौधों की विविधता को संरक्षित करने से शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने के कई लाभ होते हैं, जो कि कीटनाशकों (एग्रोकेमिकल्स) के उपयोग को कम करने और पौधों की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। निको ईसेनहुअर ने कहा अंततः यह अध्ययन दर्शाता है कि जैव विविधता का समर्थन पारिस्थितिक तंत्र के स्थायी प्रबंधन और लोगों को लाभ प्रदान कर सकता है।

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