उत्तराखंड में 29 डिग्री पहुंचा तापमान, जंगलों में अभी से लगने लगी आग
पिछले 10 साल का रिकॉर्ड बताता है कि उत्तराखंड में फरवरी के पहले पखवाड़े में इतना उच्च तापमान नहीं पहुंचा, जिसे जलवायु परिवर्तन का ...
नदियों के डेल्टा का आकार बदलने के लिए कौन है जिम्मेवार?
दुनिया भर में लगभग 11,000 डेल्टा है। इन डेल्टाओं के सहारे नदी के जल निकासी घाटियों, गाद के प्रवाह, लहर, जलवायु और ज्वार की ...
लाखों साल पहले हमारे पूर्वजों ने की थी प्रकृति के विनाश की शुरुआत, हमने बढ़ाई रफ्तार
एक अध्ययन के मुताबिक, मांसाहारी जीवों के विलुप्त होने का सबसे मुख्य कारण हमारे पूर्वजों और उनके बीच भोजन के लिए सीधी प्रतिस्पर्धा और ...
इंसान की बढ़ती लालसा का शिकार हुईं 85 फीसदी प्रजातियां
पर्यावरण पर इंसान के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण खतरे में हैं, जमीन पर रहने वाले रीढ़दार जीवों की 17,500 से अधिक प्रजातियां
कार्बेट टाइगर रिजर्व में प्लास्टिक कचरा, कैसे होगा समाधान
कार्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में प्लास्टिक कचरा खाते बाघ और हाथी की तस्वीर वायरल होने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं
बैलाडीला: आदिवासियों से जंगल छीनकर कॉरपोरेट को देने का खेल
जंगल और पहाड़ को बचाने की लड़ाई का पहला मोर्चा आदिवासियों ने जीत लिया, लेकिन लड़ाई खत्म नहीं हुई है
संकट में सांता क्लॉज की सवारी रेंडियर
रेंडियरों का अस्तित्व जलवायु परिवर्तन, उसके बढ़ते शिकार और तमाम तरह की बीमारियों के कारण खतरे में है। 1995 से अब तक 26 लाख रेंडियर खत्म हो चुके हैं
“समाज और राष्ट्र के विरोधाभास का प्रतीक है बेड़िया समुदाय”
32 साल से पहले दिल्ली, वाराणसी, राजस्थान और अब मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेड़िया समुदाय के बीच रहकर उनकी जिंदगी आसान बनाने ...
क्यों धधक रहे हैं जंगल?
उत्तराखंड के पहाड़ों में आग लगने की घटनाएं हर साल सुर्खियां बटोरती हैं। इससे बड़ी संख्या में पेड़ों, जीव जंतुओं और पर्यावरण को नुकसान ...
भारत में भी उग सकते हैं रजनीगंधा के रंगीन फूल
डॉ. एसके दत्ता ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 70 नई सजावटी फूलों की किस्मों का विकास किया है और रजनीगंधा पर किए गए ...
भारत के संरक्षित क्षेत्रों में भी जहरीली दवाओं से सुरक्षित नहीं गिद्ध, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
नया अध्ययन इस दावे का खंडन करता है जंगली गिद्ध दर्द निवारक दवा डाइक्लोफेनैक से सुरक्षित हैं
भारत में अवैध व्यापार की भेंट चढ़ती शार्कें, 12 वर्षों में 16,000 किलोग्राम फिन्स किए गए जब्त
शार्क के पंखों और अन्य हिस्सों की जब्ती की सबसे ज्यादा करीब 65 फीसदी घटनाएं तमिलनाडु में सामने आई हैं
पक्षी विहार के प्रभाव क्षेत्र से बाहर है प्रस्तावित वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन: संयुक्त समिति रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार कोटा में प्रस्तावित सॉलिड वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन, उम्मेद गंज पक्षी विहार संरक्षण रिजर्व से करीब 720 मीटर दूर है
बढ़ता तापमान नहीं, बल्कि बढ़ती बारिश से है जिराफ के अस्तित्व को खतरा: अध्ययन
अध्ययन के मुताबिक, बारिश के नमी वाले मौसम के दौरान परजीवियों और बीमारी में होने वाली वृद्धि के कारण वयस्क जिराफ और उनके बच्चों ...
दुनिया की 16 हजार से अधिक प्रजातियों की आबादी घटी, औद्योगीकरण भी है जिम्मेवार
दुनिया भर में जीवों की करीब आधी प्रजातियों की आबादी में गिरावट आ रही है। वहीं केवल तीन फीसदी प्रजातियां ऐसी हैं जिनमें वृद्धि ...
ऐसी हो बाघ संरक्षण की नई रूपरेखा
नया संरक्षण एजेंडा बाघ बनाम आदिवासियों के इर्द-गिर्द नहीं घूमना चाहिए, बल्कि यह बाघों और लोगों के बारे में होना चाहिए
संसद में आज: 2021-22 में 15 हाथी ट्रेन दुर्घटनाओं के कारण मारे गए
अभी तक 1,36,808 हेक्टेयर क्षेत्र में वनीकरण गतिविधियों के लिए 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश को 728.21 करोड़ रुपये जारी किए जा ...
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सड़क यातायात में कमी से बाघों के व्यवहार में हुआ बदलाव
लॉकडाउन शुरू होने के बाद के महीने से, नर बाघ के घर का आकार तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 213 वर्ग मील हो ...
वनों की बहाली में नजरअंदाज नहीं की जा सकती छोटे-बड़े पक्षियों और जानवरों की भूमिका
बीजों को बिखेर कर पक्षी और जानवर उजड़े हुए जंगलों में पेड़-पौधों की विविधता को फिर से कायम करने में मदद करते हैं
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस: इतिहास, महत्व और क्यों मनाया जाता है यह दिन?
भारत में बाघों की आबादी की गणना के मुताबिक इनकी कुल संख्या 2014 में 2,226 से 2018 में बढ़कर 2,967 हुई
नए युग में धरती: कुछ दशकों में खत्म हो जाएंगे अफ्रीकी हाथी
नया अध्ययन बताता है कि अवैध शिकारियों ने 2010 से 2012 के बीच पूरे अफ्रीका में अनुमानतः एक लाख हाथी (लोक्सोडोंटा अफ्रीकाना) मार दिए
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: मणिपुर में प्रस्तावित की गई हैं 2,282 जैव विविधता प्रबंधन समितियां: रिपोर्ट
पर्यावरण से संबंधित मामलों में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-
भारत में इंसानी लालच की भेंट चढ़ते वन्यजीव, तीन दशकों में अवैध व्यापार का शिकार हुए 8,603 पैंगोलिन
यह शर्मीले जीव पिछले करीब छह करोड़ वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद है। भारत में इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं और दोनों ही ...
कुछ जानवर समय के साथ आकार में बड़े तथा कुछ छोटे होते गए, आखिर क्यों?
अलास्का के घोड़े, क्रिप्टोडिरन कछुए और आइलैंड की छिपकलियां समय के साथ क्यों सिकुड़ गईं, इसका रहस्य एक नए अध्ययन में सुलझाया गया है।
अनोखी विशेषता वाले कछुओं और मगरमच्छों के विलुप्त होने की आशंका सबसे ज्यादा: अध्ययन
कुछ प्रजातियां बीज फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं, कुछ बिल बनाकर अन्य प्रजातियों के लिए आवास बनाते हैं और अन्य शिकारी होते हैं ...