पांच दशकों में प्रवासी मछलियों में आई 81 फीसदी की विनाशकारी गिरावट, बढ़ता इंसानी प्रभाव रहा जिम्मेवार
लिविंग प्लैनेट इंडेक्स 2024 के मुताबिक 1970 के बाद से मीठे पानी में पाई जाने वाली प्रवासी मछलियों की आबादी में 81 फीसदी की गिरावट ...
औषधीय पौधों के बेतहाशा उपयोग का बुरा असर, कम हुआ सांस्कृतिक महत्व और उपलब्धता
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से औषधीय जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग काफी बढ़ गया है
भारत दुनिया के शीर्ष मछली उत्पादकों में शामिल, 10 देशों का उत्पादन में 90 फीसदी योगदान: एफएओ
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में उत्पादन के मामले में कतला प्रजाति शीर्ष दस प्रजातियों की सूची में आठवें स्थान पर रही।
देशी प्रजातियों पर विदेशी हमला, भाग-दो: जंगली जानवरों को नहीं मिल रहा उनका प्रिय भोजन
आक्रामक पौधे तेजी से देसी घास की प्रजातियों की जगह ले रहे हैं, जिससे जानवरों के पसंदीदा भोजन की उपब्लधता में कमी आ रही ...
नदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस: क्या है इतिहास, थीम, महत्व यहां जानें
मीठे या ताजे पानी की प्रजातियों में 1970 के बाद से 83 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है
इंसानी बस्तियों और प्रकृति से मिलने वाले क्षेत्रों के मानचित्रण के लिए बनाया पहला उपकरण
यह उपकरण, जंगल की आग, जूनोटिक रोगों के फैलने और पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता के नुकसान जैसे पर्यावरणीय संघर्षों में सुधार कर सकता है
विश्व मधुमक्खी दिवस - 20 मई: जानिए इस दिन को मनाने का इतिहास और महत्व
दुनिया भर में उत्पादित सभी खाद्य पदार्थों का एक तिहाई, यानी भोजन का हर तीसरा चम्मच परागण पर निर्भर करता है
ट्विटर और सोशल मीडिया की मदद से पता चला, कैसे फैलते हैं आक्रामक कीट
अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि ट्विटर और समाचार की जानकारी आधिकारिक डेटा स्रोतों को पूरा करने के लिए उपयोगी हो सकती ...
अपने घोंसलों से ज्यादा दूर नहीं जाते छोटे पंख वाले पक्षी, झेलते हैं दिक्कतें
उष्णकटिबंध में रहने वाले जंगली पक्षी आइबिस, नीले और सुनहरे मकोव, हरे हनीक्रीपर तथा कई अन्य प्रजातियां, रहने की जगहों के नुकसान होने से ...
मधुमक्खियों के परागण की प्रक्रिया को बाधित करते हैं विद्युत टावरों से बनने वाले चुम्बकीय क्षेत्र
शोध में पाया गया कि, एक टावर के सबसे करीब वाले फूल की यात्राओं की आवृत्ति उन क्षेत्रों की तुलना में लगभग 308 फीसदी ...
लुप्तप्राय 43 उभयचरों-कशेरुकियों के रहने की जगहों के नुकसान से इनमें बीमारी के खतरे बढ़े
लोगों द्वारा की जा रही गड़बड़ी, जैसे खेती तथा अन्य काम के लिए जंगलों को काटना, इस पर्यावरणीय नुकसान के प्रमुख कारण हैं। इन ...
पर्यावरण के अनुकूल कीट नियंत्रण के रूप में होगा मकड़ियों का उपयोग
शोधकर्ताओं ने कीट नियंत्रण के रूप में उष्णकटिबंधीय टेंट जाल बनाने वाली मकड़ियों, साइरोटोफोरा साइट्रिकोला की खोज की
डाउन टू अर्थ विश्लेषण: क्या जंगली जानवरों को खाना छोड़ दे इंसान?
जंगली वनस्पतियों और जीवों का नियंत्रित दोहन यह सुनिश्चित करेगा कि वन्य प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में डाले बिना भी मनुष्यों की आजीविका ...
दुनिया में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली की क्षमता में आई भारी गिरावट: शोध
शोध में दक्षिण और पूर्वी एशिया के ऐसे क्षेत्रों को चुना गया जहां लचीलापन समाप्त हो गया है, जिसमें भारत में शुष्क पर्णपाती वन, ...
क्या भारत में रह पाएंगे अफ्रीका से आने वाले चीते, अगस्त में आने की संभावना
अब देश के लिए अगली चुनौती यह तय करना है कि ये जानवर भारत की नई जलवायु परिस्थितियों में जीवित रह सकें और ढल ...
नगरीय खेती मधुमक्खियों के लिए हो सकती है उपयोगी, बंग्लुरू में किया गया शोध
शहरी वातावरण में फैले खेतों में मधुमक्खियों के व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण में, शोधकर्ताओं ने 40 प्रजातियों से संबंधित 26,000 से अधिक मधुमक्खियों को दर्ज ...
सुंदरवन में पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ा कर बन रहे रिसॉर्ट, एनजीटी नाराज
दक्षिण 24 परगना जिले के गोसाबा ब्लॉक में बाली-1 पंचायत के अमलामेथी क्षेत्र में इको-टूरिज्म के नाम पर निजी कंपनी रिसॉर्ट बनवा रही है
प्रजातियों के भीतर छिपी हुई जैव विविधता का लगातार नुकसान हो रहा है : अध्ययन
अध्ययन से पता चला है कि प्रजातियों के भीतर विविधता के नुकसान के गंभीर पारिस्थितिक परिणाम हो सकते हैं, यह प्राकृतिक सामग्री और प्राकृतिक ...
नए युग में धरती: अब तक पांच बार हो चुका है महाविनाश
शुरुआती विलुप्तियां और जीवाश्म रिकॉर्ड बताते हैं कि एक प्रजाति करीब 10 लाख वर्षों में खत्म हो जाती है
उत्तराखंड: अप्रैल में जंगल में आग की घटनाएं बढ़ने की वजह लोकसभा चुनाव तो नहीं?
चुनाव में वन कर्मचारियों की तैनाती को भी जंगल में आग की घटनाएं बढ़ने का कारण बताया जा रहा है
पेड़ों के बीजों को चट कर जाते है कीट, इसलिए बढ़ रहा है तापमान
गर्म तापमान के कारण बीज उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ, साल-दर-साल बदलाव हो रहा है
जग बीती: फेफड़े बिन जीवन
जग बीती: हीरे की कीमत
क्या अब उत्तराखंड के जंगलों में 12 महीने लगेगी आग?
उत्तराखंड वन विभाग के मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा है कि राज्य में अब फायर सीजन सिर्फ फरवरी से जून तक नहीं होगा ...
क्या डूब जाएगा रेगिस्तान का टाइटैनिक?
अगर राजस्थान की ही बात करें तो 2001 के मुकाबले 2007 में प्रदेश में ऊंटों की आबादी आधे के करीब आ गई