जनसंख्या नियंत्रण कानून: महत्वपूर्ण सवालों पर नहीं हो रही बहस
वस्तुतः भारत जनसंख्या को स्थिर करने की राह पर है। इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए दंडात्मक उपायों की शुरुआत पर जोर ...
जनसंख्या नियंत्रण कानून: क्या सच में जरूरी है?
केंद्र सरकार देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करनी चाहती है। डाउन टू अर्थ ने इस मुद्दे का व्यापक विश्लेषण किया। प्रस्तुत है पहली ...
भारत क्यों है गरीब-10: पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी की मिसाल है यह जिला
देश की राजधानी से 70 किलोमीटर से दूर मेवात में गरीबी दूर करने की योजनाएं पहुंच ही नहीं पाई
भारत में रह रहे दुनिया के 28 फीसदी गरीब: मानव विकास सूचकांक 2019
यूूएनडीपी के वार्षिक मानव विकास सूचकांक के मुताबिक, भारत में 2005 से 2015 के दौरान लगभग 27.1 करोड़ लोग गरीब रेखा से बाहर निकल ...
सतत विकास लक्ष्य कार्यक्रम पर कैग ने खड़े किए सवाल
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र के साथ-साथ राज्यों में एसडीजी को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही है
सतत विकास लक्ष्यों को हासिल में सबसे पीछे है यूपी-बिहार
सतत विकास के 13 सूत्री लक्ष्यों में से उत्तर और बिहार आठ लक्ष्यों को हासिल करने में काफी पीछे है
‘गुलाम मन’, घर और उसमें घुटता आदमी
घर बनाने में हमने बिना स्थानीय सरोकारों और जरूरतों को ध्यान में रखे नए ज्ञान और तकनीक को प्रयोग किया
अमेरिका में पैठ जमा रही है गरीबी, क्या हैं मायने
पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिकों से ज्यादा हासिल करने और मालिक जितना संभव हो उतना कम देने की कोशिश में हैं
बेलारूस मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की के साथ दो मानवाधिकार संगठनों को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की के साथ रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के ‘सिविल लिबर्टीज’ को मिला नोबल शांति पुरस्कार
असमानता की रिपोर्ट में फिर सामने आई एक और हकीकत
‘असमानता की रिपोर्ट’ की मानें तो देश में समृद्धि का पैसा गरीब आदमी तक रिसकर भी नहीं पहुंच रहा
अगले 38 वर्षों में 44 फीसदी बढ़ जाएगी रेत की वैश्विक मांग, जानिए भारत को कितनी होगी जरुरत
शोधकर्ताओं के मुताबिक बढ़ते शहरीकरण के चलते भारत की रेत संबंधी मांग 2060 तक 294 फीसदी बढ़ जाएगी
महिलाओं के भूमि अधिकारों का अधूरा अध्याय
खेती-बाड़ी के अधिकांश काम करने के बावज़ूद महिलाओं को भी 'किसान' होने का वैधानिक अहसास, आख़िर कब और किसकी बदौलत होगा?
जानिए चमोली त्रासदी के बाद क्यों जरूरी है हिमालय की चेतावनी का पाठ पढ़ना
नाजुक हिमालय में 33 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा हिमनद (ग्लेशियर) है। ध्रुव क्षेत्रों के बाहर ग्लेशियर के रूप में पानी का बड़ी मात्रा में ...
कोरोना के कारण गरीबी के चरम स्तर पर पहुंच सकती हैं दुनिया की 4.7 करोड़ महिलाएं: यूएन
यूएन की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के कारण महिलाओं में गरीबी की दर में 9.1 फीसदी की वृद्धि हो सकती ...
भारत क्यों है गरीब-11: मेवात के 47 फीसदी क्षेत्र में नहीं है सिंचाई की व्यवस्था
मेवात जिले में गरीबी की बड़ी वजह यह है कि यहां खेतों की सिंचाई के लिए व्यापक व्यवस्था नहीं है
भारत क्यों है गरीब-3: समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बीच रहने वाले ही गरीब
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गरीबी उन्हीं इलाकों में ज्यादा है, जहां प्राकृतिक संपदा प्रचुर मात्रा में है। इन लोगों की क्षमता इतनी भी नहीं ...
“नया भारत” कितना नया?
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाना गौरव की बात है लेकिन “नया भारत” बनाना लिखित संबोधन से कहीं बढ़कर है
भारत में 15 वर्षों के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले
संयुक्त राष्ट्र के बहुआयामी गरीबी सूचकांक नवीनतम अपडेट के अनुसार 2021 में 23 करोड़ भारतीय अभी गरीबी की चपेट में हैं
वैश्विक विकास की धुरी को गति देने के लिए ‘बुजुर्ग देशों’ की जरूरतों और प्रवासियों के कौशल का मिलान जरूरी: वर्ल्ड बैंक
वैश्विक स्तर पर आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी बढ़ रही है, जिससे श्रमिकों और प्रतिभाओं के लिए वैश्विक खींचतान तेज हो रही है
मानसून सत्र: जानिए पर्यावरण से जुड़े कौन-कौन से विधेयक संसद के इस सत्र में हो सकते हैं पेश
संसद के इस सत्र में पेश होने वाला भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, अंटार्कटिक में पर्यावरण की रक्षा करने के साथ-साथ इस क्षेत्र में गतिविधियों को ...
नंदलाल बोस की कृति से कितना अलग है मोदी का अशोक स्तंभ?
विद्वानों का मानना है कि ससंद भवन की नई इमारत के शीर्ष पर लगी धातु की मूर्ति उस मूल कृति से अलग है जिसे ...
लाहौल स्पीति: बिना एफआरए अनुमति के सरकारी इंजीनियर ने बना डाली अवैध सड़क
एनजीटी की समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गेचा से हेलीपैड तक करीब 2.84 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए जिला वन अधिकारी से ...
माल्थस को छोड़िए: जनसंख्या- वृद्धि का सकारात्मक पक्ष देखिए
अगर सामुदायिक संपत्ति के अधिकार को सही ढंग से परिभाषित किया जाए तो बढ़ती आबादी, बेहतर तरीके से उसका प्रबंधन कर सकती है - ...
जरुरत से कहीं ज्यादा तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं देश
पिछले 30 वर्षों में कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसने पर्यावरण को संकट में डाले बिना अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा ...
दो पत्रकारों को मिला 2021 का नोबेल शांति पुरस्कार
उन्हें यह पुरस्कार अपने-अपने देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए किए प्रयासों को देखते हुए दिया गया है