भारत में 15 वर्षों के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले

संयुक्त राष्ट्र के बहुआयामी गरीबी सूचकांक नवीनतम अपडेट के अनुसार 2021 में 23 करोड़ भारतीय अभी गरीबी की चपेट में हैं

By DTE Staff

On: Tuesday 11 July 2023
 

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशटिव द्वारा प्रकाशित नवीनतम बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के अनुसार, 2005-06 से 2019-21 के दौरान लगभग 41.5 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकल गए। एमपीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबी की घटनाएं 55.1 प्रतिशत से गिरकर 16.4 प्रतिशत हो गई।

एमपीआई रिपोर्ट में लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में परस्पर जुड़े अभावों को मापा जाता है, जो सीधे किसी व्यक्ति के जीवन और बेहतरी को प्रभावित करते हैं। 

एमपीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने न केवल प्रभावशाली दर से गरीबी कम की है, बल्कि सभी अभाव के सभी संकेतकों में गिरावट आई है। इसका मतलब है कि भारत ने सभी तीन अभाव संकेतकों: स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में उल्लेखनीय प्रगति की है। सभी क्षेत्रों और सामाजिक-आर्थिक समूहों में गरीबी में समान गिरावट आई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे गरीब राज्यों के साथ-साथ सभी समूहों (जिनमें बच्चे और वंचित जाति समूह के लोग भी शामिल हैं) में गरीबी में तेजी से गिरावट आई है।

जिन तीन अभावों के आधार पर बहुआयामी गरीबी को मापा जाता है, उसमें "जीवन स्तर" का योगदान सबसे अधिक (39.7 प्रतिशत) है। इसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव का योगदान 32.2 प्रतिशत और शिक्षा के अभाव का योगदान 28.2 प्रतिशत है।

भारत में अभी भी 23 करोड़ से अधिक लोग गरीब हैं। एमपीआई रिपोर्ट के अनुसार, बहुआयामी गरीबी के प्रति "संवेदनशील" आबादी को गंभीरता से लेना चाहिए। यूएनडीपी की परिभाषित के मुताबिक संवेदनशील आबादी का मतलब उन लोगों से है, जो गरीब तो नहीं हैं लेकिन सभी संकेतकों के 20 से 33.3 प्रतिशत के दायरे में हैं और यह कभी भी बढ़ सकता है। भारत की लगभग 18.7 प्रतिशत आबादी इस श्रेणी में है।

विश्व स्तर पर 1.1 अरब लोग, या कुल जनसंख्या का लगभग 18 प्रतिशत, अत्यंत बहुआयामी रूप से गरीब हैं। इस सूचकांक में 110 देशों को शामिल किया गया।

उप-सहारा अफ्रीका में 53.4 करोड़ गरीब हैं और दक्षिण एशिया में 38.9 करोड़ गरीब हैं। यानी कि इन दो क्षेत्रों में हर छह में से करीब पांच लोग रहते हैं।

एमपीआई रिपोर्ट कहती है, “ कुल गरीबों में से लगभग आधे (56.6 करोड़) 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं। बच्चों में गरीबी की दर 27.7 प्रतिशत है, जबकि वयस्कों में यह 13.4 प्रतिशत है।”

Subscribe to our daily hindi newsletter