बैठे ठाले: गरीबी अच्छी है!
“सरकार की कौशल-विकास नीति के तहत भिखारी बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे आज हजारों-लाखों लोग स्व-रोजगार कर रहे हैं”
उत्तराखंड का फूलदेई पर्व: जो इशारा करता है कि, प्रकृति के बिना इंसान का अस्तित्व नहीं
यह त्योहार उत्तराखंड राज्य के फसल उत्सव के रूप में जाना जाता है, फूलदेई एक शुभ लोक त्यौहार है जो राज्य में वसंत ऋतु ...
गरीब कल्याण योजना: विकास के सवाल और योजनाओं का मानसून
गरीब कल्याण योजना तभी प्रासंगिक हो सकती है जब आजीविका के लिए उनके जल, जंगल और जमीन जैसे संसाधनों पर उनका अधिकार हो
कोविड-19 संकट के बाद मिलकर बनाना होगा एक बेहतर कल
कोविड -19 केवल एक भूल या दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह उन कार्यों का एक परिणाम है जो हमने एक ऐसी दुनिया के निर्माण ...
ग्रामीण विकास का अर्धसत्य
गावों से उम्मीदों की गठरी बांधे जिन लाखों वंचितों ने शहरों को अपना अस्थायी आशियाना बनाया, एक महामारी की आशंका ने उसकी वास्तविकता को ...
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए तैयार हैं देश की ग्राम पंचायतें: रेड्डी
कोरोनावायरस संक्रमण का प्रसार अब देश के गांवों की ओर हो रहा है। ग्राम पंचायत स्तर पर इससे निपटने की क्या तैयारी है। इस ...
जनसंख्या नियंत्रण कानून: महत्वपूर्ण सवालों पर नहीं हो रही बहस
वस्तुतः भारत जनसंख्या को स्थिर करने की राह पर है। इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए दंडात्मक उपायों की शुरुआत पर जोर ...
जनसंख्या नियंत्रण कानून: क्या सच में जरूरी है?
केंद्र सरकार देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करनी चाहती है। डाउन टू अर्थ ने इस मुद्दे का व्यापक विश्लेषण किया। प्रस्तुत है पहली ...
भारत क्यों है गरीब-10: पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी की मिसाल है यह जिला
देश की राजधानी से 70 किलोमीटर से दूर मेवात में गरीबी दूर करने की योजनाएं पहुंच ही नहीं पाई
क्या है जो भारत में तैयार कर रहा है गरीब
वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 से पता चलता है कि पोषण, ईंधन, आवास और स्वच्छता तक पहुंच की कमी देश में लाखों लोगों को ...
महिलाओं के भूमि अधिकारों का अधूरा अध्याय
खेती-बाड़ी के अधिकांश काम करने के बावज़ूद महिलाओं को भी 'किसान' होने का वैधानिक अहसास, आख़िर कब और किसकी बदौलत होगा?
बेलारूस मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की के साथ दो मानवाधिकार संगठनों को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की के साथ रूस के मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के ‘सिविल लिबर्टीज’ को मिला नोबल शांति पुरस्कार
असमानता की रिपोर्ट में फिर सामने आई एक और हकीकत
‘असमानता की रिपोर्ट’ की मानें तो देश में समृद्धि का पैसा गरीब आदमी तक रिसकर भी नहीं पहुंच रहा
अगले 38 वर्षों में 44 फीसदी बढ़ जाएगी रेत की वैश्विक मांग, जानिए भारत को कितनी होगी जरुरत
शोधकर्ताओं के मुताबिक बढ़ते शहरीकरण के चलते भारत की रेत संबंधी मांग 2060 तक 294 फीसदी बढ़ जाएगी
कोरबा के आदिवासी किसानों ने 25 बरस बाद जमीन अधिग्रहण के लिए लौटी विदेशी कंपनी के खिलाफ शुरु किया आंदोलन
सैकड़ों आदिवासी किसानों ने बुधवार को बिलासपुर उच्च न्यायालय को पोस्ट कार्ड लिखकर अपनी भूमि वापस दिलाने की अपील की है। किसानों द्वारा पोस्ट ...
जानिए चमोली त्रासदी के बाद क्यों जरूरी है हिमालय की चेतावनी का पाठ पढ़ना
नाजुक हिमालय में 33 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा हिमनद (ग्लेशियर) है। ध्रुव क्षेत्रों के बाहर ग्लेशियर के रूप में पानी का बड़ी मात्रा में ...
‘गुलाम मन’, घर और उसमें घुटता आदमी
घर बनाने में हमने बिना स्थानीय सरोकारों और जरूरतों को ध्यान में रखे नए ज्ञान और तकनीक को प्रयोग किया
2018 में हर रोज तोड़े गए 114 घर, 2 लाख लोग हुए बेघर : रिपोर्ट
हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क की स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मार्ट सिटी, हाईवे जैसी परियोजनाओं की वजह से तोड़फोड़ की गई
अमेरिका में पैठ जमा रही है गरीबी, क्या हैं मायने
पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिकों से ज्यादा हासिल करने और मालिक जितना संभव हो उतना कम देने की कोशिश में हैं
कोरोना लॉकडाउन: सरकारी स्कूलों के बच्चे कैसे करेंगे पढ़ाई?
उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद हैं। इसका असर गरीब तबके से जुडे बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है
केवल 18 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्य सभा में जानकारी दी कि देश के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स में 21,340 विशेषज्ञों की जरुरत है
भारत क्यों है गरीब-11: मेवात के 47 फीसदी क्षेत्र में नहीं है सिंचाई की व्यवस्था
मेवात जिले में गरीबी की बड़ी वजह यह है कि यहां खेतों की सिंचाई के लिए व्यापक व्यवस्था नहीं है
भारत क्यों है गरीब-3: समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बीच रहने वाले ही गरीब
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गरीबी उन्हीं इलाकों में ज्यादा है, जहां प्राकृतिक संपदा प्रचुर मात्रा में है। इन लोगों की क्षमता इतनी भी नहीं ...
“नया भारत” कितना नया?
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाना गौरव की बात है लेकिन “नया भारत” बनाना लिखित संबोधन से कहीं बढ़कर है
ग्रामीण इलाकों में नई तकनीक और सुविधाएं देने से 340 करोड़ लोगों का होगा विकास: संयुक्त राष्ट्र
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण महिलाओं, वृद्ध व्यक्तियों और स्वदेशी (इन्डिजनस) लोगों को भूमि अधिकारों और रोजगार के मामले में भेदभाव का सामना करना पड़ता ...