भारत में औसत मजदूर की साल भर की कमाई से ज्यादा चार घंटे में कमा लेता है एक सीईओ: ऑक्सफैम
2022 में वैश्विक स्तर पर जहां एक तरफ कर्मचारियों की तनख्वाह में 3.19 फीसदी की कटौती की गई वहीं दूसरी तरफ टॉप सीईओ के ...
बजट 2023-24: मनरेगा बजट में लगातार तीसरे वर्ष 34 फीसदी कटौती, 25 हजार करोड़ का भुगतान बाकी
मनरेगा के तहत वित्त वर्ष 2022-23 में जनवरी तक करीब 16000 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया गया है जो कि वित्त वर्ष के ...
डाउन टू अर्थ खास: क्यों की जा रही है गधों की हत्या, कितने जरूरी हैं हमारे लिए गधे
बोझा ढोने वाले जानवर के रूप में गधों का प्रयोग अब बहुत कम होता है। मांस और खाल के अवैध व्यापार के कारण भी ...
अर्थशास्त्रियों ने कहा, वृद्धावस्था-विधवा पेंशन और मातृत्व लाभ की धनराशि बढ़ाना जरूरी
भारत सहित विश्वभर के 51 प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने आगामी बजट में सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मातृत्व लाभ की धनराशि बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री ...
डाउन टू अर्थ, गहन पड़ताल: लम्पी बीमारी ने बिगाड़े हालात, ग्रामीण ही नहीं शहरी भी प्रभावित
मवेशियों में दो वायरस से होने वाली बीमारियां लम्पी रोग और अफ्रीकी स्वाइन फ्लू इस साल पूरे भारत में अप्रत्याशित तौर पर फैल गईं। ...
मॉनसून 2022: जून में कृषि क्षेत्र में कम हुए करीब 80 लाख मजदूर
धीमे मॉनसून और बुआई का रकबा 15 फीसदी कम होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मंदी की ओर बढ़ रहा है
सरकारी नीतियों में हाशिए पर रहा चारा उत्पादन
आंकड़ों के अभाव में चारा संकट की समस्या को नकारना आसान है परंतु इससे समस्या का समाधान नहीं होता
मुफ्त की रेवड़ियों पर मुफ्त की सलाह
मोदी के बयान के दो निहितार्थ हो सकते हैं। पहला, वह मान चुके हैं कि मुफ्तखोरी चुनाव जीतने का पक्का हथकंडा है। दूसरा, वह ...
सामुदायिक संसाधनों से चारे की 60 प्रतिशत जरूरतें होती हैं पूरी: जोशी
सामुदायिक संसाधनों को विकसित करने की दिशा में कार्यरत फाउंडेशन फॉर ईकोलॉजिकल सिक्युरिटी के कार्यकारी निदेशक संजय जोशी ने राजस्थान जैसे राज्यों में सामुदायिक ...
आवरण कथा: आदिवासियों ने वन भूमि को विकसित कर दूर किया संकट
अकोला जिले के वाडला गांव में विकसित वन भूमि से चारा मिलने से लोगों का पलायन काफी हद तक रुक गया है
आवरण कथा: पशु चारे की जद्दोजहद, भाग-दो
पहले से ही चल रही भूसे की समस्या को बेमौसम बारिश, अत्यधिक गर्मी और गेहूं के कम उत्पादन ने बढ़ा दिया है
आवरण कथा: जहां चाह, वहां राह
राजस्थान के कई गांव चारागाह का विकास और प्रबंधन करके चारे के संकट से उबर चुके हैं
आवरण कथा: पशु चारे की जद्दोजहद, भाग-एक
भूसे की महंगाई ने पशुपालन की लागत में बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी है और इसके परिणामस्वरूप किसान व पशुपालक पशुओं को छोड़ने पर मजबूर ...
हर तीस घंटे में एक अरबपति बना और दस लाख नए गरीब, पर कैसे
ऑक्सफेम की नई वेल्थ जनरेशन रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कमाई के हिसाब से निचले स्तर के 50 फीसदी लोगों में शामिल एक मजदूर को जितना ...
खास पड़ताल: छत्तीसगढ़ में कितनी सफल रही गोधन न्याय योजना
गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ में कुल डेढ़ वर्षों में 52 फीसदी गोबर सिर्फ 7 शहर केंद्रित जिलों से खरीदा गया। विवेक मिश्रा ...
छत्तीसगढ़ बजट: पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान
राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की राशि 6,000 से बढ़ाकर 7,000 कर दी गई है
दुनिया में करीब 2.4 अरब महिलाओं के पास पुरुषों जैसे आर्थिक अधिकार नहीं: विश्व बैंक
कोविड-19 महामारी के बावजूद 23 देशों ने अपने कानूनों में सुधार करते हुए 2021 में महिलाओं के आर्थिक समावेश को आगे बढ़ाने के लिए ...
आम बजट 2022-23 : इस बार मनरेगा बजट में हुई 25 फीसदी की कटौती, बढ़ सकता है गांवों का संकट
मनरेगा में काम की मांग के बावजूद लगातार दूसरे वर्ष बजट घटा दिया गया है। इसके अलावा श्रम दिवस भी कम कर दिए गए ...
ग्रामीण भारत के लिए बाढ़ व सूखे से भी ज्यादा नुकसानदायक थी कोविड-19 की दूसरी लहर
दूसरी लहर में किसानों और खेतिहर मजदूरों के संक्रमित होने के कारण ग्रामीण सप्लाई चेन पर असर पड़ा, ऐसा पहली लहर के दौरान नहीं ...
कोविड-19 की दूसरी लहर ने ग्रामीण भारत को बड़ा नुकसान पहुंचाया
कोविड-19 गांवों में पहुंच चुका है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इतना गहरा असर डाल सकता है कि पिछले साल की तरह उसे बचाना मुश्किल ...
क्या उत्तराखंड में लागू होगा सकल पर्यावरण उत्पाद, क्या होंगे फायदे
उत्तराखंड सकल पर्यावरण उत्पाद की गणना करने वाला पहला राज्य बन रहा है, इसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी
प्रवासियों की अदालत का फैसला, रोजगार के साधन बढ़ाए सरकार
प्रवासियों की समस्याओं के निदान के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनोखे कार्यक्रम का आयोजन किया गया
गहरे सदमे में है भारतीय अर्थव्यवस्था
ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा महामारी का आर्थिक प्रभाव बेहद नुकसानदेय होने वाला है क्योंकि वहां ज्यादातर अनौपचारिक और कम कमाई करने वाली मजदूर रहते ...
छत्तीसगढ़ के गांवों से क्यों मजदूरी करने शहरों में जाते हैं लोग
छत्तीसगढ़ सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना काल के समय में करीब सात लाख प्रवासी श्रमिकों ने घर वापसी की है
कोविड-19 के कारण आए आर्थिक संकट से दुनिया के पिछड़े देशों में बढ़ी बाल मजदूरी
घाना, नेपाल और युगांडा में बच्चे दिन में 14 घंटों तक खतरों से भरे कामों को करने के लिए मजबूर हैं, जिसके लिए उन्हें पूरी मजदूरी तक नहीं ...