फल और सब्जी किसानों को नहीं मिल रहे खरीदार, फसल फेंकने की नौबत
किसानों और खरीदारों के बीच बनी सप्लाई चेन लॉकडाउन की वजह से टूट गई है
On: Thursday 07 May 2020
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के गरगैया गांव के रहने वाले युवा किसान मोहम्मद नाजिम (28) इन दिनों काफी परेशान हैं। उनकी परेशानी की वजह है उनके खेत में तैयार तरबूज की फसल जिसे वह बेच नहीं पा रहे।
नाजिम बताते हैं, "मैंने डेढ़ एकड़ में तरबूज लगाया है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसका सही दाम नहीं मिल रहा। आम दिनों में व्यापारी गांव तक आकर इसे खरीद ले जाते थे, लेकिन अब हालात और हैं तो व्यापारी आ नहीं रहे। मैंने जब तरबूज लगाया था तो उम्मीद थी कि 8 से 10 रुपए किलो का भाव मिलेगा, पर आज कोई 2 रुपए किलों में भी खरीदने को तैयार नहीं है। ऐसे हाल में मेरे सामने तरबूज फेंकने की नौबत आ गई है।"
यह कहानी अकेले नाजिम की नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन की वजह से सब्जी और फलों के किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। किसानों को उनकी तैयार फसल के खरीदार नहीं मिल रहे और अगर मिल भी रहे हैं तो फसल के दाम नहीं मिल पा रहे। इस स्थिति में किसान मेहनत से तैयार की गई अपनी फसल को बर्बाद होते देखने को मजबूर हैं।
ऐसे ही एक किसान हैं कि बाराबंकी जिले के बेलहरा गांव में रहने वाले 30 वर्षीय गौरव मौर्या। यह क्षेत्र हरी मिर्च के उत्पादन के लिए जाना जाता है और करीब 2 हजार हेक्टेयर में हरी मिर्च की खेती होती है। गौरव ने भी इस बार पहले से ज्यादा हरी मिर्च लगाई थी, क्योंकि पिछले साल उन्हें इसके अच्छे दाम मिले थे, लेकिन लॉकडाउन ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया है। गौरव बताते हैं, ''मेरे खेत में मिर्च तैयार है, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे। पिछली बार व्यापारी सीधे गांव आकर खरीद ले गए थे, लेकिन इस बार कोई नहीं आया है। अब मुझे गांव के बाजार में मिर्च बेचनी पड़ रही है।''
इन हालातों पर वेजिटेबल ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीराम गढ़वे कहते हैं, "किसानों के सामने सब्जी बेचने को लेकर समस्या इसलिए खड़ी हो गई है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था प्रभावित हुई है। कई जगहों पर किसानों ने सीधे ग्राहकों को सब्जी पहुंचाना शुरू किया है, लेकिन हर जगह ऐसा नहीं है। इस हाल में सब्जी के दाम में बिचौलिए ज्यादा फायदा कमा रहे हैं और किसानों को उनकी फसल का दाम नहीं मिल रहा।"
सरकार की ओर से सब्जियों और फलों की बिक्री पर छूट दी गई है, लेकिन किसानों के सामने मंडियों तक पहुंचने की चुनौती बनी हुई है। यह चुनौती इसलिए भी है कि लॉकडाउन से पहले किसानों से लेकर खरीदार तक एक बनी बनाई सप्लाई चेन थी, जो लॉकडाउन से प्रभावित हुई है। इसी कारण फल और सब्जी के किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
भारत में फल और सब्जियों का उत्पादन साल दर साल बढ़ता रहा है। भारतीय कृषि मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट (2017-18) के मुताबिक, भारत सब्जियों के क्षेत्र में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वर्ष 2007-08 में भारत में सब्जी का उत्पादन 128.4 मिलियन टन होता था जो कि 2017-18 में 180.7 मिलियन टन हो गया। ऐसे ही फलों का उत्पादन भी बढ़ा है। वर्ष 2007-08 में भारत में फलों का उत्पादन 67.8 मिलियन टन होता था जो 2017-18 में 94.9 मिलियन टन हो गया। बंपर उत्पादन के बाद भी किसानों को फायदा नहीं हो रहा है।