मध्य प्रदेश : कोरोना से बचाव में गांव वालों ने किया स्वैच्छिक लॉकडाउन 

मध्यप्रदेश के रीवा जिले से 22 किलोमीटर दूर बसे छह गांवों ने खुद को सीमित कर लिया है

On: Thursday 26 March 2020
 
Photo: wikimedia commons

रीवा से उषा अग्निहोत्री

कोरोनावायरस को लेकर लोगों में भय और जागरूकता देखने को मिल रही है। यही वजह है कि कुछ ऐसे इलाके भी हैं जहां ग्रामीणों ने अपने स्तर पर लॉकडाउन कर लिया है। ग्रामीणों ने आपसी सलाह मशविरा से बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। 

मध्यप्रदेश के रीवा जिले से 22 किलोमीटर दूर बसे छह गांवों ने खुद को सीमित कर लिया है। इन छह गांवों की खासियत यह है कि ये दूध का कारोबार करते हैं। लेकिन इन गांवों के दुग्ध कारोबारियों ने उन शहरी लोगों से संपर्क में आने से मना कर दिया जो बाहर से आ रहे हैं। ये बाहर के खरीदारों को दूध की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं। इनका मानना है कि इससे वे सामुदायिक संक्रमण से बच सकते हैं।

इन गांवों में पटेल समुदाय के लोग बड़ी संख्या में पशुपालन करते हैं। बदवार, बसैता, तमरा, दुआरी, बांधी, जलदर, ऐसे गांव हैं जहां की आबादी लगभग 70 हजार है। ग्रामीणों ने एक सुर में कहा कि कारोबार अपनी जगह है लेकिन जींदगानी अपनी जगह। दुआरी गाँव के रामस्वरूप ने कहा कि यह सही है कि हमने शहर से आने वाले दूधियों को कहा है कि 31 मार्च तक गाँव में न आएं। हमने भी कभी इस हालात के बारे में नहीं सोचा था। 

बदवार गांव के राजेश पटेल ने इस कहा कि सही है कि सरकार ने हमारे गांव में प्रतिबंध नहीं लगाया है। लेकिन हम भी रोज टीवी पर खबर देख रहे कि यह कितना भयानक मामला है। हम बीमारी फैलने का इंतजार क्यों करें पहले से ही रोकथाम के इंतजाम क्यों न करें। रामस्वरूप ने कहा कि पहले तो सारे लोग इसके लिए तैयार नहीं थे लेकिन फिर सबने बात समझी। अगर यह वायरस हमारे गाँव तक पहुँच गया तो हम उससे हुए नुकसान की कल्पना भी नहीं कर सकते। अगर दस दिन कारोबार न हुआ तो उसका आर्थिक नुकसान झेल लेंगे, पूरी दुनिया झेल रही है। 

दुआरी गाँव के ही सुशील पटेल ने कहा कि यह बीमारी विदेश से आई और शहर तक पहुँची तो अब खतरा गांव पर भी मंडरा रहा है। हमारे यहाँ तो बड़े अस्पताल भी नहीं है। हम पहले ही सुरक्षा के इंतजाम क्यों न कर लें। सुशील पटेल ने कहा कि अगर हर गाँव कुछ दिन तक अपने ही जान माल तक सीमित रहे तो ठीक। इसी तरह से हम संक्रमण से बचे रह सकते हैं। 

 

 

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