लॉकडाउन की अवधि बढ़ी:  भारत में रुके 1100 नेपाली मजदूरों का एकांत में बीतेगा नया साल

विषुवत संक्राति 14 अप्रैल को है और उसी दिन नेपाल में नया साल मनाया जाना है

By Vivek Mishra

On: Sunday 12 April 2020
 
नेपाली प्रवासी मजदूरों को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धारचुला सीमा पर अलग-अलग जगह रखा गया है। फोटो: नदीम

 
हर नेपाली यह सोचता है कि वह नए साल पर अपने घर में रहे, यह पहली बार होगा कि मैं एक शेल्टर में नया साल बिताऊंगा। हमारे देश ने बॉर्डर नहीं खोला है और लॉकडाउन की अवधि भी बढ़ा दी। हम 30 मार्च से यहीं अटके हैं। अब तो एकांत करते हुए 14 दिन भी बीत जाएंगे। 
यह बातें नेपाल के बहादुर ने कहीं। वे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में नेपाल की सीमा दार्चुला से साझा करने वाली सीमा धारचुला के एक कैंप में ठहराए गए हैं। 
 
विषुवत संक्राति 14 अप्रैल को है और उसी दिन नेपाल में नया साल मनाया जाना है। लॉकडाउन के चलते लोग पहले से ही घरों में हैं। लेकिन उनके 1100 से अधिक मजदूर भारतीय सीमा में ही 30 मार्च से क्वरांटाइन किए गए हैं। 
 
30 मार्च को नेपाल ने अपने नागरिकों के लिए भी सीमा खोलने से मना कर दिया था। इसके बाद  7 अप्रैल, 2020 को अपना लॉकडाउन खत्म करने के बजाए बढ़ाते हुए उसकी अवधि 15 अप्रैल तक कर दी थी। नेपाल की राजधानी काठमांडू में पत्रकार के एम नागरिक ने डाउन टू अर्थ से लॉकडाउन बढ़ाए जाने की सूचना की पुष्टि भी की। 
 
भारत ने अपनी तरफ से इन नेपाल मजदूरों के लिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धारचुला सीमा पर तीन अलग-अलग स्थानों पर ठहराया गया है। धारचुला एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने डाउन टू अर्थ से कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने नेपाल सरकार से सीमा खोलने के लिए बातचीत की थी लेकिन वह विफल रही। मजदूरों को यहां ही हर प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।  काठमांडू से की गई बार बातचीत विफल रही। 
 
335 नेपाली नागरिकों को धारचुला स्टेडियम में और 32 नागरिकों को निडालपानी, फायर ब्रिगेड भवन में, बलुआकोट जीआईसी भवन में 371, एक अन्य जीआईसी भवन में 224 साथ ही ब्रह्म जीआईसी में 103 नागरिकों को ठहराया गया है।  
 
स्थानीय नागरिक रवि पाटियाल ने बताया कि कई नेपाली नागरिक अपने देश जाने के लिए परेशान हैं हालांकि उनकी सुविधा के लिए यहां हर इंतजाम किया जा रहा है। प्रशासन की तरफ से थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही है। एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि अभी तक कोई भी नेपाली मजदूर में कोविड संक्रमण के लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं। न ही थर्मल स्क्रीनिंग से पता चला है। 
 
बहरहाल अभी तक नेपाली मजदूरों में किसी की कोविड-19 जांच भी नहीं की गई है। यदि नेपाल 15 अप्रैल या उसके बाद सीमा खोलता है तो शायद 1100 से अधिक यह मजदूर अपने वतन चले जाएं।

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