सरकारी व्यवस्था के आगे बेबस किसान
आढ़तियों को बेचने पर किसानों को प्रति कुंतल 425 से 530 रुपए का हो रहा है नुकसान
On: Sunday 19 April 2020
हरियाणा सरकार ने 15 अप्रैल से सरसों की खरीदारी शुरू की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दावा है कि लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन कराते हुए पांच दिनों में मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पर रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसानों की सरसों खरीद ली जाएगी। डाउन टू अर्थ ने जब इस दावे की पड़ताल की, तो हकीकत इससे जुदा मिली। प्रदेश के सभी मंडियों में एक किसान से आठ कुंतल और किसी भी सूरत में अधिकतम 40 कुंतल सरसों खरीदने का स्लैब लगाया गया है। किसानों को रजिस्ट्रशन से कम पैदावार लाने के लिए मेसेज भेजे जा रहे है। जो किसान अधिक पैदावार लेकर आ रहे है, उन्हें लौटा दिया जा रहा है। अधिक नमी बताकर सरसों खरीद एजेंसी नेफेड/हेफेड सरसों नहीं खरीद रही है।
गुरुवार को हरियाणा सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि अब सरसों की ऑनलाइन पंजीकरण करवाने वाले किसानों की बिजाई को पटवारी वेरिफाई करेगा। उसके बाद मेसेज भेजकर मंडी बुलाया जाएगा। ऐसे में सैकड़ों किसान 4425 रुपये प्रति कुंतल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों बेचने से महरूम रह जाएंगे। किसानों के साथ हो रहे इस तरह के बर्ताव से किसान यूनियन खफा है और उन्हें गेहूं बिकने की फिक्र सताने लगी है।
गुरुग्राम के फर्रूखनगर में किसान ओम प्रकाश ने 40 कुंतल तक सरसों बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन जब मंडी में नंबर आया तो पता चला उसका एक कुंतल का रजिट्रेशन है। उससे अधिक खरीद नहीं होगी। अंबाला जिले के नारायणगढ़ कस्बे के गांव मणका-मणकी के किसान बलबीर सिंह बताते है, तीन एकड़ का रजिस्ट्रेशन कराया था। 16 कुंतल सरसों निकली है। जिसे लेकर मंडी आए तो हैफेड अधिकारी केवल 8 कुंतल खरीदने की बात कह रहे हैं।
इसी तरह बराड़ा खंड के बलजिंद्र ने पांच एकड़ का रजिस्ट्रेशन कराया था। वह 25 कुंतल सरसों लेकर आए, लेकिन मंडी आने पर सात कुंतल खरीदने की बात कर रहे है। किसानों को कहा जा रहा है कि उन्हें दोबारा बुलाया जाएगा। लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है, ऐसे में उन्हें दोबारा वाहन का हजारों रुपये किराया देना पड़ेगा।
लॉकडाउन में शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए किसानों को मेसेज भेजकर बुलाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। पटौदी के किसान ने दस एकड़ का रजिस्ट्रेशन कराया था। मेसेज केवल 64 किलो का आया। अधिक लाने पर शुक्रवार को वापस लौटा दिया गया। एक अन्य किसान प्रेमचंद सैनी की फसल आठ फीसदी से अधिक नमी के कारण लौटा दिया गया।
अबकी बार पूरे प्रदेश में 5 लाख 62 हजार 440 हेक्टेयर भूमि पर बिजाई हुई है। लगभग आठ से 9 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद होने का अनुमान है। पिछले साल छह लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद हुई थी। दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, गुरुग्राम, मेवात, झज्जर, भिवानी, हिसार और सिरसा में अच्छी पैदावार हुई है। हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के चीफ मार्केटिंग एनफोसर्मेंट ऑफिसर राजकुमार बेनीवाल के मुताबिक, सरसों बेचने के लिए प्रदेश में करीब चार लाख किसानों से पंजीकरण कराया है।
विभागीय आंकड़े कहते है तीन दिनों में 21,762 किसान (शुक्रवार शाम तक) प्रदेश के 163 खरीद केंद्र पर पहुंचे और 56,781 मीट्रिक टन सरसों बेचा। अखिल भारतीय किसान यूनियन के गुरणाम सिंह चढूणी कहते हैं कि पहले जितने किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, उसकी खरीद पांच दिनों में होनी मुश्किल है। किसानों के नए रजिस्ट्रेशन का सर्वर बहुत धीमा है। कृषि विभाग ने किसानों के बिजाई से कम पंजीकरण दिखाकर उन्हें समर्थन मूल्य पर सरसों बेचने से महरूम कर दिया है। आढ़तियों को बेचने पर किसानों को प्रति कुंतल 425 से 530 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। आठ कुंतल पैदावार पर 3,500 से 4,000 रुपए उठाना पड़ रहा है।
शुक्रवार को गुरुग्राम दौरे पर आए कृषि मंत्री जेपी दलाल ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बताते हुए कहा कि सरकार एक एकड़ में लगभग 8 कुंतल सरसों की पैदावार मानती है। उसी हिसाब से सरकार ने सरसों खरीदने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में 40 कुंतल की सीमा तय की गई है। यह चरण पूरा होने के बाद दूसरे चरण में पांच एकड़ से अधिक सरसों उपजाने वाले किसानों की सरसों हरियाणा सरकार खरीदेगी।
वहीं, 20 अप्रैल से प्रदेश में शुरू हो रही गेहूं की बिक्री के लिए 1887 केंद्र बनाए गए है। 95 लाख टन गेहूं खरीदने का इंतजाम किया गया है। अबकी बार प्रदेश में 23.87 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल तैयार है। 115 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है।