देशी प्रजातियों पर विदेशी हमला, भाग-दो: जंगली जानवरों को नहीं मिल रहा उनका प्रिय भोजन
आक्रामक पौधे तेजी से देसी घास की प्रजातियों की जगह ले रहे हैं, जिससे जानवरों के पसंदीदा भोजन की उपब्लधता में कमी आ रही ...
हिमालय की कीड़ाजड़ी: फिदा है दुनिया, लेकिन संकट में है अस्तित्व
इस मशरूम को 'कैटरपिलर फंगस' भी कहते हैं, जबकि तिब्बत में यार्त्सा गुंबू, कुमाऊं और गढ़वाल में आम बोलचाल में कीड़ा जड़ी अथवा यर्त्सा ...
अपने घोंसलों से ज्यादा दूर नहीं जाते छोटे पंख वाले पक्षी, झेलते हैं दिक्कतें
उष्णकटिबंध में रहने वाले जंगली पक्षी आइबिस, नीले और सुनहरे मकोव, हरे हनीक्रीपर तथा कई अन्य प्रजातियां, रहने की जगहों के नुकसान होने से ...
मधुमक्खियों के परागण की प्रक्रिया को बाधित करते हैं विद्युत टावरों से बनने वाले चुम्बकीय क्षेत्र
शोध में पाया गया कि, एक टावर के सबसे करीब वाले फूल की यात्राओं की आवृत्ति उन क्षेत्रों की तुलना में लगभग 308 फीसदी ...
लुप्तप्राय 43 उभयचरों-कशेरुकियों के रहने की जगहों के नुकसान से इनमें बीमारी के खतरे बढ़े
लोगों द्वारा की जा रही गड़बड़ी, जैसे खेती तथा अन्य काम के लिए जंगलों को काटना, इस पर्यावरणीय नुकसान के प्रमुख कारण हैं। इन ...
पर्यावरण के अनुकूल कीट नियंत्रण के रूप में होगा मकड़ियों का उपयोग
शोधकर्ताओं ने कीट नियंत्रण के रूप में उष्णकटिबंधीय टेंट जाल बनाने वाली मकड़ियों, साइरोटोफोरा साइट्रिकोला की खोज की
नई पहचानी गई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा अधिक: शोध
2011 से 2020 के बीच दर्ज प्रजातियों के लिए यह संकट बढ़कर 30 फीसदी हो गया है। विश्लेषण में आगे अनुमान लगाया गया है ...
ट्विटर और सोशल मीडिया की मदद से पता चला, कैसे फैलते हैं आक्रामक कीट
अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि ट्विटर और समाचार की जानकारी आधिकारिक डेटा स्रोतों को पूरा करने के लिए उपयोगी हो सकती ...
पारंपरिक ज्ञान के बिना जैव विविधता संरक्षण की बात बेमानी
हमें जंगलों एवं संरक्षित क्षेत्रों में जैव संसाधनों के साथ-साथ स्थानीय और स्वदेशी ज्ञान की रक्षा एवं विकास की भी जरूरत है
दुनिया में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली की क्षमता में आई भारी गिरावट: शोध
शोध में दक्षिण और पूर्वी एशिया के ऐसे क्षेत्रों को चुना गया जहां लचीलापन समाप्त हो गया है, जिसमें भारत में शुष्क पर्णपाती वन, ...
नगरीय खेती मधुमक्खियों के लिए हो सकती है उपयोगी, बंग्लुरू में किया गया शोध
शहरी वातावरण में फैले खेतों में मधुमक्खियों के व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण में, शोधकर्ताओं ने 40 प्रजातियों से संबंधित 26,000 से अधिक मधुमक्खियों को दर्ज ...
विश्व मधुमक्खी दिवस - 20 मई: जानिए इस दिन को मनाने का इतिहास और महत्व
दुनिया भर में उत्पादित सभी खाद्य पदार्थों का एक तिहाई, यानी भोजन का हर तीसरा चम्मच परागण पर निर्भर करता है
दुनिया भर में पक्षियों की प्रजातियों में 48 फीसदी और भारत में 50 फीसदी की भारी गिरावट : रिपोर्ट
अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में मौजूदा पक्षी प्रजातियों में से लगभग 48 फीसदी आबादी गिरावट के दौर से गुजर रही ...
नए युग में धरती: क्या सतत विकास लक्ष्य आएंगे काम
जैव विविधता के लक्ष्यों से पिछड़ने का मतलब है, गरीबी, भुखमरी, स्वास्थ्य, पानी, शहरों, जलवायु, महासागर और भूमि से संबंधित लक्ष्यों में बाधा
नए युग में धरती: अब तक पांच बार हो चुका है महाविनाश
शुरुआती विलुप्तियां और जीवाश्म रिकॉर्ड बताते हैं कि एक प्रजाति करीब 10 लाख वर्षों में खत्म हो जाती है
नई-नई महामारियों को रोकने की चाबी है जैव विविधता का संरक्षण: अध्ययन
वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने प्राकृतिक क्षेत्रों को संरक्षित करके और जैव विविधता को बढ़ावा देकर अगली महामारी को कैसे रोका जाए, इसके ...
अनुमान से कहीं ज्यादा है प्रकृति के नुकसान की कीमत, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
शोधकर्ताओं का सुझाव है कि सरकारें भावी पीढ़ियों के लिए जैव विविधता और प्रकृति के संरक्षण से होने वाले फायदों की गणना के लिए ...
टाइम बम की तरह हैं आक्रामक पौधे, जैव विविधता को पहुंचा रहे हैं भारी नुकसान
शोध टीम ने पाया कि जिन आक्रामक पौधों का उन्होंने विश्लेषण किया, उनमें से लगभग एक-तिहाई के तीव्र विस्तार के बीच की अवधि का ...
पक्षियों की 12 फीसदी प्रजातियों के लिए काल बन चुका है इंसान
रिसर्च से पता चला है कि आधुनिक मानव इतिहास में पक्षियों की करीब 1,430 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। इनमें से अधिकांश के लिए ...
अधिक संख्या में पाई जाने वाली प्रजातियों के गायब होने से कीटों की संख्या में आ रही है गिरावट: शोध
अध्ययन के निष्कर्ष इस विचार को चुनौती देते हैं कि कीट जैव विविधता में बदलाव दुर्लभ प्रजातियों के गायब होने के कारण होता है।
हमारे लिए क्यों उपयोगी है जैव विविधता?
भारत दुनिया के 17 सबसे अधिक जैव विविधता वाले देशों में से एक है।
अनिल अग्रवाल डायलॉग 2024: वैश्विक औसत के मुकाबले भारत में ज्यादा तेजी से हो रही है प्रजातियों की विलुप्ति
अब जो सामूहिक विलुप्ति या अंत होने वाला है, वो आधुनिक मानव यानी होमो सेपियन्स के कारण होगा
बिहार: जिनके नाम पर गांव बसे, वो स्थानीय मछलियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंची
शहरीकरण के चलते प्राकृतिक प्रवास के क्षेत्रों में कमी और नदी या तालाब से मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति ने स्थानीय मछलियों को खत्म होने ...
खेती, शिकार, जलवायु परिवर्तन, वनविनाश के कारण खतरे में पड़ी सरीसृपों की 21 फीसदी प्रजातियां
रिसर्च के मुताबिक भारत, उपसहारा अफ्रीका और चीन के कुछ हिस्सों में सरीसृपों का होता शिकार उनके लिए सबसे बड़ा खतरा है
महासागरों से हर साल निकाली जा रही है छह अरब टन रेत, जैव विविधता को खतरा: संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, रेत निकालने वाले जहाजों का विशाल वैक्यूम, समुद्री तल को साफ कर देता है, जिससे समुद्री सूक्ष्म जीव गायब हो ...