लगातार घट रही है बीज उत्पादन में मदद करने वाले परागणकों की संख्या
82 फीसदी पौधों की प्रजातियां कीड़ों द्वारा परागित होती हैं, 6 फीसदी कशेरुकी द्वारा परागित होती हैं, जबकि हवा द्वारा केवल 12 फीसदी पौधों ...
बांस को चट करने वाले ये कीट बनें दुनिया के लिए चुनौती
लॉन्गहॉर्न बीटल को घरों में उपद्रव मचाने वाला कीट माना जाता है, यह बांस खाने के लिए जाना जाता है, इस तरह यह बांस ...
भोजन की बढ़ती मांग के चलते संरक्षित क्षेत्रों पर पड़ रहा दबाव
शोधकर्ताओं द्वारा पहली बार दुनिया भर के संरक्षित क्षेत्रों में खेती के प्रभावों के बारे में पता लगाया है, 22 प्रतिशत खेती उन क्षेत्रों ...
पौधों में अधिक विविधता होने से कीटनाशकों का उपयोग हो जाता है कम : शोध
शोध में पता चला है कि बढ़ती जैव विविधता से कृषि प्रणाली में कीटनाशकों के उपयोग को कम करने में मदद मिल सकती है।
कोरोना काल और बालकनी में सिमटी प्रकृति
यह भी सच है कि घरों में भी वही बैठ सकते हैं जो कि एक अलग किस्म के 'पूंजीवाद' में शामिल हैं
प्रकाश प्रदूषण की वजह से 'केन मेंढक' के व्यवहार में हो रहा है बदलाव
एक नए अध्ययन में कहा गया है कि समुद्र तट के आसपास बढ़ते प्रकाश प्रदूषण का असर केन मेंढक पर पड़ रहा है
जंगली मधुमक्खियों और देशी पौधों की 94% प्रजातियां हो गई गायब
एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले 30 वर्षों में दुनिया भर में खासकर उत्तर-पूर्वी अमेरिका में जलवायु परिवर्तन और कृषि के बढ़ते दायरे ...
पक्षियों को बिजली की लाइनों से बचाएगा 'फ्लैपर'
इस उपकरण की मदद से बिजली की लाइनों के सामने से उड़ने वाले पक्षियों की जान बचाई जा सकती है
कौन है ये चिड़िया जो बताती है कि पक गया काफल
इन दिनों उत्तराखंड के पहाड़ों पर एक चिड़िया यह बताने आती है कि काफल (एक तरह का फल) पक गए हैं। जानें, कौन है ...
लुप्त होती प्रजातियों को सहेजने में जुटा उत्तराखंड वन विभाग
हल्द्वानी, लालकुआं, पिथौरागढ़, रानीखेत, नैनीताल, गोपेश्वर, देहरादून और उत्तरकाशी के रिसर्च रेंज में वनस्पतियों की 1145 प्रजातियां सहेजी हैं
दुनिया भर में घट रहे हैं कीट, 1990 के बाद से आयी है 25% की कमी
कीट केवल नुकसान ही नहीं करते, वे पर्यावरण के लिए अत्यंत जरुरी भी होते हैं। लेकिन आज दुनिया भर में कई कीटों की आबादी ...
हिंद महासागर से गायब हो चुकी हैं 90 फीसदी डॉल्फिन, यह है वजह
1950 से 2018 के बीच हिंद महासागर में लगाए गए गिलनेट के चलते करीब 41 लाख जीव मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी मात्रा ...
स्थानीय प्रजातियों की विविधता को 53 फीसदी तक कम कर सकती हैं आक्रामक चींटियां
दुनिया भर में चीटियों की 17,000 से ज्यादा प्रजातियां का पता चल चुका है। इनकी कुल आबादी करीब 20,000 लाख करोड़ है
शहरों में पक्षियों की विविधता में गिरावट की वजह बन रहा है बढ़ता तापमान
रिसर्च से पता चला है कि शहरों में बढ़ता तापमान, पक्षियों की विविधता में गिरावट की वजह बन रहा है
भारत के शहरी इलाकों में मिली तितलियों की 202 प्रजातियां, बेंगलुरू में सबसे अधिक
बेंगलुरु के अलग-अलग इलाकों में इनमें से 182 प्रजातियां थीं, जबकि बाकी को मैसूर, चेन्नई, मुंबई, पुणे, दिल्ली और कोलकाता सहित अलग-अलग शहरों में ...
दुनिया भर में कैसे बढ़ा बीज व पौधों में जैव विविधता पैटर्न: शोध
शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 912 भौगोलिक क्षेत्रों और लगभग 3,20,000 प्रजातियों को शामिल करते हुए क्षेत्रीय पौधों की सूची के एक बड़े डेटासेट ...
ओडिशा में मिली मीठे पानी की मछली की नई प्रजाति, गर्रा लैशरामी नाम रखा गया
नई मछली की अधिकतम लंबाई 76 मिमी से 95.5 मिमी तक होती है। इस प्रजाति का स्थानीय लोग खाने में प्रयोग करते हैं
बुंदेलखंड में क्यों काटे जाने हैं 44 लाख पेड़, क्या है सरकार की तैयारी?
हीरे की खदान और केन-बेतवा परियोजना को पूरा करने के लिए लाखों पेड़ काटे जाएंगे। साथ ही इलाके में पाषाणकाल की दुर्भल पेंटिंग, मूर्तियां ...
दुनिया भर के पहाड़ी इलाकों में तेजी से फैल रही पौधों की 'एलियन' प्रजातियां
रिसर्च के मुताबिक पर्वतीय क्षेत्रों में पौधों की इन विदेशी प्रजातियों की संख्या में औसतन 16 फीसदी प्रति दशक की दर से वृद्धि हुई ...
भारतीय वैज्ञानिकों ने लद्दाख हिमालय में खोजे 3.5 करोड़ साल पुराने दुर्लभ सांप के जीवाश्म
भारतीय वैज्ञानिकों ने जिस दुर्लभ सांप 'मैडसोइइडे' के जीवाश्मों को खोजा है, उनके बारे में अनुमान है कि वो करीब 3.5 करोड़ साल पुराने हैं
आर्किड की नई और दुर्लभ प्रजातियों की हुई खोज
शोधकर्ताओं ने बताया कि तीन वर्षों की निगरानी में, एल. माइक्रोप्रोसार्टिमा के केवल 40 पौधे पाए गए जिससे पता चलता है कि यह एक ...
जानिए क्यों एक स्थानीय समुदाय के नाम पर किया गया मेंढक की एक नई प्रजाति का नामकरण
मेंढक की इस नई प्रजाति का नाम घाना के एक स्थानीय समुदाय सगीमासे के सम्मान में कॉनरौआ सगीमासे रखा गया है, जो लम्बे समय ...
क्या है आईयूसीएन की रेड लिस्ट, इसके बारे में जानना क्यों हैं जरूरी?
आईयूसीएन की रेड लिस्ट दुनिया भर में प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति का सबसे बड़ा सूचना स्रोत है
1970 से 94.6 लाख करोड़ रुपए का नुकसान कर चुकी हैं विदेशी आक्रामक प्रजातियां
इससे होने वाले वार्षिक नुकसान करीब 196,816 करोड़ रुपए है| जो कम होने की जगह हर दशक तीन गुना हो जाता है
कहां लुप्त हो गई मधुमक्खियों की 25 फीसदी प्रजातियां, 1990 के बाद से नहीं आई सामने
हाल ही में जर्नल वन अर्थ में छपे एक शोध से पता चला है कि 1990 से 2015 के बीच मधुमक्खियों की करीब एक ...