नए युग में धरती: हिंद महासागर का समुद्री घोंघा हो सकता है पहला शिकार
एंथ्रोपोसीन यानी मानव युग में कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है, जिसके लिए कहीं न कहीं इंसान ही जिम्मेवार है
नए युग में धरती: सॉफ्ट शैल कछुआ प्रजाति की अंतिम मादा खत्म
2015 से लगातार कृत्रिम गर्भाधान कराने के प्रयास हुए लेकिन उसकी मौत के साथ ये सभी प्रयास धरे के धरे रह गए
दुनिया से विलुप्त हो जाएगी सॉफिश, वजह जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ना
सॉफिश 46 देशों से विलुप्त हो चुकी हैं,18 देश ऐसे हैं जहां इनकी कम से कम एक प्रजाति गायब हो गई है और 28 देशों ...
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं आर्कटिक के कारिबू और मस्कॉक्सन
टुंड्रा सामुदायिक विविधता धरती के उन भागों में लगभग दोगुनी दर से गिर गई जहां शाकाहारी जानवरों को उन भागों की तुलना में बाहर ...
जलवायु परिवर्तन की वजह से करोड़ों मोनार्क तितलियों की गई जान, जानें सफेद धब्बे कैसे मददगार हैं
शोध में 400 जंगली मोनार्क तितलियों के पंखों का विश्लेषण किया गया, उनके रंग के अनुपात को मापा, इसमें पाया कि सफल प्रवासी मोनार्क ...
2030 तक सभी देशों को भूमि सुधार के अपने वादों को निभाना होगा: संयुक्त राष्ट्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल, हम अपने वैश्विक आर्थिक उत्पादन के 10 प्रतिशत से अधिक मूल्य की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को ...
संकट में रक्त चंदन, पांच वर्षों में भारत से 19 हजार टन से ज्यादा लकड़ी का किया गया अवैध निर्यात
रक्त चंदन, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की चौथी अनुसूची में संरक्षित प्रजातियों की सूची में शामिल है इसके बावजूद इसका अवैध व्यापार प्रजाति पर ...
गुजरात में चिड़ियाघर बना सकता है ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू सेंटर: सर्वोच्च न्यायलय
यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
उत्तर बंगाल में क्यों बढ़ रही है गिद्धों की संख्या?
उत्तर बंगाल में गिद्दों की ंसंख्या बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह बड़ी रोचक है
कूनो में चार और चीता शावकों का जन्म, लेकिन विशेषज्ञों ने उठाए ये सवाल
नामीबियाई मादा चीता ज्वाला दूसरी बार मां बनी, लेकिन उसे कभी जंगल में नहीं छोड़ा गया
देश में स्वर्ण अयस्क का सुरक्षित भंडार 50 करोड़ टन: सरकार
बिहार में सबसे ज्यादा है स्वर्ण अयस्क, उसके बाद राजस्थान और कर्नाटक में
बाघों की उत्पत्ति कहां हुई?
देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में असोसिएट प्रोफेसर सम्राट मंडल कहते हैं कि बाघों का विकास क्रम जानने के लिए वैज्ञानिक डीएनए का ...
फोग : खत्म होता मरूक्षेत्र का मेवा
पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होने के बाद भी राजस्थान में धीरे-धीरे फोग की झाड़ियां लगातार खत्म होती जा रही हैं
छत्तीसगढ़ के गारे पेलमा कोयला खदान की पर्यावरणीय मंजूरी अटकी, अडानी समूह के पास है ठेका
पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी ने सुनवाई के दौरान जल, जंगल और ग्रामीण के ऊपर होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर शोध की कमी ...
अब सोनाखान को बचाने के लिए सड़क पर उतरे आदिवासी
608 एकड़ की सोनाखान भूमि की लीज हासिल करने वाली वेदांता-बॉल्को कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाल ही में बाघमारा क्षेत्र का दौरा किया, इसके ...
बैलाडीला खदान: फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं आदिवासी
बैलाडीला खदान को अडानी को सौंपे जाने के मामले की जांच रिपोर्ट न मिलने के कारण आदिवासी संगठनों ने एक बार फिर आंदोलन की ...
रेगिस्तान की लोमड़ियों में भी फैल रही है मेंज बीमारी, वन विभाग बेखबर
राजस्थान में ऊंटों के बाद रेगिस्तान की लोमड़ियों (डेजर्ट फॉक्स) में भी मेंज बीमारी फैल रही है
तीन दिन में तीन हथिनियों की मौत कहीं हाथी-मानव संघर्ष का नतीजा तो नहीं?
सरगुजा के जंगलों में कुछ वर्षों से जंगली हाथियों की काफी उपस्थिति देखी गई है, इस जंगल में करीब 240 हाथी तक देखे गए ...
कोरोना संक्रमण: चिड़ियाघरों में जानवरों को खाना-पानी पहुंचाने का आदेश
लॉक डाउन की वजह से चिड़ियाघरों में मौजूद पालतू जंतुओं को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है
एक ही दिन में चार गुलदारों की मौत, तीन को जहर देकर मारा
हरिद्वार रेंज में तीन गुलदारों की जहर दिए जाने से मौत की प्राथमिक तौर पर पुष्टि हो गई है, लेकिन जहर दिए जाने का ...
दुधवा में 85 वर्ष बाद दिखा दुर्लभ रेड कोरल सांप
अति दुर्लभ खुखरी सांप लाल मूंगे की तरह चमकदार होता है। वर्ष 2011 में यह सांप असम और 2015 में उत्तराखंड में देखा गया
भारत में मिली मेंढक की नई प्रजाति
वैज्ञानिकों के अनुसार, मेंढक की यह प्रजाति अपने दक्षिण-पूर्व एशियाई संबंधियों से लगभग चार करोड़ वर्ष पूर्व अलग हो गई थी
क्या सेंटीनेलिस को ‘बचाने’ की जरूरत है?
अंडमान की सेंटीनेलिस और अन्य जनजातियों की आबादी सीमित है। क्या वे विलुप्त हो जाएंगी?
उत्तराखंड में जंगली सुअर का आतंक
पहले जंगली सुअर सिर्फ खेती को नुकसान पहुंचाते थे, लेकिन अब यह घर-आंगन तक पहुंचने लगे हैं
डाउन टू अर्थ खास: प्रतिबंध के बावजूद नहीं थम रहा है प्रवासी पक्षियों का शिकार
प्रवासी पक्षियों का शिकार करने पर साल 1972 से ही पूर्ण प्रतिबंध है, लेकिन इसके बावजूद कश्मीर घाटी के वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) में इन पक्षियों ...