बाघों की उत्पत्ति कहां हुई?

देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में असोसिएट प्रोफेसर सम्राट मंडल कहते हैं कि बाघों का विकास क्रम जानने के लिए वैज्ञानिक डीएनए का प्रयोग करते हैं। उन्होंने डाउन टू अर्थ से बात की

On: Friday 06 November 2020
 

बाघों की उत्पत्ति कहां हुई?

उनकी उत्पत्ति दक्षिण चीन में हुई और अलग-अलग दिशाओं में फैल गए। मॉलेक्यूलर डाटा से इसकी पुष्टि होती है। हालांकि जीवाश्म नए हैं। जिस तरह बाघों ने एशिया में अपना उपनिवेश स्थापित था, ठीक उसी तरह अफ्रीका में विकसित होकर दुनियाभर में फैल गए थे। बाघ जैसे-जैसे आगे बढ़े, वे अलग-अलग आवासीय परिस्थितियों में खुद को ढालते गए। इससे उनमें संरचनात्मक और अन्य बदलाव आए। इस तरह उनकी अन्य उप प्रजातियां विकसित हुईं।

मॉलेक्यूलर डाटा का क्या मतलब है?

यह डाटा डीएनए पर आधारित होता है। हमारे डीएनए में हमारा इतिहास दर्ज होता है जो बताता है कि कालांतर में हम किन परिस्थितियों से गुजरे हैं। विभिन्न परिस्थितियों में डीएनए बदल जाता है। उदाहरण के लिए अगर मैं उच्च परिमाणु रेडिएशन वाले क्षेत्र में रहूं तो मेरा डीएनए बदल जाएगा। अगर में रेडिएशन से बच जाता हूं तो डीएनए मेरी वंशावली में प्रसारित होगा और धीरे-धीरे एक अलग सिग्नेचर बन जाएगा। डीएनए में परिवर्तन समय पर निर्भर करता है। अगर समय लंबा है तो अधिक परिवर्तन दर्ज होंगे। ऐसी बहुत सी गणतीय पद्धतियां हैं जो इन परिवर्तनों को समझने में मदद करती हैं। इनसे पता चलता है कि कौन से परिवर्तन नए हैं और कौन से पुराने। वैज्ञानिकों ने बाघों का विकास क्रम जानने के लिए इसका उपयोग किया है। किसी प्रजाति का इतिहास समझने के लिए जीवाश्म के साथ मॉलेक्यूलर डाटा स्वर्णिम मानक हैं।

क्या मॉलेक्यूलर डाटा यह बताता है कि बाघ एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में कैसे पहुंचे?

यह थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इसके लिए एक ही समय के सभी बाघों की उप प्रजातियों के विस्तृत डीएनए डाटा की जरूरत है। इसके बिना तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया जा सकता। यह नहीं पता लगाया जा सकता है कि कौन-सी उप प्रजाति नहीं है और कौन-सी पुरानी। बाघों पर होने वाले शोध में यही सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले पांच सालों में इस तरह के आंकड़ों को जुटाने का प्रयास हो रहा है।

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