शहर छोड़कर गांव जाने वाले कामगार लौटे, अब काम के लाले
असंगठित क्षेत्र के बहुत से कामगार लॉकडाउन के बाद अपने गांव चले थे लेकिन वहां काम न मिलने पर वापस लौटना पड़ा
मनरेगा, जरूरी या मजबूरी-1: 85 फीसदी बढ़ गई काम की मांग
कोरोना काल में कितनी कारगर साबित होगी मनरेगा योजना, डाउन टू अर्थ की व्यापक पड़ताल-
किसान सस्ते और उपभोक्ता महंगे दामों से परेशान, कैसे बढ़ रहे दाम?
खेत में टमाटर की तुड़वाई भी महंगी पड़ रही और शहरों की दुकानों पर चालीस रुपए किलो में बिक रहा है, यही हाल अन्य ...
लॉकडाउन में 50 फीसदी बढ़ा रिवर्स रेमिटेंस, गांव से महानगर खातों में पहुंचे पैसे
बिहार में छपरा, दरभंगा, मोतिहारी और मध्य प्रदेश में सागर जैसी जगहों से लोगों ने महानगरों को इंडिया पेयमेंट बैंक के माध्यम से खातों ...
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-11: न बाजार को पसंद है न सरकार को!
कोरोना आपदा में दो कल्याणकारी योजनाओं की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। एक है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 ...
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-7: शहरी श्रमिकों को भी देनी होगी रोजगार की गारंटी
शहरी श्रमिकों को रोजगार का कानूनी अधिकार प्रदान करने से शहरी अर्थव्यवस्था में कम आमदनी पर काम करने वाले श्रमिकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
दिल्ली में “रोजगार बाजार”, प्रवासी मजदूरों से लौटने की अपील
नौकरी खोजने और कामगारों की तलाश करने वालों के मिलाप के लिए सरकार ने शुरू की वेबसाइट
लॉकडाउन का नतीजा है टिड्डी दल का हमला
हरियाली के दुश्मन टिड्डी दल उत्तर भारत के कई राज्यों में फैल चुके हैं
प्रवासी मजदूर : नए दौर के नए अछूत
अगर सामाजिक दूरी ने किसी को सबसे अधिक प्रभावित किया है तो वह प्रवासी आबादी ही है
किस राज्य में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं, देखिए लिस्ट
छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 10.85 लाख , केरल में 2.86 लाख और तमिलनाडु में 1.93 लाख प्रवासी मजदूर फंसे थे
पलायन की पीड़ा-8: प्रवास, विस्थापन को कम किया जा सकता है, रोका नहीं जा सकता
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय क़े अवकाश प्राप्त अध्यापक, माइग्रेशन के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ तथा “वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2020” के सह-संपादक बिनोद खदरिया ने डाउन टू अर्थ ...
एसओई 2021: कोरोना महामारी में जन्मे बच्चों पर 2040 तक दिखेगा असर
स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2021 रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दौरान पैदा हुए बच्चों के भविष्य पर चिंता जताई गई है
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-8: दूसरा संस्करण शुरू करने का सही समय
हमने गांवों के पावर डायनेमिक्स को रातों-रात बदलते देखा। पारंपरिक रूप से मजदूर काम के लिए किसानों पर निर्भर रहा करते थे, लेकिन अब ...
लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई कितनी असरदार?
एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 74 प्रतिशत छात्रों ने ऑनलाइन एग्जाम के खिलाफ वोटिंग की है
उत्तर प्रदेश: गेहूं क्रय केंद्रों पर ऐसे ठगे जा रहे हैं किसान
यूपी सरकार ने 15 अप्रैल से प्रदेश में गेहूं खरीद की शुरुआत की है। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति कुन्तल रखा है, ...
आपदा में अवसर : महामारी के दौर में देश में 45 जगह जबरन बेदखली
एचएलआरएन की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च से जुलाई के बीच देशभर में 20 हजार से अधिक लोग जबरन बेदखल किए गए
लॉकडाउन का असर: न महुआ और न बांस की टोकरी बेच पा रहे हैं कमार जनजाति के लोग
हमारे समाज का एक ऐसा वर्ग है जो पहले से हाशिये पर है उनके आजीविका पर लॉकडाउन का असर दिखाई देने लगा है
कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-1: नियमों के संशोधन पर सवाल
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मनरेगा ग्रामीणों के लिए कितनी कारगर साबित हुई। प्रस्तुत है, डाउन टू अर्थ की खास सीरीज
मार्च से जून के बीच सड़क दुर्घटनाओं में 29,415 की मौत, लेकिन कौन थे ये लोग?
सरकार ने संसद को बताया कि लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी श्रमिक सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, उनके पास इसके आंकड़े नहीं हैं
बेरोजगारी में अव्वल राज्य झारखंड में अब कितने सफल होंगे रोजगार के उपाय
झारखंड सरकार ने रोजगार को बढ़ावा देने के लिए तीन नई योजनाओं की शुरुआत की है, लेकिन...
फल और सब्जी किसानों को नहीं मिल रहे खरीदार, फसल फेंकने की नौबत
किसानों और खरीदारों के बीच बनी सप्लाई चेन लॉकडाउन की वजह से टूट गई है
दाने-दाने को मोहताज हुए दिल्ली के मजदूर
लॉकडाउन के बाद अपने गांव नहीं जा पाने वाले मजदूरों को नहीं मिल रहा है काम
जग बीती: साइकिल भली या ट्रेन
पलायन की पीड़ा-5: प्राकृतिक आपदाओं से बढ़ रहा विस्थापन
भारत में चक्रवातों और बाढ़ के कारण 27 लाख लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा
दिल्ली में 2,384 टन कोविड-19 वेस्ट पैदा हुआ
टॉक्सिक लिंक की रिपोर्ट के अनुसार, केवल जुलाई में 1,101 टन हेल्थकेयर वेस्ट पैदा हुआ