किस राज्य में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं, देखिए लिस्ट

छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 10.85 लाख , केरल में 2.86 लाख और तमिलनाडु में 1.93 लाख प्रवासी मजदूर फंसे थे

By Bhagirath Srivas

On: Thursday 04 June 2020
 
फोटो: विकास चौधरी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह 15 दिन में प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजे। लेकिन अब तक यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन से राज्य में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं। हालांकि हाल ही में केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश के बाद देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा जारी किया है। लेकिन केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय ने यह नहीं बताया कि ये आंकड़े कब से कब तक के हैं। यह भी संभव है कि इनमें से बहुत से प्रवासी मजूदर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों या दूसरे माध्यमों से अपने घर पहुंच गए हों। फिर भी ये आंकड़े राज्यों में फंसे मजदूरों की संख्या पर कुछ रोशनी डालते हैं। 

ये आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में 26.17 लाख प्रवासी मजदूर फंसे थे। छत्तीसगढ़ में फंसे प्रवासी मजदूरों की संख्या सबसे अधिक थी। इस राज्य में कुल 10,85,828 प्रवासी मजदूर फंसे थे। केरल में 2,86,846 प्रवासी मजदूर, तमिलनाडु में 1,93,730 प्रवासी मजदूर, तेलंगाना में 1,84,006 प्रवासी मजदूर, महाराष्ट्र में 1,81,909 प्रवासी मजदूर, आंध्र प्रदेश में 1,00,099 प्रवासी मजदूर फंसे हुए थे। केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय को यह आंकड़ा क्षेत्रीय श्रम आयुक्त कार्यालयों द्वारा उपलब्ध कराया गया है।

केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि कितने मजदूर राहत शिविरों, कार्यस्थलों और अन्य स्थानों पर रह रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 10 प्रतिशत प्रवासी मजदूर राहत शिविरों, 43 प्रतिशत प्रवासी मजदूर कार्यस्थल और 46 प्रतिशत मजदूर अन्य स्थानों पर रहे हैं। केरल में सबसे अधिक 1,34,384 मजदूर राहत शिविरों में रह रहे हैं। इसके बाद ओडिशा में 29,560 प्रवासी मजदूर, महाराष्ट्र 21,344  प्रवासी मजदूर राहत शिविरों में रह रहे हैं। 

उल्लेखीय है कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय ने 8 अप्रैल 2020 को एक सर्कुलर जारी कर देशभर के 20 क्षेत्रीय कार्यालयों से लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा एकत्र करने को कहा गया। यह आंकड़ा जिलेवार और राज्यवार एकत्र करना था। ये आंकड़े किस प्रारूप में एकत्र किए जाएंगे, इसकी जानकारी भी सर्कुलर में दी गई थी। क्षेत्रीय कार्यालयों को कहा गया था कि वे तीन दिन में आंकड़े एकत्र कर मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय को भेज दें। स्थानीय कार्यालयों द्वारा प्रवासी मजदूरों की आंकड़ा उपलब्ध किया गया था नहीं, इस पर काफी समय तक असमंजस की स्थिति रही क्योंकि केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय ने आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया।

इस संबंध में कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के वेंकटेश नायक ने सूचना के अधिकार कानून के तहत मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय से राज्यों द्वारा एकत्र किए गए प्रवासी मजदूरों के बारे में जानकारी मांगी। 5 मई 2020 को कार्यालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने एक लाइन में जवाब दिया कि यह जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसके बाद वेंकटेश नायक से केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। 27 मई को केंद्रीय सूचना आयोग ने इस मामले में सुनवाई की। केंद्रीय सूचना आयोग ने फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के उपलब्ध आंकड़ों को एक सप्ताह के भीतर वेबसाइट में अपलोड करने का आदेश दिया था।

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