सीएसीपी ने चेताया अनाज की खुली खरीद से निकट भविष्य में बढ़ सकता है संकट, विशेषज्ञ बोले एमएसपी कवरेज बढ़ाना है इलाज

जुलाई 2020 की तुलना में जुलाई 2021 (दोनों कोविड प्रभावित वर्ष ) में चावल और गेहूं का भंडारण करीब 10 फीसदी तक बढ़ा है हालांकि दोनों वर्ष बफर स्टॉक मानदंड से ्करीब दोगुना था।

By Vivek Mishra

On: Thursday 09 September 2021
 

देश में 2018 से लगातार रिकॉर्ड अनाज उत्पादन और भंडारण हो रहा है लेकिन इसके बावजूद न तो किसानों को उनकी फसलो ंका उचित भाव मिल रहा और न ही बड़ी आबादी पर्याप्त अनाज हासिल कर पा रही है। इस बीच कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने सरकार को सिफारिश में कहा है कि वह पंजाब और हरियाणा के अलावा अन्य कृषि राज्यों से भी लाभकारी मूल्य पर फसलों की खरीदारी करे। 

कृषि मामलों के जानकारों का कहना है कि किसान अपनी फसलों पर जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग कर रहे हैं, यह सिफारिश उसी का समर्थन करती है।

सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करने वाले आयोग (सीएसीपी) ने "प्राइस पॉलिसी फॉर रबी क्रॉप : द मार्केटिंग सीजन 2022-23 " में चेताया है कि गेहूं और चावल की खुली खरीद के कारण अनाज भंडारण बफर स्टॉक से भी अधिक हो रहा है और इसके चलते निकट भविष्य में एक बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। सरकार को घरेलू स्तर पर अनाज की उठान और निर्यात दोनों में वृद्धि करके गेहूं के अतिरिक्त स्टॉक को कम करने के लिए नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अलावा फसलों की विविधता (दलहन-तिलहन व पोषक अनाज) को बढाने पर जोर भी दिया जाना चाहिए। 

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने डाउन टू अर्थ से कहा कि जब भी अनाज प्रचुर मात्रा में बाजार और मंडी में आता था तो कीमतें अक्सर कम हो जाया करती थीं। कीमतों को गिरने से रोकने और किसानों को लाभकारी मूल्य देने के लिए ही खरीदारी व्यवस्था (एमएसपी) है। वहीं, आगे भी प्रचुर भंडारण और रिकॉर्ड उत्पादन के कारण कमोडिटी की कीमतें गिर सकती हैं। क्योंकि एमएसपी कवरेज अब भी कई जगहों पर नहीं है।  मेरा मानना है कि सरकारी खरीद और मुक्त बाजार के बीच एक स्वस्थ्य प्रतिद्वंदिता होनी चाहिए। सरकार को एमएसपी पर खरीदारी का जो भी कवरेज अभी मौजूद है उसे जरूर बढ़ाना चाहिए। 

वहीं, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने डाउन टू अर्थ से कहा कि किसानों की एमएसपी की गारंटी कानून की जो मांग है उसका यही मतलब है कि है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे किसी भी फसल की खरीद नहीं होनी चाहिए। आज यही सबसे बड़ा मुद्दा है।

एमएसपी की सिफारिश करने वाले आयोग (सीएसीपी) ने सरकार को उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में लाभकारी मूल्य पर खरीद बढ़ाने के अलावा भारतीय खाद्य निगम (एफएसीआई) के केंद्रीय पूल में भंडारण के मानदंड को मौजूदा उपभोग और मांग के अनुरूप समीक्षा करने के लिए भी कहा है।  

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है " प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई III) के जरिए खाद्यान्न के अतिरिक्त वितरण किए जाने के बावजूद 30 जून, 2021 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक बफर स्टॉकिंग मानदंड से दोगुना से अधिक था। 

फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने बफर स्टॉक के नार्म तिमाही के हिसाब से तय किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2020 की तुलना में जुलाई 2021 (दोनों कोविड प्रभावित वर्ष ) में चावल और गेहूं का भंडारण करीब 10 फीसदी तक बढ़ा है हालांकि दोनों वर्ष बफर स्टॉक मानदंड से ्करीब दोगुना है। (नीचे देखें : टेबल)  

 अनाज भंडारण सेंट्रल पूल के तहत जुलाई 2020 में भंडारण (लाख टन) सेंट्रल पूल के तहत जुलाई 2021 में भंडारण (लाख टन) 2020, जुलाई की तुलना में 2021 जुलाई में अनाज भंडारण में बढ़त (प्रतिशत में) एफसीआई अनाज भंडारण सीमा  मानदंड 2019-20 (लाख टन)
गेहूं 549.91 603.56 9.63 फीसदी 275.8
चावल 271.71  296.89 9.22 फीसदी 135.4
कुल अनाज स्टॉक  821.62 900.45 9.62 फीसदी  411.2

आंकडा स्रोत - फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया 

आयोग ने कहा कि मजबूत खरीद तंत्र से ही प्राइस सपोर्ट ऑपरेशन को प्रभावी बनाया जा सकता है। आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि देश में गेहूं उत्पादन में उत्तर प्रदेश (23.6 फीसदी) , राजस्थान (10.3 फीसदी ) और  बिहार (6.3 प्रतिशत) सरप्लस बाजार है, लेकिन यहां से गेहूं की सरकारी खरीद में इन राज्यों का हिस्सा बहुत कम है। इसलिए  इन राज्यों में किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए राज्यों द्वारा  बुनियादी ढांचे का निर्माण और स्थानीय /अनुसूचित भाषाओं में भंडारण किसानों के बीच जागरूकता पैदा करके अधिक खरीद केंद्र खोलकर खरीद कार्यों को मजबूत किया जाना चाहिए।

बिस्वजीत धर ने बताया कि खुली खरीद के कारण पैदा होने वाली समस्या दरअसल खरीददारी और अनाज के सार्वजनिक वितरण के बिगड़े हुए तालमेल का नतीजा है। इस बिंदु पर सरकार को बहुत ध्यान से देखना होगा। देश में कुल उपभोग का 30 से 32 फीसदी ही अनाज एमएसपी पर खरीदा जाता है। यानी कुल अनाज का एक तिहाई खरीदा जाता है और इसके उलट सरकार योजनाओं के तहत दो तिहाई जनता (80 करोड़) को सस्ता अनाज देने का वादा कर रही है। यह संभव नहीं है।

Subscribe to our daily hindi newsletter