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- जलवायु परिवर्तन के साथ हिमालय में सिकुड़ रहा भौंरों का आवास
- साक्षात्कार: समय पर पहचान, बचेगी फसलों की जान
- मानव वन्यजीव संघर्ष: उत्तराखंड से दूसरे राज्यों में भेजे जा सकेंगे जंंगली जानवर या कोई और है हल?
- बेमौसमी खतरों से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों की सूची में शामिल है एशिया प्रशांत
- जलवायु संकट: पहाड़ों से गायब हो रही बर्फ, स्की क्षेत्रों के साथ जैवविविधता पर बढ़ा खतरा
- आईआईटी कानपुर ने नया वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरण किया लॉन्च, हवा के सुधार में मिलेगी मदद
- रायलसीमा में पारा 41 डिग्री पार, अगले कुछ दिन इन राज्यों में बारिश-बर्फबारी व ओलावृष्टि के आसार
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फिर क्यों आंदोलित हैं उत्तराखंड के लोग, क्या है भू-कानून और मूल निवास का मुद्दा?
24 दिसंबर 2023 को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सख्त भू कानून और मूल निवास प्रमाणपत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जाएगा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: समाज कल्याण योजनाओं का चुनाव पर कितना होगा असर?
मध्य प्रदेश में महिलाओं को हर माह नगद सहायता देने का मुद्दा खूब उछल रहा है, लेकिन क्या सच में इसका चुनाव परिणामों में असर दिखेगा?
महात्मा गांधी की नैतिक-राजनैतिक विरासत
महात्मा गांधी का कथित 7 लाख से अधिक स्वशासी, स्वाधीन और स्वावलंबी गावों का परिसंघ (अर्थात भारत) आज शनैः शनैः अधिकार विहीन और अस्तित्व विहीन किया जा रहा है
डाउन टू अर्थ आवरण कथा: किस हाल में हैं विनोबा भावे के ग्रामदानी गांव?
गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने के लिए विनोबा भावे ने लोगों को ग्रामदान के लिए प्रेरित किया। देश में ऐसे ग्रामदानी गांवों की संख्या तीन ...
ग्रामदानी गांव सीड़ से छीन ली गई शक्तियां, सरकार बनी खलनायक
आचार्य विनोबा भावे के ग्रामदान आंदोलन की पहचान बने गांव सीड़ में बीस साल से ग्रामसभा के चुनाव नहीं हुए हैं
ओडिशा के गंजम जिले के 38 गांवों को मिला “राजस्व” का दर्जा
ओडिशा राजस्व बोर्ड द्वारा किए गए अनुमोदन के बाद इन गांवों के छह हजार से ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं मिलने का रास्ता साफ हो गया है
गांधी के ग्राम स्वराज्य की मिसाल है विनोबा भावे का ग्रामदानी गांव सीड़
महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए विनोबा भावे ने ग्रामदान आंदोलन चलाया और हजारों गांव को ग्रामदानी बनाया, लेकिन आज की स्थिति क्या ...