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- उत्तर भारत के इन हिस्सों में हल्की बारिश-बर्फबारी, दक्षिण में जमकर बरसेंगे बादल
- मीठा जहर: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों से की चीनी युक्त मीठे पेय पदार्थों पर टैक्स बढ़ाने की मांग
- दिल्ली में बढ़कर 324 पर पहुंचा एक्यूआई, हनुमानगढ़ सहित कई शहरों में सांस लेना हुआ दुश्वार
- कॉप 28 में भारत ने साझा की पहाड़ों पर किए जा रहे बचाव कार्यों की योजना
- प्रसव के बाद हर साल चार करोड़ महिलाओं को झेलनी पड़ती हैं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: शोध
- दुनिया में महज 50 फीसदी युवा ही समझते हैं सही मायनों में जलवायु परिवर्तन का अर्थ, शिक्षा पर देना होगा ध्यान
- पक्षियों को शहरों की ओर आकर्षित कर रहा है कृत्रिम प्रकाश, बन रहा है उनकी मौत का कारण
- उत्तर-पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में घना कोहरा, वाराणसी में दृश्यता शून्य, दक्षिण में भारी बारिश
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- एयर क्वालिटी ट्रैकर: देश में तेजी से बिगड़ रहे हालात, दिल्ली-गुरुग्राम ही नहीं छोटे शहरों में भी 'बेहद खराब' हुई गुणवत्ता
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- मीठा जहर: शहद में मिलावट के काले कारोबार का खुलासा
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- क्या कोविड-19 के खतरे को सीमित कर सकती है 13 हफ्तों की सामाजिक दूरी
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- अगर ये चीजें खा रहे हैं आप तो हो सकते हैं मोटापा, बीपी, डायबिटीज के शिकार
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असल जल योद्धा
जलवायु परिवर्तन की वजह से राजस्थान में इस साल हुई अतिवृष्टि को लोगों ने आपदा में अवसर के तौर पर लिया, इस पूरी मुहिम पर सुनीता नारायण का संपादकीय ...
"परंपरागत साधनों के संरक्षण से ही बच सकता है जल"
मानसूनी वर्षा के महत्व को समझते हुए इसके संग्रहण के लिए जमीनी प्रयास किए जाने की भी आज आवश्यकता है
वर्षा के बूंद-बूंद को सहेजने में मदद कर सकता है देवास रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
देशभर में साल भर के 8760 घंटो मे से केवल 100 घंटे ही वर्षा होती है, इसलिए वर्षाजल का संरक्षण बेहद जरूरी है।
परंपरा: पानी पिलाने का पुश्तैनी काम छोड़ने को मजबूर हुए भिश्ती
दिल्ली में मशक से जलापूर्ति और प्यासों को पानी पिलाने वाले भिश्तियों को खोजना आसान नहीं है। काफी खोजबीन के बाद जामा मस्जिद में इनकी आखिरी पीढ़ी मिली जो ...
रेत के धोरों में बार-बार प्यास बुझाती बेरी
सलमेर से लगभग 40 किमी दूर सम पंचायत समिति के गांव सियांबर में रेत के धोरों के बीच सौ से अधिक बेरियां मौजूद हैं।
बिहार: कहां जा रहा है कुओं पर खर्च किया जा रहा पैसा?
बिहार सरकार ने हर कुएं के जीर्णोद्धार पर औसतन 62 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है, लेकिन इसके क्या परिणाम निकलेंगे?
खेतों में पानी जमा करके सूखने के बाद फसल लेने की अनोखी विधि
मध्य प्रदेश में प्रचलित जल संचयन और सिंचाई की हवेली व्यवस्था फसल चक्र बदलने से गायब होती जा रही है
अंग्रेजों को भी हैरान करने वाली सिंचाई प्रणाली
बंगाल में पूरी तरह विलुप्त हो चुकी आप्लावन नहरों की सिंचाई व्यवस्था ने अंग्रेजों को भी चकित कर दिया था