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- अगले पांच दिनों तक पश्चिम बंगाल, ओडिशा समेत इन राज्यों में हीटवेव, यहां बारिश व ओलावृष्टि के आसार
- जग बीती: ज्वालामुखी में तब्दील हुए कूड़े के पहाड़!
- लोकसभा चुनाव 2024: हिमाचल में गायब हैं आपदाओं के लिए जिम्मेवार मुद्दे
- देश में 64 फीसदी बढ़ी खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या, 13 शहरों में साफ रह गई है हवा
- एआई से मिलेगी विनाशकारी तूफानों की सटीक जानकारी, जान-माल के नुकसान पर लगेगी लगाम
- इंसानों की तरह ही स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही झीलें, ध्यान न दिया गया तो पुराना हो सकता है मर्ज
- शीर्ष 56 बहुराष्ट्रीय कंपनियां 50 फीसदी से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण के लिए जिम्मेवार: शोध
- अस्कोट-आराकोट अभियान 2024: जड़ों से जोड़ती एक पदयात्रा
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- क्या कोविड-19 के खतरे को सीमित कर सकती है 13 हफ्तों की सामाजिक दूरी
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महाराष्ट्र सूखा योजना: दस साल, 9,630 करोड़ खर्च, फिर भी महज 487 लोगों के लिए पानी
विशेषज्ञों का कहना है कि मराठवाड़ा में सूखा स्पष्ट रूप से मानव निर्मित आपदा है, जिसके लिए जल संसाधनों का कुप्रबंधन जिम्मेवार है
भारत की नदियां सूखी: 13 नदियों में पिछले साल के मुकाबले काफी कम हुआ पानी का स्तर
भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण क्षमता उनकी कुल क्षमता का 36 प्रतिशत तक गिर गई है
कॉप-28: 2022-23 में 23 देशों ने सूखे को लेकर घोषित किया आपातकाल, 184 करोड़ लोग प्रभावित
करीब 184 करोड़ लोग सूखे से प्रभावित हैं, जिनमें से करीब पांच फीसदी को भीषण सूखे का सामना करना पड़ा था
बारिश के पैटर्न में आते बदलावों से 2040 तक गंगा के निचले इलाकों में पड़ सकती है सूखे की मार
रिसर्च से पता चला है कि 2040 तक इस क्षेत्र में होने वाली औसत मासिक वर्षा में सात से 11 मिलीमीटर प्रतिदिन की उल्लेखनीय कमी आ सकती है
सूखे की चपेट में है भारत का 30 फीसदी हिस्सा
अगस्त के दौरान बारिश में 36 फीसदी की कमी दर्ज की गई है
खरीफ सीजन: साल 2021 के मुकाबले इस साल छह लाख हेक्टेयर में कम हुई बुआई
चालू खरीफ सीजन में दलहन का रकबा 8.59 फीसदी घटा है, जबकि सीजन की बुआई लगभग खत्म होने वाली है
झारखंडः राज्य में मात्र 15 प्रतिशत हुई बारिश, गांवों से शुरू हो चुका है पलायन
झारखंड में ज्यादातर किसान साल में एक ही फसल लेते हैं और इस बार पूरे प्रदेश में केवल 60 प्रतिशत धान की रोपाई हो पाई है
मॉनसून 2023: क्या लंबी अवधि के सूखे की भविष्यवाणी कर सकता है भारत?
एक नए डीप लर्निंग मॉडल से पता चला है कि 2027 तक देश के कई महत्वपूर्ण हिस्से सूखे की चपेट में होंगें