कोरोनावायरस: बिहार में आलू के दाम गिरे, किसानों को नहीं मिल रही कीटनाशक दवा

कोरोनावायरस की वजह से ग्रामीण बाजारों में असर दिखने लगा है, खरीददारी कम होने के कारण किसान कम कीमत पर अपने उत्पाद बेचने लगे हैं, वहीं उन्हें कीटनाशक तक खरीदने के लिए अधिक कीमत देनी पड़ रही है

By Umesh Kumar Ray

On: Thursday 19 March 2020
 

कीड़े से बचाव के लिए आलू पर दवाई का छिड़काव करता नालंदा एक किसान। फोटो: उमेश कुमार राय

पटना से सटे नालंदा जिले के बिहारशरीफ ब्लॉक के आलू किसान अवधेश कुमार को को लगा था कि कुछ दिन ठहर जाएंगे, तो आलू की अच्छी कीमत मिलेगा, लेकिन अब हालात ऐसे बन गए हैं कि उन्हें बिना नफा कमाए 250 क्विंटल आलू बेचना पड़ा है।

“कोरोनावायरस के डर से बाजारों में लोग नहीं आ रहे हैं जिस कारण आलू की बिक्री नहीं हो रही है। इस वजह से आलू की कीमत में गिरावट आ गई है। 10-15 दिन पहले 1800 सौ रुपए क्विंटल आलू बिका था और व्यापारी बहुत मुश्किल से 1200-1300 रुपए क्विंटल की दर से आलू खरीदने को तैयार हो रहे हैं। मैंने 250 क्विंटल आलू इसी दाम बेच दिया। मुझे डर था कि आनेवाले दिनो में दाम और गिर जाएगा, तो लागत की भी वसूली नहीं हो पाएगी,” अवधेश कुमार ने बताया।

बिहार में प्रति किलो आलू के उत्पादन पर 12 से 13 रुपए खर्च आता है। बिहार उन गिने चुके राज्यों में शामिल है, जहां प्रति कट्ठा आलू का उत्पादन अधिक होता है।

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद बिहार भारत का तीसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है।  यहां लगभग 321 हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। हर साल बिहार में औसतन 5.74 मिलियन मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया जाता है।

अवधेश कुमार 5 एकड़ में आलू की खेती करते हैं। वह कहते हैं, “ पिछले कुछ वर्षों में आलू की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है, यही वजह रही कि मैंने 250 क्विंटल आलू को उत्पादन लागत कीमत पर ही बेच दिया। बाकी आलू को कोल्ड स्टोरेज में रख दिया है। अगले कुछ दिन देख रहे हैं कि क्या हालात रहते हैं। इसके बाद आगे फैसला लिया जाएगा।”

अवधेश कुमार की तरह वैशाली के किसान यूके शर्मा इसी इंतजार में थे कि दाम कुछ और चढ़ेगा, तो आलू बेचेंगे, लेकिन दाम घट जाने से उन्हें 20 क्विंटल आलू कोल्ड स्टोरेज में रखना पड़ा है।

उन्होंने बताया, “इस साल बारिश के कारण आलू का आकार तो बड़ा हो गया था, लेकिन उसमें कसावट नहीं आई, जिस कारण उत्पादन कम हो गया। इस हिसाब से आलू का उत्पादन खर्च प्रति कट्ठा 12 रुपए से कुछ अधिक ही होगा, लेकिन हमलोग पुराने हिसाब को ही मान कर चल रहे हैं। दाम गिर जाने से 20 क्विंटल आलू मैंने स्टोरेज में रखा है, लेकिन मुझे नहीं पता कि आगे बाजार की क्या हालत रहेगी। हो सकता है कि आने वाले दिनों में दाम और गिर जाए व आलू को कौड़ी के भाव बेचना पड़े।”

खेती-किसानी में एक फसल को बेचकर जो पैसा मिलता है, वही दूसरी फसल के लिए पूंजी का काम करता है। बिहार में ऐसे बहुत से किसान हैं, जो दाम गिर जाने के कारण आलू नहीं बेच पा रहे हैं। इसका असर ये भी होगा कि उन्हें अगली फसल के लिए पूंजी न मिल पाए और कर्ज लेना पड़े।

इधर, कोरोनावायरस की आड़ में कीटनाशक के सप्लायरों ने कीटनाशक का दाम भी बढ़ा दिया है। कई किसानों ने बताया कि सप्लायर की तरफ से कहा जा रहा है कि कीटनाशक बनाने वाली फैक्टरियां बंद होनेवाली है जिससे कीटनाशक की सप्लाई रुक जाएगी।

नालंदा के आलू किसान राकेश कुमार ने तीन एकड़ में करेला, कद्दू और प्याज की खेती की है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों लगातार 18 दिनों तक बारिश होने से फसलों में कीड़े लग गए हैं। कीड़ा खत्म करने के लिए कम से कम पांच बार कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता है, लेकिन पिछले एक हफ्ते से कीटनाशक का दाम 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।

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