क्या था तस्वीर में कि अंडे-मुर्गी का कारोबार आधा रह गया?

कोरोनावायरस के फैलने के बाद भारत में यह अफवाह फैल गई कि चिकन व अंडा खाने से यह बीमारी फैलती है, जिसके खंडन के बाद भी कारोबार पर असर पड़ रहा है

By Malick Asgher Hashmi

On: Thursday 27 February 2020
 
फोटो: विकास चौधरी

कुछ दिनों पहले एक रोगग्रस्त मुर्गे की तस्वीर क्या वायरल हुई कि देश का पूरा पोल्ट्री व्यवसाय ही चौपट हो गया। तब से अफवाह फैली हुई है कि चिकन खाने वाला कोरोना वायरस का शिकार हो सकता है। हालांकि केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय एडवाइजरी जारी कर इसका खंडन कर चुका है। मंत्रालय का कहना है कि वैश्विक स्तर पर किसी भी रिपोर्ट में 2019 नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार में मुर्गियों की संलिप्तता नहीं पाई गई है।

मंत्रालय के पशुपालन आयुक्त प्रवीण मलिक का कहना है कि वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ ने भी कहा है कि कोरोनावायरस का स्रोत पशु नहीं है। इसके प्रसार का मुख्य स्रोत मनुष्य से मनुष्य है, इसलिए बेझिझक मुर्गी-अंडे का सेवन किया जा सकता है। बावजूद इसके, लोगों के मन में अफवाह ऐसी बैठ गई है कि उन्होंने फिलहाल अंडा-मुर्गी खाने से तौबा कर ली है। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के सलाहकार विजय सरदाना का कहना है कि रोग ग्रस्त मुर्गे की तस्वीर वायरल होने के बाद जब अफवाह ने जोर पकड़ा और उससे पोल्ट्री उद्योग प्रभावित होने लगा तो उनके संगठन के आग्रह पर केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी, लेकिन फिर भी स्थिति सामान्य होती नहीं दिख रही है।

केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा बड़ा अंडा उत्पादक देश है। अपने मुल्क में सालाना करीब 880 करोड़ अंडे का उत्पादन होता है। इसी तरह 42 लाख टन ब्रायलर चिकन मीट का उत्पादन होता है। अपने देश में प्रचुर मात्रा में अंडे-मुर्गे की खपत तो है ही पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लोदश आदि में भी निर्यात किया जाता है। मगर मुर्गे से कोरोनावायरस फैलने की अफवाह ने देश-विदेश में अंडे-मुर्गे की खपत आधी कर दी है। उत्पादकों को औने-पौने में अपने उत्पाद बेचने पड़ रहे हैं।

हरियाणा का जींद, गुरूग्राम, पानीपत, कुरूक्षेत्र और यमुनानगर उत्तर भारत के अंडा-ब्रॉयलर चिकन के सबसे बड़े केंद्र हैं। इन जिलों से सालाना करीब 15,000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इन क्षेत्रों में चूजा तैयार करने की 60 हैचरी, अंडे के लिए 50 लाख मुर्गियों की क्षमता के 80 लेयर फार्म और चिकन तैयार करने वाले लगभग 2000 ब्रायलर फार्म हैं।

ब्रायलर ब्रीडर एसोसिएशन के नॉर्थ इंडिया के प्रधान गुरमिंदर बिसला ने बताया कि फार्म और हैचरी से अंडे-मुर्गी का उत्पादन तो पहले के समान हो रहा है पर अफवाह के चलते खाने वालों में भारी कमी आई है। इसके कारण उन्हें सस्ते में अपने उत्पाद बेचने पड़ रहे हैं। उनके मुताबिक, आम दिनों में थोक में ब्रायलर चिकन प्रति किलो 83 से 85 रुपए और प्रति अंडा चार रुपये फार्म से निकलता था। मांग लगभग आधी रह जाने से मुर्गे की कीमत घटकर प्रति किलो 45 रुपए और प्रति अंडा सवा तीन रुपए करना पड़ा। पोल्ट्री फार्म के मालिकों बबलू कासनी और ऋषि साहू ने बताया कि मुर्गे और अंडे का उत्पादन चक्र होता है, जिसे किसी भी तरह रोका नहीं जा सकता। इसलिए उनका उत्पादन तो नियमित जारी है पर उचित मूल्य नहीं मिलने से उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। अफवाह से उन्हें अब तक 50 प्रतिशत की चपत लग चुकी है। 

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