हरियाणा ने दूसरे राज्यों से गेहूं न खरीदने की तरकीब निकाली?

हरियाणा में गेहूं बेचने के लिए राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश और पंजाब के 1 लाख 23 हजार से अधिक किसानों ने अपना रजिस्‍ट्रेशन कराया है

By Shahnawaz Alam

On: Wednesday 31 March 2021
 
Photo: SAYANTONI PALCHOUDHURI

नए कृषि कानून के हिमायती हरियाणा सरकार कई मौके पर कह चुकी है कि दूसरे राज्‍य के किसान भी हरियाणा में या जहां बेहतर कीमत मिले, अपनी फसल बेच सकते है। इसी के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने पहली बार अपने पोर्टल ‘मेरी फसल मेरा ब्‍यौरा’ को दूसरे प्रदेशों के किसानों के लिए खोल दिया था। इसके बाद राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश और पंजाब के 1 लाख 23 हजार से अधिक किसान 30 मार्च तक अपना रजिस्‍ट्रेशन करा चुके है। लेकिन क्या वाकई हरियाणा सरकार इन किसानों से गेहूं खरीदेगी? अभी तक इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं है।

हरियाणा सरकार के आदेशानुसार, इस पोर्टल पर रजिस्‍ट्रेशन के बाद संबंधित खंड के पटवारी द्वारा उसका सत्‍यापान अनिवार्य है, लेकिन दूसरे प्रदेश के किसानों द्वारा दिए गए ब्‍यौरा का सत्‍यापान करना किसी भी पटवारी के कार्य क्षेत्र से बाहर है। इसको लेकर अभी तक हरियाणा सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। अब एक अप्रैल से हरियाणा सरकार पहले चरण के तहत गेहूं और सरसों की खरीददारी शुरू कर रही है। दूसरे राज्‍यों के किसानों से खरीददारी को लेकर असमंजस बरकरार है।

दूसरी ओर 27 मार्च को मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल की अध्‍यक्षता में हुई बैठक में गैर रजिस्‍ट्रेशन किसानों को हरियाणा के बॉर्डर पर ही रोकने का आदेश दिया था। इसके लिए इंटर-स्टेट बॉर्डर पर पुलिस चौकसी बढ़ाने का आदेश दिया गया था।

कृषि विभाग के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता प्रदेश के किसान है। इस बार फसल की पैदावार अधिक होने की वजह से लक्ष्‍य की पूर्ति प्रदेश के किसानों से ही हो जाएगी। उन्‍होंने बताया कि सरकार को अंदेशा था कि राजस्‍थान, पंजाब और उत्‍तर प्रदेश के किसान हरियाणा में फसल लेकर आने की कोशिश करेंगे। मना करने पर केंद्र द्वारा दिए गए फसल बेचने की आजादी छीनने का हवाला दिया जाएगा। इसे ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने अपनी तैयारी के तहत रजिस्‍ट्रेशन शुरू किया था, लेकिन अब आगे क्‍या होगा। इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। 

इस बार हरियाणा सरकार दो चरणों में रबी की खरीददारी करेगी। पहले चरण में एक अप्रैल से गेहूं और सरसो एवं दूसरे चरण में चना, मूंग दाल, मक्‍का, मूंगफली, जौ और सूरजमुखी की खरीददारी दस अप्रैल से शुरू होगी। चार खरीद एजेंसियां फूड सप्लाई, हैफेड, वेयर हाउस और एफसीआइए मंडियों में 1975 रुपये न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर गेहूं और 4650 रुपये न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर सरसो की खरीद करेगी। बता दें कि पिछले साल 10 अप्रैल से खरीददारी शुरू की गई थी।

अबकी बार हरियाणा में 26.39 लाख हेक्‍टयर में गेहूं की बिजाई हुई है। जिससे करीब 125 लाख टन गेहूं उत्‍पादन की उम्‍मीद है। जबकि 6.10 लाख हेक्‍टेयर में सरसो की बिजाई हुई है। अच्‍छी ठंड और अंतिम समय में हुई बूंदाबांदी की वजह से फसलों को फायदा हुआ है, जिससे बंपर पैदावार हुई है। इसे देखते हुए सरकार ने इस बार 81 लाख टन गेहूं और सात लाख टन से अधिक सरसो की खरीद करने का निर्णय लिया है। पिछले वर्ष 74 लाख टन गेहूं और साढ़े पांच लाख टन सरसो की खरीददारी की थी।

गेहूं और सरसो की खरीददारी के लिए हरियाणा सरकार ने प्रदेश के 22 जिलों में 400 छोटे-बड़े खरीद केंद्र बनाए है। इस बार 32 नई मंडियों को ई-नेम से जोड़ दिया गया है। हालांकि सरकार ने 30 मार्च को हुई बैठक में फिर से स्‍पष्‍ट किया है कि सरकार केवल उन्‍हीं किसानों की फसलें खरीदेगी, जिन्‍होंने ‘मेरी फसल मेरा ब्‍यौरा’ पोर्टल पर अपनी फसल का रजिस्‍ट्रेशन कराया है। रजिस्‍ट्रेशन नहीं कराने की सूरत में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर फसल की खरीद नहीं होगी। ऐसे किसानों के लिए हरियाणा सरकार पांच अप्रैल से दोबारा पोर्टल खोल रही है। 30 मार्च तक हरियाणा के 7.5 लाख किसानों ने गेहूं की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। पोर्टल पर पंजीकृत किसान को गेहूं बेचने के लिए आने वाले किसान को अपने आधार कार्ड की फोटो कॉपी लानी होगी, जो पोर्टल पर पंजीकृत है।

कृषि विश्‍वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जेपी सहरावत का कहना है कि हरियाणा में अगेती फसल में किसान गेहूं की नस्‍ल डब्‍ल्‍यूएच 2967 लगाया था। यह फसल में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है और इसमें अधिक बारिश सोखने की क्षमता है। अखिरी समय में हुई बूंदाबांदी और फिर हुई तेज धूप के कारण नमी की मात्रा 8 से 12 फीसदी के बीच है। मौसम की वजह से इस बार फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

हरियाणा सरकार का दावा है कि किसानों को गेहूं और सरसों का भुगतान बेचने के 48 घंटे के अंदर कर दिया जाएगा। किसान द्वारा चुने गए विकल्‍प के अनुसार उसके खुद के बैंक खाते में या आढ़ती के खाते में पैसे पहुंच जाएगा। अगर किसी वजह से किसानों को भुगतान में देरी होती है तो उन्हें 9 फीसदी का ब्याज भी दिया जाएगा।

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