बाजार में 122 रुपए किलो का टमाटर और किसान को प्रति किलो की बिक्री पर मिल रहे सिर्फ 10 रुपए

दलवई कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों द्वारा 58 फीसदी टमाटर प्राइवेट ट्रेडर्स को बेचा जाता है। 

By Vivek Mishra

On: Wednesday 28 June 2023
 
किसानों को फसल उगाने के बाद वेल्यू एडिशन का प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया जाता। फोटो: creative commons

टमाटर की कीमतों ने पूरे देश में हाहाकार मचा रखा है। उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के मुताबिक 27 जून, 2023 को टमाटर की अधिकतम खुदरा कीमतें 122 रुपए किलो तक पहुंच गईं, जबकि किसान प्राइवेट ट्रेडर्स को घाटे में टमाटर बेचने को मजबूर हैं। इस सीजन में भी टमाटर किसान लागत न निकाल पाने वाली दर पर अधिकतम 10 रुपए थोकभाव में प्राइवेट ट्रेडर्स को बेचने को मजबूर हुए हैं। 

किसानों की आय दोगुना करने की सिफारिश वाली दलवई कमेटी की रिपोर्ट में आलू, प्याज के साथ टमाटर की बेहतर खरीद-बिक्री करने और किसानों की सुविधाओं के लिए कई सिफारिशें भी की गई थीं। 

आंध्र प्रदेश में चित्तूर जिल में स्थित चौडेपल्ले में फॉर्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन चलाने वाले किसान मोहन रेड्डी डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि जनवरी से फरवरी तक सीजन में 3 रुपए किलो तक टमाटर बेचा है, गर्मी में टमाटर के दामों में बढोत्तरी हुई लेकिन अधिकतम 8 से 10 रुपए में ही उनके टमाटर प्राइवेट ट्रेडर्स ने खरीदे। 

 

मोहन रेड्डी बताते हैं कि प्रति एकड़ टमाटर उगाने की लागत 2 से 3 लाख रुपए आती है, यदि किलो में बात करें तो प्रति किलो टमाटर उगाने की लागत 8 से 10 रुपए की है। हम लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। मोहन रेड्डी यह भी बताते हैं कि कर्ल लीफ वायरस हर साल प्रभावी हो रहा है और टमाटर की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। इस साल भी टमाटर की फसल को इस वारयस से नुकसान हुआ है। 

टमाटर ट्रेडर्स को बॉक्स में बेचे जाते हैं एक बॉक्स में करीब 15 किलो टमाटर होते हैं। इन दिनों बढ़ी हुई कीमतों के पीछे सीजनल अवधारणा बताई जा रही है। 

फेडरेशन ऑफ फार्मर्स एसोसिएशंस के प्रेसीडेंट पी चेंगल रेड्डी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि कुछ महीनों में वर्षा के कारण दक्षिण भारत में टमाटर की अत्यधिक फसल नष्ट हुई है, जिसके कारण उत्पादन कम हुआ है। किसान मार्केट यार्ड में अधिकतम 10 रुपए प्रति किलो की दर से ही टमाटर हासिल कर सके हैं। फसल नष्ट होने के कारण बीते हफ्ते ही टमाटर की खुदरा कीमतें बढ़ी हैं जो अगले दस से पंद्रह दिनों में सामान्य हो जाएंगी।  

उपभोक्ता मामले विभाग में प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन की ज्वाइंट डायरेक्टर लालरामदिनपुई रेन्थलेई  ने कहा "यह एक सीजनल चीज है। हर साल जब तक नई आवक नहीं आ जाती है तब तक इस सीजन में टमाटर की कीमतें बढ़ जाती हैं। अनियमित वर्षा के कारण टमाटर की फसल भी खराब हुई है, हालांकि नई फसल के आते ही कीमतें सामान्य हो जाएंगी।" 

उपभोक्ता मामले विभाग के मुताबिक जून, 2023 के महीने में ही टमाटर की कीमतों में देशभर में वैरिएबिलिटी न्यूनतम कीमत 10 रुपए से लेकर अधिकतम कीमत 122 रुपए तक रही है।  पी. चेंगल रेड्डी के मुताबिक कीमतों के इन उतार-चढ़ाव के जिम्मेदार प्राइवेट ट्रेडर्स हैं।   

दलवई कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों द्वारा 58 फीसदी टमाटर प्राइवेट ट्रेडर्स को बेचा जाता है। प्रोसेसर्स किसानों से टमाटर नहीं खरीदते हैं।  न ही सहकारी संस्थाएं और सरकार की एजेंसियां इस खरीद में रुचि दिखाती हैं। इसलिए टमाटर की फसल को मजबूरन किसान को प्राइवेट प्लेयर्स को बेचना पड़ता है। 

यह सड़ जाती है और बहुत कम अवधि में ही इसकी सेलिंग करनी होती है। 

दलवई कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक मास कंजप्शन वाले टमाटर को संवेदनशील उत्पाद बताते हुए इसकी आय और क्षति को लेकर विशेष ध्यान देने की बात कही गई थी। इसी रिपोर्ट में टमाटर के लिए सप्लाई चेन को मजबूत बनाने की बात कही गई थी। इसके लिए ऑपरेशन ग्रीन भी चलाया गया जिसमें खेत से सीधा उपभोक्ता तक चीजें पहुंचाने की योजना बनी लेकिन इसका असर नहीं दिखाई दिया। 

दलवई कमेटी की रिपोर्ट और सिफारिशों के मुताबिक कोल्ड चैन, मॉडर्न पैक हाउसेज और पूलिंग प्वाइंट्स के साथ गांव से ट्रांसपोर्ट की व्यवस्थाओं जैसे मुद्दों पर भी खासा ध्यान नहीं दिया गया है। न ही कोई ऐसी बॉडी बनाई गई है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के व संस्थाओं और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सदस्य शामिल हों और वे हर सीजन में टमाटर जैसी फसलों को लेकर एडवांस गाइडेंस करें।

उत्पादन वर्ष 2021-22 में 20.69 मिलियन टन टमाटर हुआ था जबकि 2022-23 में 20.62 मिलियन टन ही टमाटर होने का अनुमान है। टमाटर की कीमतें अगले पंद्रह से बीस दिनों में कम हो सकती हैं लेकिन किसान लागत निकालने में असफल साबित हो रहे हैं।  

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