रबी सीजन: गेहूं सहित 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि

2023-24 के लिए जहां मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 500 रुपए की वृद्धि की गई है। वहीं सरसों के लिए 400 रुपए प्रति क्विंटल वृद्धि पर सहमति दी गई है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 18 October 2022
 

मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की गई है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को अपनी मंजूरी दी।

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक गेहूं के समर्थन मूल्य में पिछले साल के मुकाबले इस साल 110 रुपए की वृद्धि की गई है। गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2,015 से बढ़ाकर 2023-24 के लिए 2,125 रुपए किया गया है।

मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 500 रुपए की वृद्धि की गई है। इस तरह उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,500 से बढाकर 6 हजार कर दिया गया है।

वहीं सरसों के लिए 400 रूपए प्रति क्विंटल वृद्धि पर सहमति दी गई है। वहीं कुसुम के लिए 209 रुपए प्रति क्विंटल, जबकि चने के लिए 105 और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 100 रुपए की वृद्धि की गई है।  

इसी तरह कैबिनेट ने सरसों की एमएसपी में 400 रुपए की वृद्धि करते हुए इसकी न्यूनतम कीमत को 5,050 से बढाकर 5,450 रुपए कर दिया है। इस तरह देखा जाए तो केंद्र सरकार ने दीपावली से पहले ही किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कृषि लागत और मूल्य आयोग ने सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 9 फीसदी की बढ़ोतरी की सिफारिश सरकार से की थी।

केंद्र सरकार द्वारा रबी फसलों के लिए एमएसपी में की यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को औसत उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना करने का लक्ष्य रखा गया था जिससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मेहनताना मिल सके।

देखा जाए तो रेपसीड और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 फीसदी है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 फीसदी, मसूर के लिए 85 फीसदी और चने के लिए 66 फीसदी है जबकि जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत रिटर्न दर है।

दलहन और तिलहन की उत्पादकता में भी हुई है वृद्धि

देखा जाए तो वर्ष 2014-15 से तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है। इन प्रयासों के अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक तिलहन उत्पादन 2014-15 में 2.75 करोड़ टन से बढ़कर 2021-22 में 3.77 करोड़ टन पर पहुंच गया है।  दलहन उत्पादन में भी इसी तरह की बढ़ोतरी देखी गई है।

पता चला है कि 2014-15 के बाद से दलहन और तिलहन की उत्पादकता में भी काफी वृद्धि हुई है। दलहन के मामले में 2014-15 में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़ाकर 2021-22 में 892 किग्रा/हेक्टेयर पर पहुंच गई है। मतलब की उसके उत्पादन में प्रति हेक्टेयर 22.5 फीसदी की वृद्धि आई है। इसी तरह तिलहन फसलों की उत्पादकता भी 1075 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़ाकर 2021-22 में 1,292 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।

क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य? क्यों किया जाता है तय?

न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी, किसी फसल के लिए निर्धारित वो न्यूनतम कीमत है जिस पर सरकार, किसानों से उनकी उपज खरीदती है। ऐसे में सरकार जिस भाव पर किसानों से खाद्यान खरीदती है उसे ही न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं।

सरकार किसी फसल का एमएसपी इसलिए तय करती है ताकि किसानों को किसी भी हालत में उनकी उपज का न्यूनतम उचित मूल्य मिलता रहे, जिससे उन्हें हानि न उठानी पड़े। देखा जाए तो वर्तमान में, सरकार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगने वाली 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है।

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