भारत ही नहीं, दुनिया के 65 देशों में किसान कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन, जानिए वजह

भारत ही नहीं दक्षिण अमेरिका, यूरोप और नेपाल सहित 65 देशों में किसानों ने उचित कीमतों और सही नीतियों को लेकर अपनी मांगें सरकारों के सामने रखी हैं

By Kiran Pandey

On: Wednesday 14 February 2024
 

किसानों के विरोध के स्वर सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया से उठे हैं। जनवरी 2023 से देखें तो दक्षिण अमेरिका के 67 फीसदी देशों में किसानों ने कई वजहों से विरोध प्रदर्शन किए। इनमें बेहतर निर्यात विनिमय दरों से लेकर करों में कमी करने की मांगें तक शामिल रही। गौरतलब है कि यह मांग उस समय उठी है जब अर्थव्यवस्था जूझ रही थी और अर्जेंटीना में भीषण सूखा पड़ा था। इस सूखे से फसलों को नुकसान पहुंचा और किसानों के लिए हालात बद से बदतर हो गए थे।

वहीं ब्राजील में, किसानों ने इसलिए विरोध किया क्योंकि उन्हें लगा कि आनुवंशिक रूप से संशोधित मक्का कृषि बाजारों में अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा कर रहा है। वेनेजुएला में, किसानों ने सस्ते डीजल को लेकर अपनी मांग सरकार के सामने रखी। कोलम्बिया में, धान किसानों ने अपनी फसल की अच्छी कीमतों को लेकर प्रदर्शन किए थे।

इस दौरान यूरोप के करीब 47 फीसदी देशों में किसान प्रदर्शन के लिए मजबूर हुए हैं। इनके पीछे फसल की उचित कीमतों का न मिलना, बढ़ती लागतें, कम लागत वाले आयात और यूरोपियन यूनियन द्वारा जारी पर्यावरण नियम जैसे कारण जिम्मेवार रहे। उदाहरण के लिए, फ्रांस के किसानों ने सड़कों पर उतरकर कम लागत वाले आयात, सब्सिडी की कमी और उत्पादन की भारी लागत को लेकर विरोध प्रदर्शन किए।

ऐसा ही कुछ उत्तर और मध्य अमेरिकी देशों में भी देखने को मिला, जहां 35 फीसदी देशों में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए थे। जहां मेक्सिको में, किसान अपने मक्के और गेहूं की कम कीमतों को लेकर नाखुश थे। वहीं कोस्टा रिका में, उन्होंने सरकार से मदद की मांग की है क्योंकि उनका आरोप है कि उद्योग कर्ज से जूझ रहा है।

इसी तरह सितंबर 2023 में, चिहुआहुआ के सूखाग्रस्त क्षेत्र में मैक्सिकन किसानों ने विरोध किया था क्योंकि वे निर्यात के लिए अमेरिका को सीमित पानी का निर्यात करने के अपनी सरकार के फैसले से खुश नहीं थे।

इस दौरान अफ्रीका के करीब 22 फीसदी देश किसानों के विरोध प्रदर्शन के गवाह रहे हैं। ये विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से इसलिए हुए क्योंकि किसानों को उनकी फसलों के अच्छे दाम नहीं मिल रहे थे और उनकी लागत बहुत अधिक थी।

उदाहरण के लिए, अगस्त 2023 में केन्या के आलू किसानों ने अपनी फसल की उचित कीमत पाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं बेनिन में, कोको किसान परेशान थे क्योंकि उनसे उनकी जमीनें छीनी जा रही थी या उनके कोको फार्म नष्ट किए जा रहे थे। वो अपनी जमीनों को विदेशी कंपनियों को बेचे जाने के भी खिलाफ थे।

इसी तरह कैमरून में, किसान नाइजीरिया को कोको का निर्यात बंद करने के सरकारी फैसले के खिलाफ थे। केन्या में, कॉफी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया क्योंकि कई निजी कॉफी मिलें बंद हो गईं थी और उनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। केन्या में गन्ना और चाय किसानों ने भी अनुचित सरकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी। वहीं नाइजीरिया की महिला किसान ने देश भर में खेती के दौरान आने वाली चुनौतियों पर आवाज बुलंद करने के लिए सड़कों पर उतर आई थी।

एशिया के भी करीब 21 फीसदी देशों में किसानों द्वारा किए विरोध प्रदर्शन की घटनाएं सामने आई हैं। इसमें भारत के कम से कम नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों द्वारा किए विरोध प्रदर्शन शामिल हैं।

ऐसी ही एक घटना 13 फरवरी, 2024 को हुई थी जब देश भर के किसान फसलों की कीमतों, किसानों की आय दोगुनी करने और ऋण माफी जैसी मांगों को लेकर दिल्ली में एकत्र हुए थे। नेपाल में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था क्योंकि उन्हें भारत से आयात की जा रही सब्जियों के उचित दाम नहीं मिल रहे थे। इसी तरह मलेशिया और नेपाल में, क्रमशः चावल और गन्ने की कम कीमतों को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे।

किसानों के विरोध प्रदर्शन की कुछ घटनाएं ओशिनिया में भी सामने आई थी। जहां दो देशों (14 फीसदी) में यह विरोध प्रदर्शन दर्ज किए गए। गौरतलब है कि जहां 2023 में न्यूजीलैंड के किसानों ने उन पर और अन्य खाद्य उत्पादकों पर लगाए सरकारी नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

वहीं ऑस्ट्रेलिया में, किसानों ने प्रस्तावित हाई-वोल्टेज ओवरहेड पावरलाइनों का विरोध किया जो उनकी जमीन से होकर गुजरेंगी।

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