शांतिपूर्ण रहा किसानों का भारत बंद, विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग रहेगी जारी

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह सफल रहा। किसानों ने भारत बंद के जरिए कानूनों के निरस्त करने की मांग को और ताकत के साथ उठाया है। 

By Vivek Mishra

On: Monday 27 September 2021
 

तीन कृषि कानूनों का काला कानून बताकर सरकार से कानूनों के वापसी की मांग पर अड़े किसान यूनियनों ने 27 सितंबर को दस घंटे का भारत बंद रखा। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 'भारत बंद' को सफल करार दिया है। एसकेएम के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, केरल और बिहार जैसे राज्यों से पूर्ण रूप से बंद की सूचना है। इन राज्यों में सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक सभी तरह के संस्थान, बाजार और परिवहन बंद रहे। वहीं, पंजाब और हरियाणा दोनों जगहों से राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों, लिंक सड़कों और रेलवे पटरियों के पूरी तरह से अवरुद्ध होने, सड़क और रेल यातायात ठप होने की खबरें रहीं।

इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में बंद को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। तमिलनाडु के करूर जिले के सीतावलाई गांव में क्रिस्टीना सामी को रेल रोको कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान हिरासत में लिया गया।

27 सितंबर, 2020 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी और उन्हें लागू किया था। इन नए तीन कृषि कानूनों का एक वर्ष पूरा हुआ था, जिसके चलते किसान यूनियनों ने देशभर में बंद का आह्वान किया था। 

बंद किसानों के विरोध के दस महीने का भी प्रतीक है, जिसे अब तक का सबसे लंबा किसान विरोध कहा जाता है। केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए 26 और 27 नवंबर, 2020 को बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे थे।

27 सितंबर को देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रेड यूनियनों, युवाओं और छात्रों के संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा किसान संगठनों में शामिल हुए। राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को बंद करने और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध करने की भी सूचना मिली।

सुबह दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर ट्रैफिक जाम की सूचना मिली थी। सोनीपत रेलवे स्टेशन पर दिल्ली-चंडीगढ़ रेलवे ट्रैक पर किसानों के बैठने के बाद ट्रेनों को रोक दिया गया। सूरत को मुंबई से जोड़ने वाले एक राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी प्रदर्शनकारियों ने कुछ देर के लिए यातायात बाधित कर दिया।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे शाम चार बजे तक बंद रहा, जिससे मेरठ की ओर जाने वाला यातायात प्रभावित हुआ। 'बंद' खत्म होने के बाद एक्सप्रेस-वे को खोल दिया गया। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को भी एहतियात के तौर पर अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।

भारत किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने 'भारत बंद' को सफल बताया। “हमें किसानों का पूरा समर्थन था। हम सब कुछ बंद नहीं कर सकते क्योंकि हमें लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना है। हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन कोई बातचीत नहीं हो रही है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस, केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ), आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे कई राजनीतिक दलों ने विरोध के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।

एसकेएम के अनुसार अब तक आंदोलन के दौरान 605 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है, जिसमें पुलिस की बर्बरता से संबंधित दो मौतें और कुछ आत्महत्याएं भी शामिल हैं। वहीं, एसकेएम ने एक बयान में कहा, "पिछले कई महीनों में हजारों प्रदर्शनकारियों पर देशद्रोह और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोपों सहित सैकड़ों मामले दर्ज किए गए हैं।"
 
जय किसान आंदोलन के अध्यक्ष अविक साहा ने कहा कि  12 राज्यों में अनेकों स्थानों पर भारत बंद किया गया।  हम तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग दुहराते हैं और सरकार से किसानों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करने का आह्वान करते हैं।
 
गाजीपुर सीमा पर बंद का आयोजन किया गया था। जहां प्रोफेसर योगेंद्र यादव किसानों के साथ शामिल हुए। योगेंद्र यादव ने अपने बयान में कहा कि आज किसानों के इस भारत बंद से एक बात साबित हुई है कि किसान एकजुट हो रहे हैं। निश्चित ही सरकार को किसानों की इस ताकत का अंदाजा लगा होगा। 

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