सीधी बिजाई वाली धान की कटाई शुरू, मंडी में सरकारी खरीद करे सरकार

हरियाणा में सीधी बिजाई वाली धान की कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन सरकारी खरीद न होने के कारण किसानों को सस्ते में फसल बेचनी पड़ रही है 

By Virender Singh Lather

On: Wednesday 20 September 2023
 

पंजाब और हरियाणा में धान की सीधी बिजाई को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी खरीद 15 सितम्बर से शुरू की जानी चाहिए। केन्द्र सरकार द्वारा इन राज्यों में पहली अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू की जाती है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह फैसला अव्यवहारिक हो गया है।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों से भूजल संरक्षण के लिए हरियाणा और पंजाब सरकार कम अवधि वाली धान की किस्मों (पीआर -126 आदि) के साथ धान की सीधी बिजाई तकनीक को प्रोत्साहन दे रही है। चालू खरीफ सीजन में हरियाणा के किसानों ने तीन लाख एकड़़ से ज्यादा यानि लगभग आठ प्रतिशत क्षेत्र में सीधी बिजाई तकनीक को अपनाया है।

सीधी बिजाई में धान की बुआई 20 मई से 15 जून तक अनुशंसित की जाती है और जल्दी पकने वाली पी.आर -126 आदि किस्मे लगभग 115 दिन में पककर 20 सितंंबर तक मंडियों मे बिकने के लिए आ जाती हैं।

लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा एक अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू करने के अव्यवहारिक फैसले के कारण, किसानों को मजबूरन समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर अपनी फसल बिचौलियों को बेचनी पड़ती है, जिससे किसानों को भारी अर्थिक नुकसान होता है।

धान के कटोरे के रुप मे प्रसिद्ध हरियाणा के करनाल जिले की अनाज मंडियों मे पिछले वर्षों की भाति, इस वर्ष भी 17 सितम्बर 2023 तक 32,000 क्विंटल से ज्यादा धान की उपज पहुंच चुकी है और पंजाब - हरियाणा राज्यों मे 30 सितम्बर तक सीधी बिजाई विधि से बोयी गई जल्दी पकने वाली सभी धान किस्मो की कटाई हो जाने की संभावना है।

इस वजह से किसानों को घोषित समर्थन मूल्य 2203 रुपए प्रति किवंटल की बजाय अपनी धान की उपज लगभग 1800 रुपए प्रति क्विंटल पर मजबूरन बेचनी पड़ रही है, जिससे किसानो को दस-बारह हजार रुपए प्रति एकड़ का भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।

वही दूसरी और बिचौलिये व आढ़ती इस धान उपज को कुछ दिन बाद शुरू होनी वाली सरकारी खरीद में दिखाकर, करोड़ों रुपए का चूना सरकार को लगाएंगे। यही वजह है कि इन प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्र में बिचौलियों और आढ़तियों पर आधारित समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी हो गई है।

रोपाई धान भूजल बर्बादी के लिए बदनाम रही है, इसीलिये सरकार, एक तिहाई लागत, भूजल, ऊर्जा, लेबर, ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जन की बचत वाली सीधी बिजाई धान तकनीक को प्रोत्साहन दे रही है।

हरियाणा सरकार की वेबसाइट के अनुसार, वर्ष -2022 में किसानों ने 72 हजार एकड़ कृषि भूमि पर सीधी बिजाई धान उगाकर 31,500 करोड़ लीटर भूजल की बचत की है। यानि प्रदेश के कुल धान क्षेत्र 36-38 लाख एकड़ पर रोपाई धान की बजाय सीधी बिजाई धान उगाकर सालाना 14-16 बीसीएम भूजल की बचत हो सकती है।

इससे बिजली पर दी जाने वाली सालाााना लगभग एक हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी की भी बचत होगी। सीधी बिजाई धान की फसल मध्य सितम्बर मे पकने से पराली जलाने की घटनायें और गंभीर वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी, क्योंकि फसल जल्दी पकने से किसानों को पराली संभालने के लिए ज्यादा समय मिलेगा और किसान धान की कटाई और गेहूं की बुआई के बीच 40 दिन अंतराल के समय मे हरी खाद के लिए ढेंचा आदि फसल भी ले सकते हैंं, जिससे भूमि की ऊर्वरा शक्ती बनाए रखने मे मदद मिलेंगी और रसायनिक ऊर्वरको पर निर्भरता कम होगी।

इसलिए केन्द्र सरकार व देश के नीतिकारों को भूजल-पर्यावरण संरक्षण और किसानो के हित मे धान की सरकारी खरीद को पहली अक्टूबर की बजाय 15 सितम्बर से शुरू करना चाहिए, जिससे भूजल बचत वाली सीधी बिजाई धान को प्रोत्साहन मिलेंगा और भविष्य की पीढ़ियो के लिए भूजल संरक्षित हो सकेगा।

(लेखक आईसीएआर-आईएआरआई, नई दिल्ली के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक हैं। लेख में व्यक्त लेखक के निजी विचार हैं)

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