कैसा रहा राजस्थान का पहला कृषि बजट और क्यों नहीं हैं किसान संगठन खुश?

राजस्थान की जीडीपी में कृषि का योगदान 30 प्रतिशत है, लेकिन बजट आवंटन 5.92% ही किया गया है, इसलिए किसान संगठन खुश नहीं हैं

By Madhav Sharma

On: Thursday 24 February 2022
 

राजस्थान की गहलोत सरकार ने 23 फरवरी 2022 को अपना सालाना बजट पेश किया। इस बार राज्य के बजटीय इतिहास में पहली बार कृषि बजट पेश किया गया। अलग बजट आने से किसान कर्जमाफी और एमएसपी की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उनकी यह आस अधूरी ही रही।  

किसान संगठनों का कहना है कि गहलोत सरकार का यह बजट आम बजट से अलग है, लेकिन किसानों को जो चाहिए था वो देने में सरकार ने संकोच किया है। राजस्थान के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 30 प्रतिशत है, लेकिन बजट 5.92 प्रतिशत यानी 78 हजार 938 करोड़ 68 लाख रुपए का मिला।

हालांकि यह राशि 2021-22 के संशोधित बजट अनुमानों से 11.68 प्रतिशत ज्यादा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पेश करते हुए कहा कि प्रदेश के 85 लाख परिवार कृषि पर निर्भर हैं, हमारी सरकार अगले 5 साल में राजस्थान को कृषि के अग्रणी प्रदेशों में लाएगी।

कृषि बजट की खास बातें -

  1. सरकार ने पिछले बजट में 2 हजार करोड़ रुपए के कृषक कल्याण कोष को इस बार बढ़ाकर 5 हजार करोड़ रुपए कर दिया है। योजना को 11 मिशन के रुप में क्रियान्वित किया जाएगा। इसके तहत 2700 करोड़ का राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन, 4 लाख किसानों के लिए 600 करोड़ का राजस्थान जैविक खेती मिशन, 117 करोड़ का बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन, 100 करोड़ का मिलेट्स प्रोत्साहन मिशन, 400 करोड़ का संरक्षित खेती मिशन, 100 करोड़ का उद्यानिकी विकास मिशन, 100 करोड़ रुपए का फसल सुरक्षा मिशन, 25 करोड़ रुपए से भूमि उर्वरकता मिशन, 100 करोड़ का कृषि श्रमिक संबल मिशन, 390 करोड़ रुपए से कृषि तकनीकी मिशन और 50 करोड़ रुपए से खाद्य प्रसंस्करण मिशन शुरू किए जाएंगे। 
  2. इसके अलावा 25,000 किसानों को ग्रीन हाउस जैसी अन्य सुविधाएं मिलेंगी। 
  3. मसाला फसलों का 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में विकास करवाया जाएगा।
  4. राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन शुरू होगा और 35 हजार किसानों को खेतों की तारबंदी के लिए अनुदान मिलेगा। 
  5. 3 लाख पशुपालकों को हरा चारा बीज मिनी किट उपलब्ध कराए जाएंगे। 
  6. 60 हजार किसानों को कृषि यंत्रों पर 150 करोड़ रुपये दिया जाएगा। 
  7. टिड्डी हमला रोकने के लिए 1000 ड्रोन खरीदे जाएंगे। 
  8. मधुमक्खी पालन के लिए 50 करोड़ का अनुदान दिया जाएगा।
  9. सोलर पंप स्थापित करने के लिए 500 करोड़ का अनुदान दिया जाएगा, जिससे एक लाख किसान लाभान्वित होंगे।
  10. तीन साल में 2 लाख 48 हजार कृषि कनेक्शन दिए हैं और 31 दिसंबर 2012 से 9 साल से चली आ रही पेंडिंग को आगामी दो साल में खत्म करने की घोषणा।
  11. सभी जिलों में किसानों को सिंचाई के लिए दिन में बिजली अनुदान मिलेगा।
  12. इस साल 20 हजार करोड़ के सहकारी फसली कर्ज बांटे जाएंगे, 5 लाख नए किसानों को फसली कर्ज दिए जाएंगे। 
  13. राजस्थान के करीब 1 लाख अकृषि परिवारों को भी 2 हजार करोड़ का ब्याज मुक्त कर्ज मिलेगा।
  14. भूमिहीन कृषि मजदूरों को 5000 रुपए की सहायता देगी सरकार।
  15. 4171 ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर ग्राम सेवा सहकारी समिति जीएसएस बनेंगी। 
  16. नहर परियोजना निगम के गठन की घोषणा। 
  17. पशुपालकों को दूध पर अनुदान राशि 2 रुपए लीटर से बढ़ाकर 5 रुपए लीटर की घोषणा, 5 लाख दूध उत्पादकों को 500 करोड़ रुपये मिलेंगे और 5000 नए डेयरी बूथ खोले जाएंगे। 
  18. कृषक कल्याण कोष के रूप में लगने वाला टैक्स घटाया गया। 
  19. कृषक कल्याण टैक्स में छूट की अवधि एक साल बढ़ाई गई है। 

इन घोषणाओं के अलावा भी सरकार ने किसानों के लिए सोलर पंप लगाने में 50% अनुदान देने, बकाया 3.38 लाख विद्युत कनेक्शन जारी करने, सिंचाई के लिए दिन में बिजली देने, अगले एक साल में 5 लाख नए किसानों को शामिल कर 20 हजार करोड़ रुपए के कृषि ऋण देने की घोषणाएं भी की गई हैं।

भूमिगत जल स्तर सुधारे के लिए 100 वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर, एनिकट का जीर्णोद्धार के लिए 600 करोड़ रुपए की घोषणा बजट में की गई है। साथ ही पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल के साथ-साथ सिंचाई व्यवस्था के लिए 9600 करोड़ रुपए चरणबद्ध रुप से खर्च होंगे। इस योजना को ठीक से पूरा कराने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना निगम का गठन किया गया है।

इंदिरा गांधी नहर परियोजना में भी 600 करोड़ रुपए से जीर्णोद्धार और सिंचाई संबंधी कार्य कराए जाएंगे। अगले 2 साल में 4,171 ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर ग्राम सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी। 

राज्य सरकार ने बजट में 2500 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के पंजीकरण, 500 गांवों को जोड़ने के लिए 51 मिल्क रूट चालू करने, 5 हजार नए डेयरी बूथ खोले जाएंगे। इनमें से एक हाजर बूथ महिलाओं या महिला एसएचजी को आवंटित होंगे। पशु आहार की गुणवत्ता के लिए हर जिले में टेस्टिंग लैब खोली जाएगी। इसके अलावा ऊंट पालन के लिए ऊंट संरक्षण एवं विकास नीति लागू की जाएगी। 

क्या कहते हैं किसान संगठन

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि सरकार अपनी लकीर नहीं छोड़ पाई और जो उम्मीद किसान कर रहे थे उस पर खरी नहीं उतरी। उन्होंने कहा, “कृषि में स्वावलंबन और गांव में स्वायत्ततता” के आधार पर बजट की मांग की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बजट को किसानों की आय को केन्द्र में रखकर बनाया जाना था।" 

जाट बताते हैं कि कांग्रेस ने किसान आंदोलन के वक्त पूरा समर्थन दिया था, लेकिन अपने बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कुछ नहीं किया है। यदि सरकार कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1961 में संशोधन कर फसल नीलामी प्रक्रिया न्यूनतम समर्थन मूल्य से शुरू कराने का प्रावधान कर देती तो किसानों को काफी फायदा होता।

उदाहरण के लिए बाजरे का एमएसपी 1555 है, लेकिन कीमत 1200-1400 रुपए ही मिलती है। अगर इस कानून में संशोधन होता तो किसानों को 100 से 300 रुपए प्रति क्विंटल कीमत ज्यादा मिलती। जिससे किसानों की आय बढ़ती। 

वह कहते हैं, “किसानों की आय बढ़ाने के लिए वेयर हाउस विकास एवं विनियमन एक्ट 2007 के पूर्ण लागू करना चाहिए था। सरकार को 5 लाख मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाने की घोषणा करनी चाहिए थी, जिसमें किसान अपनी उपज रखता और उसकी रसीद के आधार पर ऋण ले सकता था। इससे कम दाम पर उपज बेचने से राहत मिलती वहीं, ग्राम पंचायत स्तर पर गोदामों का निर्माण होता।” रामपाल जोड़ते हैं। 

बता दें कि राजस्थान की भंडारण क्षमता फिलहाल 22.94 लाख टन ही है। जबकि यूपी में 55.39, हरियाणा 100, पंजाब 178 और एमपी में 203.17 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता वाले गोदाम हैं।

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