हरियाणा के खेत में पैदा किया जा रहा गैरकानूनी बीटी बैंगन

जीएम फ्री इंडिया ने दावा किया है कि हरियाणा के फतेहाबाद जिले में गैरकानूनी तरीके से बीटी बैंगन पैदा किया जा रहा है।  इसकी शिकायत केंद्र और राज्य सरकार को भी दी जा चुकी है। 

By Vivek Mishra

On: Thursday 25 April 2019
 

हरियाणा के फतेहाबाद जिले में एक किसान के जरिए जीन परिवर्तित (जीएम ) यानी बीटी बैंगन की गैरकानूनी खेती करने का मामला उजागर हुआ है। संशोधित जीन मुक्त भारत के लिए काम करने वाले संयुक्त गठबंधन जीएम फ्री इंडिया की ओर से "डाउन टू अर्थ" को यह जानकारी दी गई है कि बीटी बैंगन वाले खेत का निरीक्षण किया गया था। इस निरीक्षण में एक बैंगन का नमूना भी लिया गया। इस नमूने में बैंगन जीन परिवर्तित पाया गया। बैंगन में बीटी सीआरवाई 1 एसी प्रोटीन की पुष्टि हुई है।

जीएम फ्री इंडिया की ओर से बीटी बैंगन के नमूने की समूची जानकारी बुधवार को हरियाणा सरकार को और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन जीएम फूड पर विचार और निर्णय करने वाले जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी (जीईएसी) को सुपुर्द कर दी गई है। बहरहाल, जीएम फूड पर अब सरकारी अमला क्या निर्णय लेगा, यह भविष्य में छिपा है?

एलाइंस फॉर सस्टेनबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा) के साथ काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता कविता कुरुगंती ने बताया कि अभी बीटी बैंगन की खेती कर रहे किसान और उसके गांव की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। किसान से बातचीत में पता चला है कि इस बीटी बैंगन को अकेले वह किसान नहीं पैदा कर रहा था, बल्कि इसमें कई और लोग शामिल हैं। हरियाणा सरकार के बागबानी विभाग के निदेशक अर्जुन सैनी को बीटी बैंगन का नमूना और किसान की समूची जानकारी दी गई है।

कविता कुरुगंती ने बताया कि हर बार अवैध जीएम फसलों को इसी तरह से भारत समेत दुनिया के कई देशों में प्रवेश दिया जाता है। उसके बाद सरकार उस अवैध खेती को मंजूरी दे देती है। जीएम बीज बनाने वाली कंपनी पर यह जिम्मेदारी सुनिश्चत होनी चाहिए कि यदि बिना मंजूरी उसका बीज कहीं बाहर मिलता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

जीएम फ्री इंडिया के संयुक्त गठबंधन ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बीटी बैंगन का यह चौथा मामला है। इससे पहले पहली बार बीटी कपास 2001 में भारत में आया। वहीं, 2002 में सरकार ने इसे मंजूरी दे दिया। जबकि इसके बाद बीटी कपास की ही दूसरी किस्म भारत में आयी। वहीं, इसके बाद जीएम सोया और अब बीटी बैंगन को भारत में लाया जा रहा है।

जीएम फ्री इंडिया की ओर से गुजरात की जतन संस्था के कपिल शाह ने कहा कि जीएम बीजों पर नियमन करने वाली जीईएसी उसे प्रोत्साहित कर रही है। देश में अवैध बीटी बैंगन की खेती दरअसल सरकार की बड़ी चूक है। केरल की थनल संस्था के राधाकृष्ण ने इस मामले में कहा कि यह एक बड़ा जैव खतरा है। इसे नष्ट किया जाना चाहिए। जीईएसी लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरे में नहीं ढ़केल सकता। अवैध बीटी बैंगन के इस समूचे खेत को नष्ट कर दिया जाना चाहिए। वहीं, इस कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होनी चाहिए। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसानों को इसके लिए प्रताड़ित किया जाए। ज्यादातर किसानों को वैध और अवैध बीजों की जानकारी नहीं होती। फसल नष्ट करने के बाद किसानों को इसका मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।

2010 में सरकार ने लंबी और सियासी बहस के बाद बीटी बैंगन पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही इसके बारे में कहा गया था कि जब तक इस बीज के प्रभाव को लेकर पुख्ता अध्ययन नहीं हो जाता तब तक इसके बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।  कुदरती खेती अभियान के राजेंद्र चौधरी ने कहा कि 24 घंटों के भीतर यह फसल नष्ट होनी चाहिए। यह खेती बीते वर्ष से जारी थी।

सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने बीते वर्ष (2018) में एक विस्तृत शोध के बाद यह उजागर किया गया था कि भारतीय बाजार में आयात हो रहे खाद्य उत्पादों को जीएम फसलों के जरिए ही निर्मित किया जा रहा है। रोजमर्रा के ब्रांडेड खाद्य उत्पादों में जीएम फूड की मिलावट पर सीएसई ने 65 खाद्य उत्पादों को जांचा था। इनमें 30 भारत के और 35 उत्पाद विदेशी थे। इन 65 उत्पादों में 32 फीसदी में जीएम के अंश पाए गए थे।

बीज की आनुवंशिकी में छेडछाड़ कर एक नए बीज को जन्म दिया जाता है। इस बीज से पैदावार बढ़ाए जाने की बात कही जाती है। हालांकि, इस दावे का खूब विरोध किया जाता है। वहीं, यह बात भी अभी बहस का विषय है कि बीज में जीन से छेड़छाड़ का दुष्प्रभाव कितना होगा? 

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