जलवायु आपदाओं का साल रहा 2022, भारत-चीन-पाकिस्तान सहित कई देशों को हुआ भारी नुकसान

रिपोर्ट के मुताबिक 14 जून से सितंबर के बीच मानसून में पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ में 1,739 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 70 लाख से ज्यादा लोगों को अपने घरों को छोड़ विस्थापित होना पड़ा था

By Lalit Maurya

On: Tuesday 27 December 2022
 

2022 में आई 20 सबसे महंगी जलवायु आपदाओं ने भारत, चीन, पाकिस्तान सहित कई देशों को अरबों डॉलर की चपत लगाई। हालांकि 2022 में आई 10 सबसे महंगी जलवायु आपदाओं की सूची में भारत शामिल नहीं था, लेकिन शीर्ष 20 आपदाओं में मार्च और अप्रैल में भारत-पाकिस्तान में पड़े भीषण गर्मी और लू के कहर को शामिल किया गया है। 2022 की दस सबसे महंगी जलवायु आपदाओं की यह लिस्ट क्रिश्चियन एड द्वारा जारी की गई है।

क्रिश्चियन एड की यह रिपोर्ट, "काउंटिंग द कॉस्ट 2022: ए ईयर ऑफ क्लाइमेट ब्रेकडाउन" से पता चला है कि 2022 में आई 20 सबसे विनाशकारी जलवायु आपदाओं में तूफान इयान सबसे ऊपर था, जिसने क्यूबा और अमेरिका को 10,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया था। इस तूफान का प्रभाव 23 सितंबर से  2 अक्टूबर 2022 के बीच दर्ज किया गया था। इतना ही नहीं पता चला है कि इस तूफान में 130 लोगों की मौत हुई थी जबकि 40,000 से ज्यादा लोगों को मजबूरन अपने घरों को छोड़ना पड़ा था।

70 लाख लोगों को बेघर कर गई थी पाकिस्तान में आई बाढ़

इसी तरह रिपोर्ट के मुताबिक 14 जून से सितंबर के बीच मानसून में पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ में 1,739 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 70 लाख से ज्यादा लोगों को अपने घरों को छोड़ विस्थापित होना पड़ा था। पता चला है कि इस आपदा में पाकिस्तान को 560 करोड़ डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ था। हालांकि विश्व बैंक के मुताबिक इस आपदा में 3,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ था, लेकिन बाकी बीमा न होने के कारण सामने नहीं आया है।

यहां क्रिश्चियन एड ने जलवायु आपदाओं से हुए नुकसान के जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं वास्तविकता में वो उससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि इनमें से अधिकांश अनुमान केवल उन्हीं नुकसान को दर्शाते हैं जिनका बीमा किया है, जबकि बहुत से देशों में इस तरह की आपदाओं से होने वाले नुकसान का कोई बीमा नहीं किया जाता।

रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप और यूके में गर्मियों के दौरान पड़े भीषण सूखे और लू के कहर के चलते 2,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था। वहीं 23 फरवरी से 31 मार्च के बीच पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में आई बाढ़ में 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। वहीं 750 करोड़ डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ था।

रिपोर्ट के मुताबिक ब्राजील में पड़े सूखे से जहां 400 करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा था वहीं चीन में पड़े सूखा में यह आंकड़ा 840 करोड़ डॉलर से ज्यादा दर्ज किया गया है। हालांकि इस रिपोर्ट में आर्थिक नुकसान की गणना की गई है। लेकिन आर्कटिक और अंटार्कटिक में 18 मार्च 2022 को आई हीटवेव की घटनाएं भविष्य के लिए बड़े खतरे की ओर इशारा करती हैं। इसी तरह मार्च और अप्रैल के दौरान भारत और पाकिस्तान में लू के कहर ने 90 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी।

इसी तरह हॉर्न ऑफ अफ्रीका में साल भर चले सूखे की वजह से अब तक 3.6 करोड़ लोग सोमालिया, इथियोपिया और केन्या में विस्थापित हुए हैं। वहीं 16 दिसंबर से 19 जनवरी 2022 के बीच मलेशिया में आई बाढ़ में 54 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 70,000 लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा था।   

इस बारे में संगठन क्रिश्चियन एड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पैट्रिक वाट का कहना है कि पिछले साल आई 10 अलग-अलग जलवायु आपदाओं में हर किसी आपदा में 300 करोड़ डॉलर से ज्यादा की आर्थिक क्षति हुई है और इसके लिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी निष्क्रियता जिम्मेवार है। उनका कहना है कि डॉलर के आंकड़ों के पीछे मानव नुकसान और पीड़ा की लाखों कहानियां हैं। ऐसे में यदि ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन में कटौती न की गई तो भविष्य में यह मानवीय और वित्तीय त्रासदी केवल और बढ़ेगी।

उनके अनुसार जलवायु परिवर्तन की मानवीय कीमत बाढ़ में बह गए घरों, तूफानों से मारे गए प्रियजनों और सूखे से नष्ट हुई जीविका में देखी गई है। उनके अनुसार यदि आप जलवायु संकट की अग्रिम पंक्ति में हैं तो यह वर्ष विनाशकारी था।

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