हिंदु कुश हिमालय के कुछ क्षेत्रों से 'गायब' हो सकते हैं 38 फीसदी देवदार के वृक्ष, क्या है वजह

रिसर्च के मुताबिक हिन्दूकुश हिमालय क्षेत्र में बढ़ते तापमान के साथ देवदार के पेड़ों में 38 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 09 May 2023
 
देवदार के पेड़; फोटो: आईस्टॉक

बढ़ता तापमान हिमालय पर मौजूद लम्बे-मजबूत देवदारों के पेड़ों के लिए खतरा बन गया है। बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान और सेंट्रल हिमालयन एनवायरनमेंट एसोसिएशन के शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन ने इस बात की पुष्टि की है। 

गौरतलब है कि ऊंचे पहाड़ों पर पाया जाने वाला देवदार का पेड़ कई तरह की खूबियों से समृद्ध होता है। इस पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत और सख्त होती है। यही कारण है कि वाणिज्यिक रूप से भी इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है।

वैज्ञानिक भाषा में इस पेड़ को सिड्रस देवदार के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर यह पेड़ हिमालय क्षेत्र में 3,500 से 12,000 फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है। वहीं यदि इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह पेड़ 45 मीटर या उससे अधिक ऊंचा हो सकता है।

सदी के अंत तक पांच डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा इस क्षेत्र का तापमान

वहीं यदि दूसरी तरफ इस क्षेत्र में बढ़ते तापमान को देखें तो इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) द्वारा 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुकुश हिमालय वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है। पता चला है कि सदी के अंत तक इस क्षेत्र के तापमान में हो रही वृद्धि पांच डिग्री सेल्सियस के पार जा सकती है। गौरतलब है कि यह क्षेत्र भारत, नेपाल और चीन सहित आठ देशों में 3,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि 21वीं सदी के दौरान हिन्दू कुश हिमालय क्षेत्र में जंगलों को होने वाले नुकसान के सबसे प्रमुख कारणों में बढ़ता तापमान भी शामिल है। जो वहां स्थान और प्रजातियों के आधार पर पेड़ों को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर रहा है।

इस समझने के लिए वैज्ञानिको ने हिन्दूकुश हिमालय क्षेत्र में 17 अलग-अलग स्थानों पर जहां देवदार पाए जाते हैं उनका अध्ययन किया है। इन 17 साइट्स को दो जलवायु क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। इनमें पहला वो क्षेत्र है जहां मानसूनी बारिश जबकि दूसरे क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ का प्रभुत्व है। शोधकर्ताओं द्वारा पेड़ के रिंग की चौड़ाई और जलवायु सम्बन्धी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है की बसंत यानी मार्च और मई का तापमान और बारिश देवदार के विकास पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है।

जर्नल साइंस ऑफ टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दो उत्सर्जन परिदृश्यों आरसीपी 4.5 और आरसीपी 8.5 में इन पेड़ों पर बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने का प्रयास किया है।

अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक आरसीपी 4.5 परिदृश्य में निम्न अक्षांशों में 34 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है वहीं आरसीपी 8.5 परिदृश्य में यह गिरावट घटकर 29 फीसदी दर्ज की गई थी। इसी तरह मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में जहां 4.5 परिदृश्य में 38 फीसदी की गिरावट सामने आई थी, जो आरसीपी 8.5 में 32 फीसदी दर्ज की गई।

इसके विपरीत उच्च अक्षांशों वाले क्षेत्रों में दोनों ही जलवायु परिदृश्यों में देवदार के पेड़ों में वृद्धि देखी गई। शोधकर्ताओं के मुताबिक मध्य और निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों में इनकी गिरावट के लिए सूखे का तनाव जिम्मेवार है, क्योंकि इन मानसूनी क्षेत्रों में बर्फ कम पिघलती है और बसंत के मौसम में बारिश की कमी और बढ़ते वाष्पीकरण के चलते सूखे का तनाव बढ़ रहा है।

कुल मिलकर देखें तो मानसूनी क्षेत्र में उगने वाले हिमालय देवदार में बढ़ते तापमान के साथ गिरावट आ जाएगी। ऐसा भविष्य में गर्म होती सर्दियों और बसंत में बदलती जलवायु के कारण होगा।

वहीं इसके विपरीत उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में जहां पश्चिमी विक्षोभ के कारण अधिक हिमपात होता है, वहां देवदार के बढ़ने का अनुमान है। शोधकर्ताओं के मुताबिक भविष्य में ग्लेशियरों का असामान्य विस्तार पश्चिमी विक्षोभ वाले क्षेत्रों में हिमालयी देवदार के विकास में सहायक हो सकता है।

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